RTA ने 3 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों को जारी किया शोकॉज नोटिस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Oct, 2017 09:16 AM

driving training school

सैक्रेटरी आर.टी.ए. दरबारा सिंह ने शहर के 3 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों को शोकॉज नोटिस जारी किए हैं, क्योंकि तीनों स्कूलों द्वारा बिना परमिशन हैजर्ड गुड्ज ट्रेङ्क्षनग सर्टीफिकेट जारी किए जा रहे थे। तीनों स्कूलों को 10 दिन के अंदर-अंदर अपना जवाब देने...

जालंधर(अमित): सैक्रेटरी आर.टी.ए. दरबारा सिंह ने शहर के 3 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों को शोकॉज नोटिस जारी किए हैं, क्योंकि तीनों स्कूलों द्वारा बिना परमिशन हैजर्ड गुड्ज ट्रेङ्क्षनग सर्टीफिकेट जारी किए जा रहे थे। तीनों स्कूलों को 10 दिन के अंदर-अंदर अपना जवाब देने के लिए कहा गया है। अगर जवाब संतोषजनक नहीं आता है, तो तीनों का ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल लाइसैंस रद्द भी किया जा सकता है।

जिले में 66 स्कूलों को मिला लाइसैंस, कितने चालू पता नहीं
परिवहन विभाग के रिकार्ड की मानें तो जिले में कुल 66 ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूलों को लाइसैंस मिला हुआ है। मगर असल में कितने चालू हैं इसको लेकर विभाग के पास कोई जानकारी ही नहीं है। इतना ही नहीं बिना लाइसैंस के कितने स्कूल चल रहे हैं, इसको लेकर भी अधिकारियों के पास कोई जानकारी मौजूद ही नहीं है।

क्या है मामला, क्यों जारी किया गया शोकॉज नोटिस?
सैक्रेटरी आर.टी.ए. के पास एस.टी.सी. (स्टेट ट्रांसपोर्ट कमिश्नर) दफ्तर से एक पत्र प्राप्त हुआ था, जिसमें बंसी सिंह पहाडिय़ा की शिकायत नंबर 577-2106 के तहत 3 ड्राइविंग स्कूल, जिसमें नैशनल इंजीनियरिंग कालेज, इंटरनैशनल ड्राइविंग स्कूल और टी.आई.टी. द्वारा 2016 में हैजर्ड गुड्ज चलाने वाली गाडिय़ों को ट्रेनिंग सर्टीफिकेट जारी करने की परमिशन समाप्त होने के बावजूद सर्टीफिकेट जारी करने का दोषी बताया गया है, जिसके चलते उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी किए गए हैं।

अधिकतर स्कूलों की कारें किसी अन्य नाम से हैं रजिस्टर्ड
जिले में अधिकतर ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल ऐसे हैं, जिन्हें लाइसैंस तो किसी नाम से मिला हुआ है, मगर वे अपना कारोबार किसी अन्य नाम से रजिस्टर्ड कार से आप्रेट कर रहे हैं, जोकि सरासर गल्त और गैर-कानूनी है। नियमानुसार जिस नाम से लाइसैंस लिया गया है, उसी नाम से कार का रजिस्टर्ड होना अनिवार्य है।
 
ड्यूल ब्रेक सिस्टम के बिना गाडिय़ों में दी जा रही ट्रेनिंग
बहुत से स्कूल ऐसे हैं जिन्हें कायदे-कानून की रत्ती भर परवाह नहीं है, क्योंकि ऐसे स्कूलों में जिन गाडिय़ों का इस्तेमाल ट्रेनिंग देने के लिए किया जा रहा है, उनमें ड्यूल ब्रेक सिस्टम इंस्टाल ही नहीं करवाया गया है।

कइयों के लाइसैंस हो चुके हैं एक्सपायर, नहीं करवाए रिन्यू
बहुत से स्कूल ऐसे भी हैं, जिनके लाइसैंस की अवधि एक्सपायर (समाप्त) हो चुकी है। मगर आज तक उनकी तरफ से विभाग में रिन्युवल के लिए आवेदन ही नहीं जमा करवाए गए हैं, जिसकी वजह से वे अनधिकृत स्कूल चलाकर कानून के साथ सरेआम खिलवाड़ कर रहे हैं। 

लाइसैंस में दिया पता और कारोबार का पता अलग
जिले में मौजूद अधिकतर स्कूलों का लाइसैंस में कोई पता दर्ज करवाया गया है, जबकि असलियत में वे किसी अन्य जगह से अपना कारोबार चला रहे हैं और इसकी सूचना विभाग के पास दी ही नहीं गई है। जिससे उनका डाटा अपटेड करना मुमकिन नहीं है।

सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाह बेहद जरूरी : बलबीर सिंह
ए.टी.ए. बलबीर सिंह ने कहा कि ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल का बहुत बड़ा रोल है, क्योंकि उनके द्वारा अगर सही ट्रेनिंग दी जाती है, तो सड़कों पर सही ड्राइवर आते हैं, जबकि लापरवाह रुख अख्तियार करने से घटिया ड्राइवर सड़कों पर वाहन चलाकर न केवल अपनी बल्कि अन्यों की जान से भी खिलवाड़ करते हैं। इसलिए ड्राइविंग स्कूलों द्वारा अपनी सामाजिक व नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाह करना बेहद जरूरी है। और उन्हें सारे नियमों का पालन करना अनिवार्य है।

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