Hacker लोगों को नए तरीकों से बना रहे शिकार, पुलिस को उठाना होगा ये कदम

Edited By Kalash,Updated: 09 Jan, 2024 04:07 PM

increase in cases of cyber crime and online fraud

जब से देश में सभी कार्य व विभागों ने अपने आपको ऑनलाइन करने की कवायद छेड़ी हुई है, तब से ही साइबर क्राइम व ऑनलाइन फ्रॉड के मामले काफी संख्या में सामने आ रहे है

अमृतसर : जब से देश में सभी कार्य व विभागों ने अपने आपको ऑनलाइन करने की कवायद छेड़ी हुई है, तब से ही साइबर क्राइम व ऑनलाइन फ्रॉड के मामले काफी संख्या में सामने आ रहे है। गौरतलब है कि सरकार ने लोगों की सुविधा के लिए सभी विभागों के कार्य ऑनलाइन करने प्रति प्रयास कर रही है और इनमें बैंक आदि भी शामिल है। ऑनलाइन फ्रॉड करने वाले इतने शातिर होते हैं कि शिक्षित लोगों को भी झांसे में लेकर उनसे फ्रॉड कर डालते हैं। हैरानीजनक पहलू यह है कि ऐसे फ्रॉड कई पुलिस वालों के साथ भी हो चुके है और वे भी हाल मलते ही रह गए है। पुलिस को अब और हाईटैक बनने की जरूरत है।

पैसों की पैमेंट को सुलभ बनाने के लिए बनाए गए थे ऐप्स

पैसों के आदान-प्रादान करने के लिए सबसे सुलभ कार्य मोबाइल फोन द्वारा एक अकाऊंट से दूसरे अकाऊंट में ट्रांसफर करना बनाया गया था, परंतु इस सिस्टम को शातिर लोगों ने ठगी करने का साधन बना लिया। इसके अलावा अब मोबाइल फोन पर कई ऐप्स, गूगल पे, फोन पे, पी.टी.एम. व कई ऑनलाइन ऐप्स इत्यादि विशेषज्ञों ने लोगों को सुविधा प्रदान करने के लिए बनाए गए थे, परंतु ये ऐप्स अब ठगी करने वाले शातिर लोगों ने अपने हथियार बना लिए हैं, जिससे वे कही बैठे हुए भी मात्र कुछ ही मिंटो में किसी के बैक खाते से पूरी राशि निकाल लेते हैं।

पुलिस मामले हल करने में नाकाम हो रही साबित

अब तक पुलिस ऐसे मामलों को पूरी तरह से हल करने प्रति नाकाम ही सिद्ध हो रही है। ऐसे मामलों में जांच के दौरान जहां पर या जिस बैंक के खाते में पैसे ट्रांसफर हुए है, इसका तो पता चल जाता है कि उक्त बैंक अकाऊंट किसके नाम पर है, परंतु जांच दौरान सामने आता है कि बैंक खाते भी फर्जी पते व फर्जी जानकारी पर ही खोले गए होते हैं। ठगी करने वाले शातिर लोग कई लाखों रुपए की ठगी कर सारी राशि जल्द से जल्द अपने अकाऊंट से निकलवा चलते बनते हैं और फिर पुलिस माथा पीटने से ज्यादा कुछ नहीं कर पाती।

कई प्रकार की सुविधाएं देने के नाम पर मारते हैं ठग

हैकर भोले-भाले लोगों को मोबाइल फोन पर कई प्रकार सुविधाएं देने का झांसा देते हैं या फिर धमकाते है कि आपका क्रेडिट कार्ड खत्म हो रहा है या फिर आपका सिम नंबर की वैलिडिटी खत्म होने के कारण बंद किया जा रहा है, क्योंकि आपकी पूरी जानकारी हमारी कंपनी के पास नहीं है और अगर आपकों यही नंबर जारी रखवाना है तो आप ऐसे करेंगे तो आपको एक ओ.टी.पी नंबर आएगा, जो हमसे शेयर करना होगा। जब व्यक्ति ओ.टी.पी. नंबर शेयर करता है तो फिर पांच मिनट के भीतर ही उसका बैंक खाता हैकर खाली कर देता है। अब तो कई ऐसे मामले सामने आए है, जिनमें ओ.टी.पी. नंबर शेयर न करने के बावजूद भी संबंधित व्यक्ति के बैंक खाते में से पैसे निकल गए।

