Edited By Punjab Kesari,Updated: 26 May, 2017 07:52 AM
पंजाब की पूर्व सरकार के दौरान रैगुलर होने के बावजूद भी पंजाब के 7000 कम्प्यूटर अध्यापक अपने वेतन और अन्य वित्तीय समस्याओं के कारण समय-समय पर संघर्ष करते दिखाई दिए और अब जब पंजाब की हुकूमत भी बदल गई है,..........
अमृतसर(दलजीत): पंजाब की पूर्व सरकार के दौरान रैगुलर होने के बावजूद भी पंजाब के 7000 कम्प्यूटर अध्यापक अपने वेतन और अन्य वित्तीय समस्याओं के कारण समय-समय पर संघर्ष करते दिखाई दिए और अब जब पंजाब की हुकूमत भी बदल गई है, परन्तु कम्प्यूटर अध्यापकों की समस्याओं में कोई कमी नहीं आई। कुछ संबंधित अधिकारी उनको परेशान करने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। ये शब्द कम्प्यूटर मास्टर यूनियन (सी.एम.यू.) पंजाब के पदाधिकारियों ने कहे।
नहीं मिला 3 महीने से वेतन
यूनियन के प्रांतीय उपाध्यक्ष राजदीप सिंह मानसा ने बताया कि जहां उनको अभी तक मार्च और अप्रैल महीनों का वेतन नहीं मिला, वहीं मई महीना भी खत्म हो चला है। उन्होंने कहा कि उच्चाधिकारियों द्वारा हर बार जान-बूझकर वेतन लेट किया जाता है। उन्होंने खुलासा करते बताया कि अधिकारियों द्वारा वेतन को लेट करने के लिए कम्प्यूटर अध्यापकों को परेशान करने के मंतव्य से हर बार वेतन वाली फाइल पर कोई न कोई नया ऐतराज लगा दिया जाता है और वेतन वाली फाइल कई-कई दिन अधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काटती रहती है।
उन्होंने बताया कि विभाग द्वारा वेतन के बिलों की मांग ही महीना पूरा होने के बाद की जाती है, जबकि बाकी कर्मचारियों के वेतन के बिल महीना पूरा होने से पहले ही जमा हो जाते हैं और उनको महीने के पहले सप्ताह ही वेतन मिल जाता है। उन्होंने कहा कि 3-3 महीने बाद उन को एक वेतन जारी किया जाता है और वही चक्कर फिर से शुरू हो जाता है और फिर अगले वेतन का इंतजार करना पड़ता है, जिससे आर्थिक तंगी के चलते पंजाब भर के 7000 कम्प्यूटर अध्यापक भारी मानसिक परेशानी से गुजर रहे हैं, जिसकी जितनी निंदा की जाए कम है।