Edited By Updated: 25 Jan, 2017 01:55 AM
शहर का पार्क हो, मार्कीट हो, बस स्टैंड हो या कोई सार्वजनिक स्थान हो जहां कुछ....
कोटकपूरा(नरिन्द्र): शहर का पार्क हो, मार्कीट हो, बस स्टैंड हो या कोई सार्वजनिक स्थान हो जहां कुछ लोग बैठकर बातचीत करते हों वहां बातचीत का विषय सिरफ सियासी ही होता है। इस समय सियासी माहौल पूरी तरह गरमा चुका है। आने वाली 4 फरवरी को वोट डलने के बाद नई बनने वाली सरकार से हर कोई अपने-अपने हिसाब से उम्मीद लगाए बैठा है, जिसका जिक्र एकत्रित लोगों द्वारा होने वाली बातचीत में होता है। इसके अलावा मौजूदा चुनाव प्रणाली, चुनाव आयोग व सियासी पार्टियों के कामकाज करने के ढंग तरीकों प्रति भी वर्णन होता है। कोई समय था जब सियासी पार्टियों द्वारा चुनाव दौरान अंधाधुंध पैसा लुटाया जाता था व कोई पूछने वाला नहीं था।
गत कुछ समय से चुनाव आयोग द्वारा सियासी पार्टियों द्वारा प्रचार आदि पर खर्चे जाते पैसे को लेकर कुछ सख्ती करनी शुरू की गई व अब हर हलके के लिए बकायदा राशि निश्चित कर दी गई है। चुनाव आयोग द्वारा एक विधानसभा हलके में चुनाव प्रचार दौरान एक उम्मीदवार द्वारा खर्चे जाने वाली राशि 28 लाख रुपए निश्चित की गई है। इसमें दफ्तर, रैलियां, झंडे, पैम्फलेट व चाय पर होने वाले खर्चे भी शामिल हैं। चुनाव आयोग द्वारा सियासी पार्टियों पर ऐसी सख्ती किए जाने की लोगों द्वारा प्रशंसा हो रही है। इसके अलावा बातचीत दौरान पैसे के लालच में वोट डालना, बेरोजगारी, आवारा पशुओं की समस्या व जात-पात के आधार पर वोट मांगना या डालना मुख्य विषय बनकर सामने आए हैं। पंजाब केसरी की टीम द्वारा चुनाव दौरान विभिन्न मुद्ïदों को लेकर लोगों से बात की तो लोगों ने बेझिजक होकर इन विषयों पर चर्चा की।
खर्चा निर्धारित करना प्रशंसनीय फैसला
चुनाव आयोग द्वारा सियासी पार्टियों पर चुनाव प्रचार दौरान खर्चे जाने वाली राशि निर्धारित करना बहुत प्रशंसनीय फैसला है क्योंकि उम्मीदवारों द्वारा प्रचार के विभिन्न ढंगों पर पानी की तरह पैसा बहाया जाता है। यह पैसा किसी के काम आने की बिजाये व्यर्थ जाता है व अंत में इसका खामियाजा लोगों को ही भुगतना पड़ता है। -हरीष सेतिया, कोटकपूरा
पैसे के लालच में न हो वोटिंग
वोट डालते समय हमारे दिमाग में हलके के विकास को लेकर गंभीरता होनी चाहिए। पैसे के लालच में डाली गई वोट क्षेत्र के विकास में रुकावट बनने के अलावा पूरे राज्य की तरक्की के लिए भी घातक हो सकती है क्योंकि पैसे के लालच में हम सही उम्मीदवार का चुनाव नहीं कर सकते। -जतिन्द्र चावला, कोटकपूरा
बेरोजगारी बड़ी समस्या
बेरोजगारी इस समय हमारे पंजाब के साथ-साथ पूरे देश की बड़ी समस्या बनकर सामने आई है। बेरोजगारी कारण ही क्राइम की संख्या में भी वृद्घि हो रही है। वोट डालते समय यह देखना भी जरूरी है कि संबंधित उम्मीदवार की क्या योग्यता है व उसकी पार्टी के चुनाव मैनीफैस्टो में बेरोजगारी खत्म करने के लिए क्या-क्या वायदे या प्रयास करने की बात की गई है। -राकेश अरोड़ा, कोटकपूरा
हर हालत में डाली जाए वोट
अक्सर देखा जाता है कि बड़ी संख्या में लोग वोट डालने को कोई ज्यादा अहमियत नहीं देते जोकि सरासर गलत है। सरकार द्वारा वोट प्रतिश्त बढ़ाने के लिए लगातार प्रयास किए जाते हैं परंतु अक्सर ही देखा जाता है कि विभिन्न क्षेत्रों में 65 से 70 फीसदी तक ही वोटिंग होती है। हमारी एक-एक वोट देश की तरक्की व भलाई के लिए योगदान डाल सकती है इसलिए वोट हर हालत में डालनी चाहिए। -एडवोकेट चरनजीत सिडाना, कोटकपूरा
जात-पात व धर्म के आधार पर वोट डालना गलत
माननीय सुप्रीम कोर्ट द्वारा जात-पात व धर्म के आधार पर वोट मांगने पर लगाई पाबंधी बहुत ही प्रशंसनीय है। किसी भी राजनीतिक मामले में धर्म को नहीं लाना चाहिए व नरोये लोकतंत्र की स्थापना के लिए बिना किसी भेदभाव के वोटिंग की जानी चाहिए। -हरीष बतरा, कोटकपूरा