Edited By Punjab Kesari,Updated: 20 Feb, 2018 11:05 AM
पंजाब वन विभाग में तैनात आई.एफ.एस. अधिकारी हर्ष कुमार को नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा एक बार फिर से अवज्ञा (कन्टैम्ट) नोटिस जारी करते हुए 26 फरवरी को अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया है।
चंडीगढ़ (अश्वनी कुमार): पंजाब वन विभाग में तैनात आई.एफ.एस. अधिकारी हर्ष कुमार को नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा एक बार फिर से अवज्ञा (कन्टैम्ट) नोटिस जारी करते हुए 26 फरवरी को अदालत में पेश होकर अपना पक्ष रखने को कहा गया है। यह नोटिस पी.एल.पी.ए. भूमि में डिवैल्पमैंट कार्यों की अनुमति देने संबंधी उनके द्वारा जारी किए गए पत्रों के कारण जारी किया गया है।
नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल में अमनदीप अग्रवाल द्वारा दाखिल याचिका नंबर 188 में पंजाब सरकार के चीफ सैक्रेटरी करन अवतार सिंह, एडीशनल चीफ सैक्रेटरी सतीश चंद्रा व वन एवं वन्य जीव विभाग के प्रमुख जितेंद्र कुमार को पार्टी बनाया गया था। इस मामले की सुनवाई दौरान याची द्वारा कहा गया था कि पंजाब सरकार नैशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा 19 मई 2017 को पंजाब भर में लगाए गए पेड़ों की कटाई के आदेश को गंभीरता से लागू नहीं कर रही है, बल्कि इसकी अवज्ञा करते हुए सी.सी.एफ. हर्ष कुमार द्वारा 14 नवम्बर 2017 को एक पत्र जारी करके यह कहा गया था कि एन.जी.टी. का पेड़ कटाई पर बैन पी.एल.पी.ए. भूमि अधीन आते शिवालिक पहाडिय़ों के निजी जंगलों पर लागू नहीं होता।
एन.जी.टी. द्वारा इस मामले का संज्ञान लेते हुए आई.एफ.एस. अधिकारी हर्ष कुमार को अवज्ञा नोटिस जारी किया गया था, जिसके बाद हर्ष कुमार द्वारा एन.जी.टी. में पेश होकर बिना शर्त माफी मांगी गई थी। उसके बाद पंजाब के पी.सी.सी.एफ. ने हर्ष कुमार द्वारा जारी उक्त पत्र को रद्द कर दिया था और सभी अधिकारियों को ताकीद की गई थी कि कोई भी अधिकारी ऐसा कोई पत्र जारी नहीं करेगा, जिससे एन.जी.टी. के आदेशों का उल्लंघन होता हो। लेकिन याची द्वारा एन.जी.टी. के ध्यान में यह तथ्य लाया गया है कि आदेश का उल्लंघन करते हुए आई.एफ.एस. अधिकारी हर्ष कुमार ने फरवरी 2018 में फिर से कई लोगों को पत्र जारी करके पी.एल.पी.ए. भूमि में डिवैल्पमैंट कार्य करने की अनुमति दी है। इस अवज्ञा का संज्ञान लेते हुए एन.जी.टी. द्वारा 19 फरवरी को हुई सुनवाई के दौरान आई.एफ.एस. अधिकारी हर्ष कुमार को बार-बार अवज्ञा करने संबंधी नोटिस जारी करते हुए 26 फरवरी 2018 को अपना पक्ष रखने को कहा है।