पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर आधारित पुस्तिका को CM करेंगे रिलीज : अनिल शास्त्री

Edited By Anjna,Updated: 21 Jun, 2018 08:52 AM

life of lal bahadur shastri will be released by capt amarinder singh

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर आधारित पुस्तिका का विमोचन 22 जून को पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह कांग्रेस भवन चंडीगढ़ में करेंगे। उक्त जानकारी स्व. शास्त्री के सुपुत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस वर्किंग कमेटी...

जालंधर(चोपड़ा): पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर आधारित पुस्तिका का विमोचन 22 जून को पंजाब के मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह कांग्रेस भवन चंडीगढ़ में करेंगे। उक्त जानकारी स्व. शास्त्री के सुपुत्र पूर्व केंद्रीय मंत्री व कांग्रेस वर्किंग कमेटी के सदस्य अनिल शास्त्री ने देते हुए बताया कि पुस्तिका में स्व. शास्त्री के सादगी से भरे जीवनकाल व उनके महत्वपूर्ण राजनीतिक व देश हित के फैसलों का उल्लेख है। किस प्रकार पूर्व प्रधानमंत्री ने 1965 की जंग के दौरान जय जवान जय किसान का नारा देते हुए वह देश के किसानों के साथ खड़े रहे थे। अनिल ने बताया कि स्व. शास्त्री का हिंद समाचार समूह के संस्थापक लाला जगत नारायण जी के साथ घनिष्ठ संबंध था। जब उन्होंने किसानों की हौसला अफजाई का नारा दिया तब लाला जगत नारायण ने उन्हें खासा समर्थन दिया था। 

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उन्होंने कहा कि हिंद समाचार ग्रुप आतंकवाद के दौर के दौरान भी सच्चाई पर खड़ा रहा और आज भी वह सच की आवाज बुलंद करने में सबसे अग्रणी है। अनिल ने बताया कि शास्त्री जी ने लाला जी को कहा था कि आप पंजाब से संबंध रखते हैं इसलिए अपने पत्रकारों व आप खुद बार्डर पर जाकर जवानों की हौसला अफजाई करें। तब उनके कहने पर लाला जगत नारायण जी कभी खुद तो कभी अपने पुत्रों स्व. रमेश चंद्र और विजय कुमार चोपड़ा को जवानों की हौसला अफजाई को भेजते थे। 

हिंद समाचार पत्र समूह के कई पत्रकारों ने सच्चाई की राह पर अटल खड़े रहकर शहादत भी दी थी। उन्होंने कहा कि हमें हमेशा सच्चाई की राह पर चलना चाहिए और देश हित में काम करने चाहिएं। अनिल ने बताया कि उनकी इससे पहले भी स्व. शास्त्री की जीवन पटकथा पर आधारित एक पुस्तिका ‘दलाईलामा’ रिलीज कर चुके हैं कि किस तरह उन्होंने जब पद छोड़ा था तो एक सूटकेस था जिसमें उनके कुर्ते-पायजामे, ऐनक, पैन, किताब, डायरी जिस पर वह लिखते थे, वही उनके पास थे। वह कलम को सबसे बड़ी ताकत मानते थे। वह कहते थे कि कलम हमारी जिंदगी है और मां सरस्वती की देन है।

स्व. शास्त्री ने देश की एकता, अखंडता व भाईचारे को कायम करने के लिए अपनी जान की कुर्बानी दी। अनिल ने बताया कि स्व. शास्त्री दशमेश गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के शस्त्र इंगलैंड से लेकर आए थे और श्री आनंदपुर साहिब में सुशोभित करवाए थे।

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