Edited By Punjab Kesari,Updated: 30 Nov, 2017 08:49 AM
आजादी के 70 वर्ष बाद भी छावनी के बाशिंदे अंग्रेजी शासन के समय बने कानूनों का दंश झेल रहे हैं। चुनावी सीजन में नेताओं द्वारा नियमों में संशोधन करवाने हेतु जनता से खूब वायदे किए जाते हैं, लेकिन बाद में इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता। हालात इस कदर बने हुए...
फिरोजपुर (जैन, मल्होत्रा): आजादी के 70 वर्ष बाद भी छावनी के बाशिंदे अंग्रेजी शासन के समय बने कानूनों का दंश झेल रहे हैं। चुनावी सीजन में नेताओं द्वारा नियमों में संशोधन करवाने हेतु जनता से खूब वायदे किए जाते हैं, लेकिन बाद में इस तरफ कोई ध्यान नहीं देता। हालात इस कदर बने हुए हैं कि छावनी में ईंट लगाना सीधे तौर पर नियमों का उल्लंघन करना है। यहां 1836 जी.जी.ओ. अधिनियम लागू है। सिविल एरिया की भूमि पर बने स्ट्रक्चर के ही लोग मालिक हैं, जबकि भूमि की मलकीयत भारत सरकार की है, जिसके चलते बिना इजाजत यहां निर्माण नहीं हो सकता। सैन्य क्षेत्र होने के चलते सुरक्षा को देखते हुए कैंटोनमैंट बोर्ड के अधिकारी यहां निर्माण करने की इजाजत नहीं देते।
डर के साए में रहते हैं लोग
नियमों की उल्लंघना करने वालों को अक्सर रक्षा सम्पदा विभाग द्वारा नोटिस जारी किए जाते हैं और कई बार जे.सी.बी. के साथ अधिकारी इमारतों को तोडऩे भी आ जाते हैं। इससे पहले एक मैरिज पैलेस पर सेना द्वारा जे.सी.बी. चलाने के अलावा 2016 में कुछ दुकानों को तोड़ा गया था। इसके अलावा कुछ निर्माणाधीन इमारतों को सील किया जा चुका है।
नेता कर चुके हैं दावे
सांसद शेर सिंह घुबाया से लेकर पूर्व रा’यसभा सदस्य अविनाश राय खन्ना सहित अनेकों नेता छावनी के बाशिंदो को समस्याओं को निपटाने संबंधी दावे कर चुके हैं और कमल शर्मा द्वारा हुसैनीवाला में इस मुद्दे को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगे भी उठाया था।
पूर्व रक्षा मंत्री दे चुके हैं संकेत
मोदी सरकार के पूर्व रक्षा मंत्री मनोहर पाॢरकर द्वारा सितम्बर 2015 में पणजी में हुई एक बैठक में कैंटोनमैंट लैंड को फ्री होल्ड, म्यूटेशन सहित अन्य नियमों में बदलाव करने संबंधी बात की थी लेकिन अभी तक नियमों में बदलाव होता नजर नहीं आ रहा, जिसके चलते लोगों में हमेशा भय का माहौल बना रहता है। देश के 19 रा’यों में 62 छावनी परिषदों में एक जैसे कानून चलते हैं और फिरोजपुर छावनी परिषद ‘ए’ क्लास में आती है।
सीमा नजदीक होने के चलते सचेत है रक्षा विभाग
छावनी क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय हिन्द-पाक सीमा से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस क्षेत्र में कई बार आई.एस.आई. के एजैंट रजाउल्लाह खां, काला सिंह जैसे लोग पकड़े जा चुके हैं। इस क्षेत्र में होटलों, धर्मशालाओं, मैरिज पैलेसों पर भी विभाग की सख्त निगाह रहती है ताकि कोई असामाजिक तत्व सक्रिय न हो सके।
व्यापारी चाहते हैं नियमों में बदलाव हो
बिजनैस एसोसिएशन के प्रधान पिंटू कालड़ा, शॉपकीपर्स वैल्फेयर सोसायटी के अध्यक्ष विजय कक्कड़, बंटी शर्मा, ललित गर्ग, दीपक जैन, परमजीत सिंह, मिंटू चोपड़ा, राज, विश्व ने कहा कि सरकार को नियमों में संशोधन करना चाहिए, ताकि छावनी के बाशिंदे डर से बाहर निकल सकें। उन्होंने कहा कि 2014 के दौरान जब मामला बढ़ा था तो विभिन्न नेताओं द्वारा केन्द्रीय मंत्रियों से मिलकर लोगों को विश्वास दिलाया गया था, लेकिन उसके बाद मामला पूरी तरह शांत हो गया।
इनकी भी सुनो
दिनेश तायल ने कहा कि बोर्ड द्वारा शरीफ और गरीब लोगों पर ही अपने कानून थोपे जाते हैं, जबकि रसूख वाले लोग अपनी इमारतें बना रहे हैं और अधिकारी मात्र नोटिस भेजकर कानूनी पचड़ों में डालकर मामला लटका देते हंै। बोर्ड अधिकारियों ने कोठी नंबर 27 में गरीब लोगों के आशियाने तोड़कर सरेआम धक्का किया है।
वहीं, पूर्व पार्षद संजय गुप्ता, अजय जोशी ने कहा कि केन्द्र की मोदी सरकार अ‘छे दिनों का नारा लेकर आई थी, लेकिन कैंटोनमैंट नियमों में संशोधन न करके लोगों की उम्मीदों पर पानी फेरते जा रही है, जिसे सहन नहीं किया
जाएगा। उन्होंने कहा कि नियमों में बदलाव हेतु उनके द्वारा राष्ट्रपति व रक्षा मंत्री के नाम उ"ााधिकारियों को ज्ञापन सौंपा जाएगा।
नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं
एस.डी.ई. सतीश कुमार, रक्षा सम्पदा विभाग के एस.डी.ओ. दीपक यादव की मानें तो नियमों की अनदेखी बर्दाश्त नहीं होगी और लोगों को चाहिए कि वे अवैध निर्माण न करें। जो भी कार्रवाई पिछले दिनों की गई है, नियमों को ध्यान में रखकर की है। किसी भी व्यक्ति को नुक्सान पहुंचाना उनकी मंशा नहीं है।