Edited By Punjab Kesari,Updated: 11 Oct, 2017 09:41 AM
जी.एस.टी. कौंसिल की मीटिंग में सिंथैटिक यार्न की टैक्स स्लैब को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करने के फैसले ने टैक्सटाइल इंडस्ट्री
लुधियाना(बहल): जी.एस.टी. कौंसिल की मीटिंग में सिंथैटिक यार्न की टैक्स स्लैब को 18 प्रतिशत से घटाकर 12 प्रतिशत करने के फैसले ने टैक्सटाइल इंडस्ट्री को चाहे एक बड़ी राहत प्रदान कर दी है लेकिन दूसरी तरफ सिंथैटिक फाइबर यानी मैनमेड फाइबर की 18 प्रतिशत टैक्स स्लैब को यथावत रखकर वित्त मंत्री अरुण जेतली ने टैक्सटाइल कारोबारियों को अपने गणित की कठिन प्रश्नावली में फंसा असमंजस की स्थिति उत्पन्न कर दी है।
गौरतलब है कि मैनमेड फाइबर को स्पिनिंग करने के प्रोसैस के बाद सिंथैटिक यार्न बनता है और जब मैनमेड फाइबर पर टैक्स की कटौती नहीं हुई है तो ऐसे में उसी से निर्मित यार्न पर 6 प्रतिशत की छूट के प्रावधान ने कारोबारियों को जी.एस.टी. की जटिल प्रक्रिया की उलझन पैदा कर दी है, जिससे दो-चार होने से परेशान कारोबारी सुविधा मिलने के बावजूद खुद को ठगा-सा महसूस करने लगे हैं। केन्द्र सरकार जो जी.एस.टी. कौंसिल की मीटिंग में की गई कुछ राहत घोषणाओं को लोगों के लिए दीवाली का तोहफा कहकर अपनी पीठ थपथपा रही है लेकिन असल में नई प्रणाली में पेचीदगियों की भरमार ने कारोबारियों का आत्मविश्वास हिला कर रख दिया है।
अगर बात निर्यातकों को दी जाने वाली राहतों की करें तो यह पहला मौका है, जब निर्यातकों के लिए एक्सपोर्ट पॉलिसी का निर्धारण होने बिना ही निर्यात हो रहा है और अस्पष्ट स्थिति के कारण निर्यात के ग्राफ में भी लगातार गिरावट दर्ज हो रही है। नई घोषणाएं होने के बाद सिंथैटिक यार्न की टैक्स स्लैब में कटौती के कारण इंडस्ट्री और टे्रड नोटीफिकेशन जारी होने की राह देखने लगी है, जिससे अस्थायी तौर पर कारोबारी गतिविधियां भी प्रभावित होने लगी हैं। निट एंड फैब हौजरी संघ के प्रधान विपन विनायक का कहना है कि गुजरात चुनाव के मद्देनजर मोदी सरकार ने जल्दबाजी में फैसले लिए हैं। यहां डेढ़ करोड़ टर्नओवर वाले कारोबारियों को तिमाही रिटर्न भरने की छूट दी गई है, जबकि इससे ऊपर टर्नओवर वाले इन कारोबारियों को माल बेचने पर उसकी रिटर्न खरीदार से मैच नहीं हो पाएगी, जो समस्या का बड़ा कारण बनेगी।