गुरु मर्यादा अनुसार करें लंगर का प्रबंध : ज्ञानी गुरबचन सिंह

Edited By Anjna,Updated: 27 Jun, 2018 09:01 AM

gyani gurbachan singh

श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने आस्ट्रेलिया के गुरुद्वारे में लंगर केवल कुर्सियों पर बैठकर छकने के लिखित निर्देशों का नोटिस लेते हुए इसे मर्यादा के विपरीत करार देते हुए प्रबंधकों को इसे वापस लेकर गुरु मर्यादा अनुसार लंगर का...

अमृतसर (ममता): श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने आस्ट्रेलिया के गुरुद्वारे में लंगर केवल कुर्सियों पर बैठकर छकने के लिखित निर्देशों का नोटिस लेते हुए इसे मर्यादा के विपरीत करार देते हुए प्रबंधकों को इसे वापस लेकर गुरु मर्यादा अनुसार लंगर का प्रबंध करने के आदेश दिए हैं। श्री अकाल तख्त के सचिवालय से जारी बयान में जत्थेदार ज्ञानी गुरबचन सिंह ने कहा कि उन्हें मीडिया से जानकारी मिली कि सिडनी के गुरुद्वारा आस्टरल के प्रबंधकों ने गुरु साहिबान की ओर से चलाई गई लंगर परंपरा जिसे पंगत में बैठकर ग्रहण करने के आदेश थे व इस परंपरा का पालन उस समय बादशाह अकबर ने भी किया था, के विपरीत संगत को निर्देश दिए जा रहे हैं।

उन्होंने कहा कि इस संबंध में श्री अकाल तख्त साहिब से भी आदेश हो चुका है कि संगत पंगत में बैठ कर ही लंगर छके परंतु अगर कोई अपाहिज हो जो बैठने में असमर्थ हो उसका अलग प्रबंध किया जाए। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत गुरुद्वारा आस्टरल के प्रबंधन की ओर से नोटिस बोर्ड पर लिख कर लगाया गया है कि लंगर केवल कुॢसयों पर बैठ कर ही छका जाए, यह सिख परंपराओं के विपरीत है। उन्होंने कहा कि इसका मतलब यह नहीं कि विदेशों में जाकर सिख अपनी परंपराओं से दूर हो जाएं, उलटा विदेशियों को यह बताएं कि वे अपनी परंपराओं का बखूबी पालन कर रहे हैं। हमें गुरु साहिब के सिद्धांत ‘पहले पंगत पाछे संगत’ पर चलना चाहिए।

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