सर्टीफिकेट बनवाने के लिए अस्पतालों के चक्कर काटते हैं दिव्यांग,फिर भी नहीं होती कोई सुनवाई

Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Dec, 2017 09:04 AM

doctors revolve around hospitals to make certificates

पंजाब में दिव्यांग व्यक्तियों को सरकार कई सुविधाएं देने के दावे कर रही है मगर असल में स्थिति यह है कि उन्हें दिव्यांग का सर्टीफिकेट लेने के लिए ही कई-कई सप्ताह अस्पतालों व डाक्टरों के चक्कर काटने पड़ते हैं।

फरीदकोट (हाली): पंजाब में दिव्यांग व्यक्तियों को सरकार कई सुविधाएं देने के दावे कर रही है मगर असल में स्थिति यह है कि उन्हें दिव्यांग का सर्टीफिकेट लेने के लिए ही कई-कई सप्ताह अस्पतालों व डाक्टरों के चक्कर काटने पड़ते हैं। दिव्यांगों की भलाई के लिए काम कर रहीं जत्थेबंदियों द्वारा बार-बार मांग करने के बाद भी न तो सेहत विभाग परवाह करता है और न ही जिला प्रशासन उनकी सुनवाई करता है। नतीजा यह निकलता है कि दिव्यांगों को सिर्फ चक्कर दर चक्कर काटने पड़ रहे हैं।

लगातार चक्कर काटने का बड़ा कारण दिव्यांग सर्टीफिकेट बनवाने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा फरीदकोट जिले में सिर्फ एक ही दिन बुधवार रखा गया है। बड़ी संख्या में जरूरतमंद सिविल अस्पताल पहुंचते हैं मगर यहां पूरी व्यवस्था न होने के कारण उन्हें पूरा दिन परेशान होना पड़ता है।

विभाग किस-किस को दिव्यांग मानता है
स्वास्थ्य विभाग पंजाब द्वारा दिव्यांग सर्टीफिकेट को डिसएबिलिटी सर्टीफिकेट का नाम दिया गया है, जिसमें हर उस व्यक्ति को शामिल किया गया है जो शारीरिक तौर पर अंग गंवा चुका हो, जिसकी आंखों की रोशनी कम हो, अंधेपन का शिकार हो, ऊंचा सुनता हो, गूंगा या बहरा हो, दिमागी तौर पर अनफिट हो व किसी गंभीर शारीरिक बीमारी से पीड़ित हो।

ऐसे व्यक्तियों के लिए दिव्यांग सर्टीफिकेट बनाने के लिए सरकार ने सरल व आसान तरीका तैयार किया है, जिसमें संबंधित व्यक्ति को अपना नाम, पता, उम्र, व्यवसाय, आमदन प्रति महीना, सर्टीफिकेट लेने का मंतव्य व विनयकार शरीर के किस हिस्से से व कब से पीड़ित है, भरकर क्षेत्र के सरकारी अस्पताल के वरिष्ठï मैडीकल अफसर को देना होता है। उसके बाद व्यक्ति को संबंधित डाक्टर के पास जाकर अपनी अंगहीनता संबंधी रिपोर्ट करवानी होती है व उसके बाद वरिष्ठï मैडीकल अफसर अपनी मोहर लगाकर सर्टीफिकेट जारी कर देता है।

परेशान होते दिव्यांग
गत काफी समय से डिस्क की समस्या से जूझ रहे रूपिन्द्रपाल सिंह ने बताया कि उसने अपना दिव्यांग सर्टीफिकेट लेने के लिए दो बार फाइल भरकर दी मगर डाक्टरों ने हर बार उसका सर्टीफिकेट बनाने से यह कहकर इंकार कर दिया कि यह समस्या ठीक होने योग्य है।

हादसे में एक आंख गंवा चुके विक्की कुमार ने बताया कि उसे डाक्टरों ने दिव्यांग का पूरा सर्टीफिकेट नहीं दिया क्योंकि डाक्टरों के कहने अनुसार विभाग की शर्तों मुताबिक एक आंख भंग होने पर नेत्रहीन वाला पूरा सर्टीफिकेट नहीं दिया जा सकता। रत्ती रोड़ी के सूखम सिंह ने बताया कि उसे अपना सर्टीफिकेट बनाने के लिए काफी जद्दोजहद करनी पड़ी मगर अब वह अन्य दिव्यांगों की मदद करके उन्हें परेशान होने से बचाने में लगा हुआ है।

नहीं होती कोई सुनवाई 
दिव्यांगों की भलाई के लिए काम कर रही जत्थेबंदी अंगहीन यूनियन के राज्य उप प्रधान जोरा सिंह धालीवाल व डा. अम्बेदकर अंगहीन वैल्फेयर यूनियन के जिला प्रधान हरसंगीत सिंह गिल ने बताया कि वह गत काफी समय से दिव्यांगों के लिए बनने वाले सर्टीफिकेटों प्रति स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को मिलकर परेशानियों का हल करने के लिए कह चुके हैं मगर कोई सुनवाई नहीं हुई। दिव्यांग व्यक्तियों को सर्टीफिकेट के लिए विभिन्न माहिर डाक्टरों के पास भेजा जाता है जो मुख्य परेशानी का कारण बनता है।

फरीदकोट में सबसे बड़ी समस्या दिव्यांग का सर्र्टीफिकेट बनाने में आती है क्योंकि यहां कोई डाक्टर न होने के कारण वह व्यक्ति को अमृतसर अस्पताल के लिए रैफर कर देते हैं। जबकि गूंगे-बहरे, नेत्रहीन और डिस्क की मुश्किल वाले को गुरु गोबिन्द सिंह मैडीकल अस्पताल में भेज दिया जाता है। यहां इन व्यक्तियों की कोई सुनवाई न होने के कारण इन्हें और इनके वारिसों को कई-कई सप्ताह परेशान होना पड़ता है।

क्या हैं मांगें
दिव्यागों की भलाई के लिए काम करती जत्थेबंदियां मांग करती हैं कि सर्टीफिकेट वाले दिन आए दिव्यांगों के बैठने और पीने वाले पानी का प्रबंध किया जाए। सरकार से भी मांग करते हैं कि किए ऐलान के मुताबिक उनका बस किराया पूरा माफ किया जाए और परिवार के दिव्यांग प्रमुख होने के कारण उस परिवार को 200 यूनिट बिजली मुफ्त दी जाए।

क्या कहते हैं अधिकारी
पंजाब सरकार की तरफ से दिव्यांगों के लिए सर्टीफिकेट बनाने के लिए दिन निश्चित किए हैं और नियम भी बनाए हुए हैं। जिस भी डाक्टर को अपंगता संबंधी जांच के लिए भेजा जाता है, वह डाक्टर नियमों अनुसार ही संबंधित व्यक्ति की अपंगता प्रतिशत लिखता है। उन्होंने बताया कि बुधवार वाले दिन सर्टीफिकेट बनाने हेतु आने वालों के लिए बैठने के लिए बैंचों का भी प्रबंध किया गया है। 
सिविल सर्जन डा. रजिन्द्र कुमार  

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