अकाली दल को उलटी पडऩे लगी कुंवर विजय प्रताप सिंह के पद पर चली तलवार

Edited By Vatika,Updated: 12 Apr, 2019 09:37 AM

kunwar vijay pratap singh

बरगाड़ी बेअदबी व बहबल कलां गोलीकांड की जांच कर रही स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीम (सिट) के प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह को भारतीय चुनाव कमीशन की तरफ से अकाली दल की शिकायत के आधार पर उक्त पद से हटा दिया गया है।

श्री आनंदपुर साहिब (शमशेर सिंह डूमेवाल): बरगाड़ी बेअदबी व बहबल कलां गोलीकांड की जांच कर रही स्पैशल इन्वैस्टीगेशन टीम (सिट) के प्रमुख कुंवर विजय प्रताप सिंह को भारतीय चुनाव कमीशन की तरफ से अकाली दल की शिकायत के आधार पर उक्त पद से हटा दिया गया है। करीब साढ़े 3 वर्ष पहले मालवा की धरती पर हुए उक्त घटनाक्रम को लेकर लम्बे समय से सिखों के हृदय दुखी थे और इस ताजा फैसले ने न केवल सिखों के जख्मों पर नमक छिड़का है बल्कि इस प्रति न्याय की उम्मीद लगाकर बैठे लोगों की उम्मीद टूटती नजर आ रही है।

PunjabKesari
धार्मिक भावनाओं से जुड़ा यह मुद्दा शुरू से लेकर आज तक तत्कालीन अकाली सरकार की संदिग्ध भूमिका को समय-समय पर बेनकाब करता रहा है तथा अकाली दल अपने राजनीतिक गुनाहों पर पर्दे डालने के लिए इन केसों में प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दखल देता रहा है। वर्तमान समय में भी सिट अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह को इस पद से हटाना भी इसी कड़ी का साजिशी हिस्सा माना जा रहा है। केंद्र सरकार में शामिल अकाली दल द्वारा जो आरोप उक्त अधिकारी पर लगाए गए हैं वे मौकापरस्त व राजनीतिक कड़ी का हिस्सा तो माने जा सकते हैं मगर उन आरोपों में ऐसा कोई भी तथ्य मौजूद नहीं है जो सिट की जांच को राजनीतिक बदलाखोरी साबित करता हो। लोकसभा चुनाव से पहले केंद्रीय चुनाव कमीशन की तरफ से लिया गया यह फैसला राजनीति से प्रेरित माना जा रहा है।
PunjabKesari
हालांकि अकाली दल द्वारा अपने बचाव के लिए खेला गया यह दाव उल्टा पड़ता नजर आ रहा है क्योंकि राजनीतिक विशेषज्ञों का तर्क है कि जस्टिस रणजीत सिंह कमीशन के बाद सिट की कारगुजारी पर प्रश्र उठाने व बेअदबी के मामले में बुलाए विधानसभा सैशन के बायकाट के बाद सिट प्रमुख के खिलाफ इस स्तर पर जाना अकाली दल की संदिग्ध कारगुजारी की कहीं न कहीं पुष्टि कर रहा है। इसलिए पंजाब का सत्ताधारी पक्ष, विरोधी पक्ष व सभी पंथक धड़े निष्पक्ष अधिकारी कुंवर विजय प्रताप सिंह के समर्थन में खुलकर सामने आए हैं। यह कड़वा सच है कि निष्पक्ष कारगुजारी से वही लोग डरते हैं जिनके अपने दामन में दाग लगे हों। उक्त अधिकारी की कारगुजारी, निष्पक्षता व सच्चाई बारे हर कोई जानता है। क्या अकाली दल इस सच्चाई को भी मिटा सकता है कि उन्होंने पहले नाटकीय ढंग से डेरा प्रमुख को माफी नहीं दी थी।
PunjabKesari
फिर 1 जून से 14 अक्तूबर तक श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी का स्वरूप सौदा साध के पैरोकारों के पास रहा तो अपनी सरकार होते हुए उन्होंने क्या भूमिका निभाई? क्या बार-बार श्रद्धालुओं की दलीलों को नजरअंदाज कर सिख नौजवानों को इस दोष में फंसाने का प्रयत्न अकाली सरकार ने नहीं किया? क्या बेअदबी कांड के प्रमुख दोषी महिन्द्रपाल बिट्टू को विशेष सहूलियतें नहीं दी? ऐसे अनेक तथ्यों को अकाली दल जनता की कचहरी में कैसे नजरअंदाज करेगा? अगर कुंवर विजय प्रताप की कारगुजारी की बात करें तो बता दें कि सिट की तरफ से गवाहों के जो बयान कलमबद्ध किए गए हैं उनकी बकायदा वीडियोग्राफी की गई है व कइयों के बयान मैजिस्ट्रेट की मौजूदगी में लिए गए हैं, क्या ऐसी स्थिति में सिट की कारगुजारी को राजनीतिक कहा जा सकता है?

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!