केन्द्रीय मंत्री सांपला का नाम आने से मामला हुआ हाई-प्रोफाइल, कर्मचारियों पर गाज गिरना तय

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 02:33 PM

dto office gets trapped on the same number two vehicles

आर.टी.ए. दफ्तर (डी.टी.ओ. कार्यालय) में सामने आई एक भयंकर गड़बड़ी को लेकर चारों तरफ हड़कंप-सा मचा हुआ है और नीचे से लेकर ऊपर तक सारे अधिकारियों व स्टाफ के हाथ-पैर फूले हुए हैं, क्योंकि एक ही नंबर को 2 अलग-अलग ......

जालंधर (अमित): आर.टी.ए. दफ्तर (डी.टी.ओ. कार्यालय) में सामने आई एक भयंकर गड़बड़ी को लेकर चारों तरफ हड़कंप-सा मचा हुआ है और नीचे से लेकर ऊपर तक सारे अधिकारियों व स्टाफ के हाथ-पैर फूले हुए हैं, क्योंकि एक ही नंबर को 2 अलग-अलग गाडिय़ों को अलाट करने जैसी बहुत बड़ी भूल सामने आई है, जिसके चलते संबंधित कर्मचारियों पर गाज गिरना लगभग तय माना जा रहा है, क्योंकि इस पूरे मामले में केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला का नाम आने से यह मामला काफी हाई-प्रोफाइल बन चुका है और इतनी बड़ी गलती कैसे हुई तथा किससे हुई इसको लेकर उच्चस्तरीय जांच होना भी लगभग तय है।

क्या है मामला, कैसे आया सामने?
कुछ समय पहले विजय सांपला के भतीजे आशु सांपला पर दुष्कर्म के आरोप लगाने वाली युवती ने अपनी शिकायत की जांच के दौरान खास तौर पर गठित एस.आई.टी. को एक आर.सी. सौंपी थी, जिसका नंबर पी.बी. 08 एएफ 0024 था। उक्त युवती ने अपनी शिकायत और गाड़ी का गहरा संबंध बताया था। जिसके चलते पुलिस ने अपनी जांच के दौरान उक्त आर.सी. की वैरीफिकेशन के लिए डी.टी.ओ. कार्यालय को पत्र लिखा था। जिसके जवाब में 27 जुलाई, 2017 को डी.टी.ओ. कार्यालय ने अपनी लिखित रिपोर्ट में कहा था कि उक्त नंबर उनके रिकार्ड के अनुसार किसी नकोदर निवासी सुखदेव सिंह की फोर्ड आईकान गाड़ी के नाम पर दर्ज है, जोकि 2001 में उसे अलाट किया गया था।

पुलिस द्वारा दोबारा से वैरीफिकेशन की मांग की गई तो चौंका देने वाली बात सामने आई, क्योंकि कुछ दिन पहले भेजी गई रिपोर्ट से बिल्कुल उलट डी.टी.ओ. कार्यालय ने 1 अगस्त, 2017 को दूसरी रिपोर्ट में लिखा कि उक्त नंबर 25 मार्च, 2009 को केन्द्रीय मंत्री विजय सांपला को अलाट किया गया था। इस प्रकार से एक ही नंबर की 2 अलग-अलग वैरीफिकेशन रिपोर्ट ने पूरे मामले को उलझाकर रख दिया और एक नए विवाद को जन्म दे दिया। जिसके पश्चात कमिश्नर पुलिस पी.के. सिन्हा ने डी.सी. वरिंद्र कुमार शर्मा को एक पत्र लिखकर मामले की सच्चाई का पता लगाकर स्थिति साफ करने के लिए कहा।

2 अलग-अलग रिपोर्ट देने वाले स्टाफ के गले की हड्डी बना जवाब
पहले ही 2 अलग-अलग रिपोर्ट जिसमें बिल्कुल उलट तथ्य पेश किए गए हैं, देने वाले स्टाफ के लिए मामले की सच्चाई बताना उनके गले की हड्डी बनता प्रतीत हो रहा है। इतने विरोधाभास वाली रिपोर्टें देने के बाद अब किस रिपोर्ट को सही कहें और किसे गलत ठहराएं, यह तय करना बेहद मुश्किल साबित होने वाला है, क्योंकि जिस रिपोर्ट को भी गलत ठहराया जाएगा, उसे जारी करने वाले पर विभागीय कार्रवाई होना लगभग तय है।

फैंसी नंबरों में गड़बड़ी आम बात, पहले भी सामने आ चुके हैं कई मामले
डी.टी.ओ. कार्यालय के अंदर फैंसी नंबरों को लेकर गड़बड़ी की बात सामने आना कोई नई बात नहीं है, क्योंकि इससे पहले भी बहुत बार ऐसे ही कई मामले सामने आ चुके हैं, जिसमें विभाग के रिकार्ड और असली दस्तावेजों में काफी अंतर देखने को मिल चुका है। विभाग में हर तरफ फैले भ्रष्टाचार के कारण यहां पैसे देकर कुछ भी करवाना संभव है और इस मामले में भी पैसे लेकर गलत आर.सी. जारी करने जैसी बात सामने आ सकती है।

लाइसैंस वैरीफिकेशन में भी 2 रिपोर्ट देकर फंस चुके हैं कर्मचारी
कुछ समय पहले अपनी गाड़ी का इंश्योरैंस क्लेम लेने के लिए एक व्यक्ति द्वारा भेजी गई लाइसैंस वैरीफिकेशन की रिपोर्ट और बाद में इंश्योरैंस कंपनी द्वारा दोबारा से मांगी गई वैरीफिकेशन में अलग रिपोर्ट देने पर भी डी.टी.ओ. कार्यालय के कर्मचारी बुरी तरफ से फंस चुके हैं और उस मामले को भी बाद में बड़ी मुश्किल से रफा-दफा किया गया था। मगर एक बात साफ है कि विभाग के रिकार्ड में कुछ तो ऐसी गड़बड़ है जिसके चलते 2 अलग-अलग रिपोर्ट जारी की जाती रहती हैं।

गलत जानकारी देने पर हो सकती है कानूनी कार्रवाई, पर्चा हो सकता है दर्ज
जिस प्रकार से पी.बी. 08 एएफ 0024 की वैरीफिकेशन में गाड़ी फोर्ड आईकान और मालिक सुखदेव सिंह बताए गए और बाद में दूसरी वैरीफिकेशन में गाड़ी इनोवा और मालिक सांपला बताए गए, उसको देखकर यह कहना गलत नहीं होगा कि गलत जानकारी देने वाले स्टाफ पर कानूनी कार्रवाई की जा सकती है और उसके खिलाफ पर्चा भी दर्ज हो सकता है। 

एक नंबर 2 लोगों को नहीं हो सकता अलाट, बाद में लगा नंबर गलत : आर.टी.ए.
आर.टी.ए. दरबारा सिंह से इस बारे में बात की गई तो उन्होंने कहा कि उक्त मामला उनके कार्यभार संभालने से पहले का है। मगर इतना तय है कि एक नंबर 2 लोगों को अलाट नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि कर्मचारी ने रिकार्ड के अनुसार ही रिपोर्ट दी होगी और बाद में लगा नंबर गलत हो सकता है। इस मामले की जांच करवाई जाएगी और अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसके खिलाफ बनती कार्रवाई की जाएगी।

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