अधिकतर इंडस्ट्रीज में नहीं हैं फायर फाइटिंग के कोई प्रबंध

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Nov, 2017 03:34 PM

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अंतर्राष्ट्रीय हिन्द-पाक सीमा पर बसे शहीदों के शहर में बेशक बड़ी इंडस्ट्री के साथ बहुमंजिला इमारतें नहीं हैं लेकिन जो औद्योगिक व रिहायशी इमारतें हैं वहां पर अधिकतर लोगों ने फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा रखे हैं, जिसके चलते अगर कहीं भी आगजनी की कोई...

फिरोजपुर(मल्होत्रा): अंतर्राष्ट्रीय हिन्द-पाक सीमा पर बसे शहीदों के शहर में बेशक बड़ी इंडस्ट्री के साथ बहुमंजिला इमारतें नहीं हैं लेकिन जो औद्योगिक व रिहायशी इमारतें हैं वहां पर अधिकतर लोगों ने फायर फाइटिंग सिस्टम नहीं लगा रखे हैं, जिसके चलते अगर कहीं भी आगजनी की कोई बड़ी घटना हो जाती है तो किसी बड़े जान या माल के नुक्सान से इंकार नहीं किया जा सकता। नगर में बड़ी इंडस्ट्रीज से जुड़ी सिफ 7 इमारतें हैं जिनमें फायर फाइटिंग सिस्टम हैं। इंडस्ट्रीयल एरिया में चल रही अधिकतर इकाइयों में फायर फाइटिंग सिस्टम लगे ही नहीं हुए हैं। दूध की डेयरियां हों या लोहे के ग्रिल या मशीनरी बनाने वाली इंडस्ट्री, कहीं भी आग से बचाव हेतु सिस्टम लगा देखने को नहीं मिला। हां, इतना जरूर था कि कई इंडस्ट्रीज में डीजल के 3-3 ड्रम भरे जरूर पड़े हुए थे जो वाकई आगजनी की किसी घटना में मौत को न्यौता देते नजर आए। वहीं मौजूदा समय में दमकल विभाग की हालत खस्ता है, बेशक 2 नई गाडिय़ां विभाग के पास हैं परंतु न तो विभाग के पास पर्याप्त संख्या में स्थायी अमला है और न ही उनके बैठने के लिए सुरक्षित इमारत है।


 क्या हैं नगर में फायर फाइटिंग के प्रबंध
फायर ऑफिसर गुरबख्श सिंह ने बताया कि नगर में बड़ी इंडस्ट्रीज से जुड़ी 7 इमारतें हैं जिनमें फायर फाइटिंग सिस्टम स्थापित हैं। इन इमारतों में बार्डर रोड और इंडस्ट्रीयल एरिया में शैलर पाटर््स बनाने वाली दो बड़ी इंडस्ट्रीज एवं कुछ शैलर उद्योग शामिल हैं। सार्वजनिक इमारतों में ट्रिप्ल स्टोरी जिला प्रबन्धकीय काम्पलैक्स है जिसमें बेसमैंट से लेकर ऊपरी मंजिल तक आग बुझाने वाले यंत्र, हाईड्रैंट एवं अन्य उपकरण लगे हुए हैं। जब सचिवालय आरंभ हुआ था तब इन सभी उपकरणों की डैमो जांच की गई थी और सभी अच्छे हालात में हैं। इंडस्ट्रीज और सार्वजनिक स्थलों पर फायर फाइटिंग की जिम्मेदारी नगर कौंसिल की है जिसके अधीन फायर ब्रिगेड द्वारा काम किया जाता है। पिछले 5 साल में जो नई इमारतें बनी हैं, वहां उपयोग के अनुसार नगर कौंसिलों द्वारा नक्शे पास करते समय फायर ब्रिगेड शाखा से फायर फाइटिंग सिस्टम के एन.ओ.सी. लिए जाते हैं। 


व्यावसायिक संस्थानों में फायर फाइटिंग सिस्टम लगे होना आवश्यक नहीं समझता दमकल विभाग
लुधियाना के सूफिया चौक में आगजनी से इमारत धराशायी होने की घटना के बाद पंजाब केसरी ने पंजाब के सीमावर्ती जिले में आगजनी से निपटने के प्रबंधों की बारीकी से जांच की तो मामला चौंकाने वाला सामने आया। फिरोजपुर एक छोटा शहर होने के कारण जहां नगर कौंसिल का दमकल विभाग विभिन्न व्यावसायिक संस्थानों में फायर फाइटिंग सिस्टम लगे होना आवश्यक नहीं समझता, वहीं लोग भी सुरक्षा के प्रति अपनी जिम्मेदारी को लेकर गंभीर नहीं हैं।
दमकल विभाग के नियमों अनुसार हर रिहायशी व कमॢशयल यूनिट में फायर फाइटिंग के प्रबंध जरूर होने चाहिएं ताकि आग लगने के हालत में जब तक फायर ब्रिगेड नहीं पहुंचती तो वहां मौजूद लोगों द्वारा आग बुझाने के लिए अपने तौर पर काम शुरू किया जा सके, लेकिन इस नियम को नगर की अधिकतर इंडस्ट्रीज दरकिनार करती नजर आती हैं। अगर रिहायशी इमारत है तो आगजनी की किसी भी घटना से बचाव के लिए रेत से भरी बाल्टियां, अग्रिशमन यंत्र होने चाहिएं। अगर व्यावसायिक इमारत है तो वहां बिजली, पानी के साथ फायर फाइटिंग सिस्टम की फिटिंग भी लाजिमी होनी चाहिए। कमर्शियवल इमारतों के मामले में बिल्डिंग की ऊंचाई एवं वहां होने वाले काम पर निर्भर करता है कि वहां कौन-सा फायर फाइटिंग सिस्टम लगा होना चाहिए।

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