Edited By Vatika,Updated: 28 Aug, 2018 10:04 AM
धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामले पर रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। 4 हिस्सों में रिपोर्ट में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के अलावा श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ की बेअदबी से जुड़े मामलों...
चंडीगढ़ (अश्वनी): धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामले पर रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह की अध्यक्षता में गठित जांच आयोग की रिपोर्ट विधानसभा में पेश की गई। 4 हिस्सों में रिपोर्ट में गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी के अलावा श्रीमद्भागवत गीता और कुरान शरीफ की बेअदबी से जुड़े मामलों की विस्तृत जांच का ब्यौरा भी दिया गया है। इसके साथ जांच रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई की रिपोर्ट को भी सदन की मेज पर रखा गया, जिसमें कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश का ब्यौरा दिया गया है।
रिटायर्ड जस्टिस रणजीत सिंह इंक्वायरी कमीशन ने अपनी रिपोर्ट में यह ब्यौरा भी दिया है कि श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी मामले को लेकर रोष जता रही सिख संगत पर पुलिस द्वारा की गई फायरिंग की पूरी जानकारी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल को थी। गांव बुर्ज जवाहर वाला, बरगाड़ी, गुरुसर और गांव मल्लके में बेअदबी की घटनाओं और कोटकपूरा व बहिबलकलां में गोलीकांड पर तैयार पहली फाइनल रिपोर्ट पर आधारित सप्लीमैंट्री रिपोर्ट में कहा गया है कि फरीदकोट जिला प्रशासन पूर्व प्रिंसीपल सैक्रेटरी गगनदीप बराड़ के जरिए पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के साथ लगातार संपर्क में था। वहीं, पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी भी लगातार स्थानीय पुलिस अधिकारियों के साथ संपर्क में थे, जिसका ब्यौरा उन्होंने पूर्व मुख्यमंत्री को भी दिया।
हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने इस मामले में इंक्वायरी कमीशन के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया है। कमीशन की सप्लीमैंट्री रिपोर्ट में कहा गया है कि पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कमीशन के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया। अलबत्ता, शिरोमणि अकाली दल ने कमीशन के गठन को ही खारिज कर दिया।वहीं, पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी को कई बार जवाब देने के लिए कहा गया लेकिन 22 नवम्बर 2017 तक उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। 19 जून 2018 को उन्हें फिर से पत्र भेजा गया, जिसके जवाब में 3 जुलाई 2018 को सैनी ने जवाब भेजा। सुमेध सिंह सैनी ने अपने जवाब में बताया कि रात 2 बजे पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने उनसे फोन कर कोटकपूरा की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी हासिल की।
डी.जी.पी. सुमेध सिंह ने दिया बल प्रयोग का आदेश
सप्लीमैंट्री रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदर्शनकारियों को डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी के आदेश पर बलपूर्वक हटाने की कार्रवाई की गई। इसके लिए आधी रात के समय पूर्व मुख्यमंत्री के विशेष सचिव गगनदीप बराड़ से भी बात की। यह सारा ऑन रिकॉर्ड मौजूद है। गगनदीप बराड़ ने ही मनतार बराड़ की बात पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल से करवाई।
बहिबलकलां फायरिंग मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई
रिपोर्ट के आधार पर डी.जी.पी. कार्यालय ने बहिबलकलां फायरिंग मामले में पुलिस अधिकारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई प्रस्तावित की है, जिसमें चरणजीत सिंह शर्मा के खिलाफ पहले से ही जांच चल रही है। आयोग की सिफारिशें कीं मंजूर : एक्शन टेकन रिपोर्ट में बताया गया कि आयोग की सिफारिशें सरकार ने मंजूर कर ली हैं, जिसके आधार पर कोटकपूरा मामले में आई.पी.सी. की धारा 307/323/334/148/149 और आम्र्स एक्ट 27 के अधीन कोटकपूरा पुलिस स्टेशन में 7 अगस्त, 2018 को एफ.आई.आर. नंबर 129 दर्ज की है। पंजाब सरकार ने मामला सी.बी.आई. को सौंपने के लिए अधिसूचना भी जारी कर दी है। इसी कड़ी में बहिबलकलां मामले में फरीदकोट के पुलिस स्टेशन बाजाखाना में आई.पी.सी. की धारा 307/302/34/ और आम्र्स एक्ट 25, 27 के अधीन एफ.आई.आर. संख्या 130 वर्ष 2015 में पहले से दर्ज है।
14 कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस
धार्मिक ग्रंथों की बेअदबी मामले में पूर्व डी.जी.पी. सुमेध सिंह सैनी सहित 14 पुलिस अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। तत्कालीन एस.एस.पी. मोगा चरणजीत सिंह शर्मा, तत्कालीन डी.आई.जी. फिरोजपुर रेंज अमर सिंह चाहल, तत्कालीन ए.डी.जी.पी. रोहित चौधरी, तत्कालीन एस.एस.पी. मानसा रघुबीर सिंह, तत्कालीन एस.एस.पी. फिरोजपुर हरदियाल सिंह मान, तत्कालीन एस.एस.पी. एस.एस. मान, एम.एस. छीना, तत्कालीन हैड विशेष जांच टीम आई.पी.एस. सहोता, तत्कालीन आई.जी.पी. बठिंडा जतिंद्र जैन, तत्कालीन सी.पी. लुधियाना परमराज सिंह उमरानंगल, तत्कालीन डी.एस.पी. जगदीश बिश्नोई, तत्कालीन एस.पी. बिक्रमजीत सिंह के नाम शामिल हैं।
क्या बादल असहाय थे?
इंक्वायरी कमीशन ने पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा है कि क्या बादल इतने असहाय थे कि धरना उठाने के लिए बल प्रयोग के प्रस्ताव से सहमत हो गए। डी.जी.पी. ने जिला प्रशासन और मनतार बराड़ से बात की थी तो जाहिर है कि मुख्यमंत्री ने पहले से डी.जी.पी. से इस संबंध में बात की हो।