Edited By Punjab Kesari,Updated: 09 Jan, 2018 11:23 AM
विजीलैंस ब्यूरो ने पी.टी.यू. में नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियों और निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के आरोपों की जांच करते हुए यूनिवर्सिटी के पूर्व उप कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा को गिरफ्तार किया है। रजिस्टर्ड किए गए केस में डॉ. अरोड़ा सहित जिन 9 लोगों के...
कपूरथला, जालंधर, चंडीगढ़(भूषण, मल्होत्रा, बुलंद, पाहवा, ब्यूरो): विजीलैंस ब्यूरो ने पी.टी.यू. में नियमों को ताक पर रखकर नियुक्तियों और निजी कंपनी को लाभ पहुंचाने के आरोपों की जांच करते हुए यूनिवर्सिटी के पूर्व उप कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा को गिरफ्तार किया है। रजिस्टर्ड किए गए केस में डॉ. अरोड़ा सहित जिन 9 लोगों के नाम दर्ज किए गए हैं, उनमें कई भाजपा और आर.एस.एस. नेताओं के रिश्तेदार हैं। इस महा घोटाले की जांच करीब 4 साल से चल रही थी और इसे दबाने की काफी कोशिशें भी की गईं।
विजीलैंस ब्यूरो को मिली कई शिकायतों में इस तथ्य का खुलासा हुआ था कि पंजाब टैक्नीकल यूनिवर्सिटी के पूर्व उप कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा ने वित्तीय तथा प्रशासनिक विभागों में कई बड़े फर्जीवाड़े किए हैं और बड़े स्तर पर मनमानियां करते हुए नियमों को ताक पर रख कर 6 सी. एंड एफ. (को-आर्डीनेटर एंड फैसिलिटेटर) की नियुक्तियां की हैं जिनको वर्ष 2012-13 में 2 करोड़ 73 लाख 20 हजार तथा वर्ष 2013-14 में 6 करोड़ 53 लाख 50 हजार रुपए की राशि अदा की गई है।
समिति की सिफारिशों को किया गया था दरकिनार
बोर्ड ऑफ गवर्नर द्वारा इस मामले का नोटिस लेने के बाद जब उप कुलपति को नियमों के तहत नियुक्तियां करने के निर्देश दिए गए तो भी यूनिवर्सिटी की ओर से 12 सी. एंड एफ. रखने को लेकर विज्ञापन देने के बाद इन नियुक्तियों को पारदर्शी तरीके से नहीं भरा गया। यूनिवर्सिटी द्वारा बनाई गई चयन समिति की सिफारिशों को दरकिनार कर दिया गया। इस दौरान डॉ. अरोड़ा ने मैसर्ज नैट आई.आई.टी. नामक कंपनी की सिफारिश के आधार पर काम करते हुए सी. एंड एफ. की नियुक्तियां कर यूनिवर्सिटी के नियमों की धज्जियां उड़ा दीं।
इन सभी नियमों को पूरा करने वाली फर्मों को बाहर कर दिया गया। चयन समिति द्वारा बनाई गई मैरिट को भी दरकिनार कर दिया गया। इस दौरान तत्कालीन उप कुलपति की ओर से नियुक्त किए गए सभी 6 सी. एंड एफ. की नियुक्ति के समय न तो उनके किसी विश्वविद्यालय व संस्थान में काम के अनुभव को देखा गया और न ही इस मामले में चयन समिति की सिफारिशों को माना गया।
बिना विज्ञापन के नियुक्तियां, लीगल अधिकारी के अनुभव पर भी उठा सवाल
इस पूरे फर्जीवाड़े के दौरान यूनिवर्सिटी में सलाहकार डैपूटेशन नियुक्त किए गए डॉ. नछत्तर सिंह तथा निदेशक डॉ. आर.पी. भारद्वाज की नियुक्ति को लेकर न तो कोई विज्ञापन दिया गया तथा न ही किसी विश्वविद्यालय या संस्थान में कोई सर्कुलर भेजा गया। वहीं सहायक रजिस्ट्रार विश्वदीप, सहायक ट्रेनिंग व प्लेसमैंट अधिकारी मरगिंद्र सिंह बेदी तथा सहायक निदेशक सांस्कृतिक गतिविधियां सुमीर शर्मा को ठेके पर नियुक्त करते हुए सभी नियमों को पूरी तरह अनदेखा किया गया।
इन सभी के सेवाकाल में समय-समय पर बढ़ौतरी करने के मामले में भी बोर्ड ऑफ गवर्नर की 10 अप्रैल 2013 को हुई बोर्ड मीटिंग के फैसलों को नजरअंदाज किया गया। उप कुलपति द्वारा नियुक्त की गई लीगल अधिकारी रैगुलर गीतिका सूद द्वारा अपनी नियुक्ति के समय दिए गए आवेदन पत्र में भी ऐसा कोई दस्तावेज नहीं लगाया गया, जिसमें उनके काम करने के अनुभव को दिखाया गया हो ।