पुलिस के लिए फांस की हड्डी बने मामले

ऑनलाइन फ्रॉड के ऐसे कई मामले अभी भी अमृतसर की सिटी व देहांती पुलिस के लिए फांस की हड्डी बने हुए हैं, यानि कि अभी तक हल नहीं हो पाए है। ऐसे मामलों के मद्देनजर पुलिस जानकारी मिलने पर केसों को दर्ज तो उसी समय कर देती है, परंतु इन्हें हल करने मे असमर्थ ही साबित होती हैं। हालांकि पुलिस ने इस प्रति अब एक अलग से साइबर सैल बनाया हुआ है, जो हैकर की काफी हद तक जानकारी तो जुटा लेता है, परंतु फिर अपराधी को ट्रेस करने को लेकर पुलिस माथा पीटती रह जाती है। ऐसे ही विगत कई दिनों से ऑनलाईन फ्रॉड के कई मामले अमृतसर सिटी पुलिस के सामने आए है, जिनमें पीड़ित लोगों से ऑनलाईन फ्रॉड के माध्यम से कई लाखों रुपयों की ठगी हो गई।

हैकरों ने निकाला नया तरीक

अब हैकरों ने ठगी का नया तरीका निकाला है। इस बारे में मोहित कुमार का कहना है कि उनका इंस्ट्रगाम हैकरों ने हैक कर लिया और उनके कुछ परिचितों को फोन कर डराने लगे कि उसको किसी कारणवश कुछ हजारों रुपए की राशि चाहिए। पहले तो उनके परिचित डर गए और फिर जब उन्होंने मोहित को ही सीधे फोन करके उसका हाल चाल जाना तो मोहित ने ऐसी किसी भी प्रकार भी अनहोनी होने से नाकारा, तो उसके परिचितों को सारे मामले बारे पता चला, नहीं तो उनके साथ भी एक बड़ी ठगी हो सकती थी। हैकर अब लोगों के मनों से खिलवाड़ करके डराकर लोगों को फोन पर पैसों की डिमांड करते है और फिर जब लोग अचानक डरकर तुरंत ही पैसे डाल दे तो फिर वे ठगी का शिकार हो जाते हैं।

लोगों को होना पड़ेगा जागरूक

लोगों को अब ऐसे मामलों प्रति खुद ही जागरूक होना पड़ेगा तो ही ऐसे मामलों पर अंकुश लग पाएगा। अगर किसी को भी किसी अपरिचित लोगों से फोन आता है तो वे फिर फोन को ध्यान से सुने और किसी को भी ना तो कोई भी ओ.टी.पी. शेयर करे व अन्य बैंक सबंधी या फिर क्रेडिट कार्ड संबंधी किसी भी प्रकार की कोई भी जानकारी किसी को न बताएं। वर्ना ये जानकारियां सांझा करने पर किसी भी समय उनके साथ ऑनलाइन फ्रॉड हो सकता है। ऐसे ही कई और मामले आए दिन ही सामने आ रहे है, परंतु इसे रोकना पुलिस प्रशासन के लिए फिलहाल दूर की कौड़ी ही साबित हो रहा है। पुलिस को भी अब अपने साइबर सैल में आई.टी. से संबंधित विशेषज्ञ अधिकारी व कर्मी भर्ती करने होंगे तो ही वे ऐसे मामलों पर अंकुश लगा सकेंगे।

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