जाली बिलों पर करोड़ों का वैट रिफंड ले गए दुबई मार्का एक्सपोर्टर्स

Edited By Punjab Kesari,Updated: 27 Oct, 2017 08:07 AM

dubai marka exporter carries refunds of crores on counterfeit bills

इन दिनों लुधियाना की चॢचत फर्म जलधारा एक्सपोर्ट्स का स्कैंडल खूब चर्चा में है जिसके मालिक रमन गर्ग को जाली वैट रिफंड लेने के आरोप में ई.डी. द्वारा गिरफ्तार किया गया है। लुधियाना की तर्ज पर ही जालंधर में भी इन दिनों एक ऐसा ही स्कैंडल सामने आ रहा है...

जालंधर (खुराना): इन दिनों लुधियाना की चर्चित फर्म जलधारा एक्सपोर्ट्स का स्कैंडल खूब चर्चा में है जिसके मालिक रमन गर्ग को जाली वैट रिफंड लेने के आरोप में ई.डी. द्वारा गिरफ्तार किया गया है। लुधियाना की तर्ज पर ही जालंधर में भी इन दिनों एक ऐसा ही स्कैंडल सामने आ रहा है जिसके तहत पिछले कुछ समय दौरान दुबई मार्का एक्सपोर्टर्स ने फर्जी बिलों के आधार पर ही करोड़ों रुपए का वैट रिफंड प्राप्त कर लिया। अगर इस स्कैंडल की निष्पक्ष जांच हो तो यह घपला करोड़ों में निकलेगा।

पंजाब केसरी की टीम द्वारा जुटाई गई जानकारी के अनुसार कुछ साल पहले नैशनल हाईवे के किनारे एक छोटी-सी इंडस्ट्री चलाने वाले उद्योगपति ने ढलाई तथा स्क्रैप के साथ-साथ जाली बिलों का धंधा भी शुरू कर दिया और इस फर्जी कारोबार में करोड़ों रुपए कमाए। यह अलग बात है कि बाद में इस उद्योगपति को घाटा सहना पड़ा और बैंक ने उसकी सम्पत्ति तक जब्त कर ली।अपने काम-धंधे के दिनों में इस उद्योगपति ने ज्यादातर मैन्युफैक्चरिंग आइटमों के करोड़ों रुपए के जाली बिल काटे और उन निर्यातकों को दिए जो उन दिनों दुबई में फर्जी एक्सपोर्ट किया करते थे।

धीरे-धीरे मामला एक्साइज एंड टैक्सेशन विभाग की समझ में आया और स्कैंडल की परतें उधडऩी शुरू हुईं। फिर राजनीतिक दबाव और पैसे का खेल चला और जांच इत्यादि के नाम पर इस करोड़ों रुपए के घपले को दबा दिया गया। अब पंजाब केसरी की टीम ने इस स्कैंडल की तह तक जाकर सारा फर्जीवाड़ा समझा है। इस स्कैंडल में जालंधर के कई नामी उद्योगपति और एक्सपोर्टर्स शामिल बताए जा रहे हैं जिन्होंने इस उद्योगपति से माल तो नहीं लिया परन्तु अपनी सेल और प्रॉफिट इत्यादि को एडजस्ट करने के लिए सिर्फ बिल कटवाए।

फंस सकते हैं सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारी
सूत्र बताते हैं कि इस फर्जीवाड़े का पता सेल्स टैक्स विभाग के अधिकारियों को कुछ साल पहले ही चल गया था, जिसके आधार पर उच्चाधिकारियों ने जांच भी की और फर्जीवाड़े बारे लिखित में भी लिया और नोटिस भी जारी किए परन्तु उन नोटिसों पर कोई कार्रवाई करने की बजाय कई ऐसी फर्मों को वैट रिफंड जारी कर दिए गए जिन्होंने जाली बिल प्राप्त किए थे। अगर इस मामले की जांच हो तो सामने आएगा कि रिफंड देते समय बिलों की 3 या 4 स्तर पर जांच नहीं की गई, ऐसे में विभाग के कई अधिकारी स्कैंडल में फंस सकते हैं। 

डी.आर.आई. नैटवर्क में फंसे एक्सपोर्टर्स फिर चर्चा में
इस सारे स्कैंडल में शहर के वे एक्सपोर्टर्स फिर चर्चा में आ गए हैं जो पिछले सालों दौरान मुंद्रा पोर्ट से किए गए फर्जी एक्सपोर्ट में पकड़े गए थे और अभी तक अहमदाबाद की अदालतों में डी.आर.आई. द्वारा दर्ज करवाए गए केसों को भुगत रहे हैं। उस समय दौरान ऐसे दुबई मार्का एक्सपोर्टर्स द्वारा किए गए फर्जीवाड़े में जाली बिलों का मुख्य योगदान था। कुछ साल बीत जाने के बाद अब इन एक्सपोर्टर्स को जाली बिलों पर वैट रिफंड भी मिलना जारी है, जिसे लेकर विभाग के पास शिकायतें तक पहुंचनी शुरू हो गई हैं।

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