सहपाठी की कंपनी को करोड़ों का लाभ पहुंचाया
जांच में यह बात भी सामने आई है कि उप कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा ने अपने सहपाठी प्रवीण कुमार को नैट आई.आई.टी. कंपनी का कंसल्टैंट नियुक्त कर उसकी कंपनी को मोटी रकम अदा की, जबकि प्रवीण कुमार की नियुक्ति के समय बोर्ड ऑफ गवर्नर की 46वीं मीटिंग में लिए गए सभी फैसलों को नजरअंदाज कर दिया गया। इस दौरान उप कुलपति ने एक और कदम उठाते हुए नैट आई.आई.टी. के साथ पी.टी.यू. का 27 अगस्त 2012 को रिजनल वैब लॄनग सैंटरों में होने वाले दाखिलों में 8 प्रतिशत कमीशन देने का वायदा करने को लेकर एक लिखित करार कर लिया।
हालांकि यूनिवर्सिटी के बोर्ड ऑफ गवर्नर के चेयरमैन कम मुख्य सचिव पंजाब ने 10 सितम्बर 2012 में पंजाब तथा हरियाणा हाईकोर्ट में एक हलफनामा दायर कर कंसल्टैंट की नियुक्ति को तुरंत रद्द करने की बात कही थी लेकिन इसके बावजूद उप कुलपति ने कंसल्टैंट की नियुक्ति वापस न लेते हुए नैट आई.आई.टी. कंपनी को दिसम्बर 2014 तक के कामों की लगातार अदायगी करते हुए कंपनी को कुल 24 करोड़ 37 लाख 25 हजार 616 रुपए की राशि अदा कर दी, जबकि उक्त फर्म की ओर से यूनिवर्सिटी को प्रदान की गई सेवाओं के संबंध में कोई भी जानकारी कभी भी उपलब्ध नहीं करवाई गई।
बोर्ड ऑफ गवर्नर्ज की मंजूरी के बिना डीन को किया निलंबित
विजीलैंस जांच में सामने आया है कि उप कुलपति ने पुलिस लाइन कपूरथला में पिलरों सहित सोलर लाइट लगाने के प्रोजैक्ट को अपने तौर पर अमलीजामा पहनाते हुए यूनिवर्सिटी की ओर से 5.60 लाख रुपए की रकम अदा कर दी गई, जिसमें खुले तौर पर नियमों की अनदेखी की गई। वहीं उप कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा ने अपने गलत कामों में साथ न देने के कारण यूनिवर्सिटी के डीन डॉ. एन.पी. सिंह की सेवाएं खत्म करने की मकसद से उन्हें निलंबित कर दिया। हालांकि इस संबंधी बोर्ड ऑफ गवर्नर्ज की मंजूरी भी नहीं ली गई।
वहीं डॉ. एन.पी. सिंह द्वारा यूनिवर्सिटी के खिलाफ किए गए अदालती केस में आरोपी उप कुलपति ने बिना मतलब 26 लाख 53 हजार 100 रुपए की अदायगी अपने वकीलों को कर दी जिस दौरान डॉ. रजनीश अरोड़ा ने अपनी शक्तियों का एक बार फिर से दुरुपयोग करते हुए नैट आई.आई.टी. के दिल्ली कार्यालय में यूनिवर्सिटी का कैंप आफिस खोल दिया, जिसके बदले नैट आई.आई.टी. को 1 करोड़ 65 लाख 52 हजार 562 रुपए अदा कर दिए। इसी कंपनी से संबंधित धरिंदर तायल द्वारा चंडीगढ़ में स्थापित किए गए लॄनग सैंटर में यूनिवर्सिटी के प्रबंधकों ने दूसरे लर्निंग सैंटरों के मुकाबले ज्यादा फीस चार्ज करने की आज्ञा दे दी। इससे यूनिवर्सिटी को भारी घाटा हुआ।
विजीलैंस ने अपनी जांच में डॉ. रजनीश अरोड़ा की चहेती कंपनी नैट आई.आई.टी. के खातों में करीब 25 करोड़ रुपए ट्रांसफर करना पाया जिसके आधार पर पूर्व उप कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा, डॉ. नछतर सिंह, डॉ. आर.पी. भारद्वाज, विश्वदीप, दीपिका सूद, मरगिंद्र सिंह बेदी, सुमीर शर्मा, आशीष शर्मा, प्रवीण कुमार व धरिंदर तायल के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। डी.एस.पी. विजीलैंस कपूरथला कर्मवीर सिंह चाहल ने अपनी टीम के साथ छापामारी कर अमृतसर से मुख्य आरोपी पूर्व उप कुलपति डॉ. रजनीश अरोड़ा को गिरफ्तार कर लिया।