Edited By swetha,Updated: 11 Mar, 2020 10:29 AM
परगट सिंह ने अपनी ही सरकार पर दागे गोल
जालंधर(सोमनाथ): मौसम में बदलाव आना शुरू हो गया है। जैसे-जैसे तापमान बढ़ रहा है, वैसे-वैसे पंजाब कांग्रेस के अंदर भी गर्माहट आनी शुरू हो गई है। कांग्रेस के अपने ही विधायक, मंत्री और यहां तक कि केंद्रीय नेता भी कैप्टन सरकार को घेरने में लगे हैं। 2017 में पंजाब में हुए विधानसभा चुनावों के दौरान जिन मुद्दों को उठाते हुए कांग्रेस ने राज्य की सत्ता हासिल की थी, तीन साल बाद वही मुद्दे फिर से गर्माने लगे हैं और सरकार को विपक्ष के साथ-साथ अपने विधायक और नेता घेरते नजर आ रहे हैं।
वायदों को पूरा न कर सके कैप्टन
न तो पंजाब में नशे का खात्मा हुआ है और न ही किसानों की आर्थिक हालत में सुधार आया है। कर्ज के बोझ तले दबी सरकार को अपने मुलाजिमों का वेतन देने के लिए कर्ज उठाना पड़ रहा है। आम आदमी की सुनवाई होना तो दूर की बात कैप्टन अमरेन्द्र सिंह के विधायकों से नहीं मिलने के कारण उनमें रोष पनप रहा है और अफसर उनकी सुन नहीं रहे हैं। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर खुद विधायक ही सरकार को घेर रहे हैं।
सिद्धू भी सियासी रोष की सोनियां गांधी से कर चुके हैं स्थिति स्पष्ट
राज्य में शराब माफिया बेलगाम है और पिछले दिनों पूर्व निकाय मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू खुद कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी से मिलकर कांग्रेस के अंदर पनप रहे सियासी रोष और प्रदेश के हालात पर स्थिति स्पष्ट कर चुके हैं। पंजाब से राज्यसभा सांसद और पंजाब प्रदेश कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा भी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह की सरकार पर हमले पर हमला बोल रहे हैं। बाजवा ने केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद को एक चिट्ठी लिखकर पंजाब में ड्रग्स के मामलों को लेकर पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में रखी सीलबंद रिपोर्ट्स को खोलने और दोषियों पर कार्रवाई करने का निवेदन किया है। बाजवा ने अपनी चिट्ठी में कहा है कि इस मामले में न तो भारत सरकार और न ही पंजाब सरकार ठीक से पैरवी कर रही है और इस वजह से जिन बड़े नामों का खुलासा पंजाब पुलिस की एस.टी.एफ. की सील बंद रिपोर्ट में होना चाहिए वह नहीं हो पा रहा और न ही केंद्र सरकार और न ही पंजाब सरकार अपना पक्ष ठीक से हाईकोर्ट में रख रही हैं।
परगट सिंह ने अपनी ही सरकार पर दागे गोल
कैप्टन सरकार की नाकामियों को उजागर करते हुए कांग्रेस के विधायक और भारतीय हॉकी टीम के पूर्व कप्तान परगट सिंह ने भी कुछ सप्ताह पहले शराब माफिया और खनन माफिया का मुद्दा उठाते हुए अपनी ही सरकार पर गोल दागा था। उन्होंने चुनाव घोषणापत्र में जनता से किए वादे की याद दिलाते हुए कैप्टन अमरेन्द्र सिंह को भेजे गए पत्र की एक कॉपी कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी भेजी थी। भले ही परगट सिंह इसे पार्टी का अंदरूनी मामला बता रहे हैं लेकिन मीडिया में उनका लिखा पत्र लीक होने के बाद पार्टी के भीतर चल रही खींचातानी की खबरें बाहर आने लगी हैं। परगट सिंह ने मुख्यमंत्री को भेजे पत्र में लिखा है कि वह दिसम्बर 2019 में भी पत्र लिख चुके हैं। उसमें उन्होंने उस समय भी नशे के खिलाफ राज्य सरकार की विफलता का मामला उठाया था। नए पत्र में परगट सिंह ने कहा है कि सरकार राज्य में शराब माफिया और खनन माफिया पर लगाम कसने में नाकाम रही है। माफिया राज ठीक उसी तरह चल रहा है, जैसे बादल सरकार के समय चल रहा था। राज्य में भ्रष्टाचार पर भी अंकुश नहीं लगाया जा सका। उन्होंने कैप्टन को चुनाव घोषणापत्र में जनता के किए वादों की याद भी दिलाई और कहा कि जनता से किए वादे पूरे नहीं हो सके हैं।
कप्तान मिलते नहीं, ब्यूरोक्रेसी सुनती नहीं
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह पर पहले भी ये आरोप लगते रहे हैं कि उनका जनसाधारण तो दूर अपने विधायकों के साथ भी सीधा संपर्क नहीं है। यहां तक कि राज्य के कांग्रेस अध्यक्ष तक को वह मिलने का समय नहीं देते। इस कारण मुख्यमंत्री कै. अमरेन्द्र सिंह की कार्यप्रणाली से नाराज विधायकों में लगातार सरकार के प्रति रोष पनप रहा है। कैप्टन से नाराज विधायक अब पाला बदलने की तैयारी में हैं। इनमें कई सीनियर नेता भी हैं, कुछ वे विधायक भी हैं जो 3 से 4 बार जीतकर विधानसभा में पहुंचे हैं। कैप्टन से विधायकों की नाराजगी का एक कारण ब्यूरोक्रेसी में उनकी कोई सुनवाई नहीं होना भी है। राज्य में विद्युत उत्पादन कंपनियों के साथ हुए समझौतों व थर्मल प्लांटों को लेकर पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने 9 फरवरी को तलवंडी साबो के गांव वनांवाली में लोगों की समस्याएं सुनीं और विश्वास दिलवाया कि वे उनकी समस्याओं की मुख्यमंत्री तक पहुंचाएंगे। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री कार्यालय से मिलने का समय मांगा परन्तु तीन दिन बीत जाने के बाद भी कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने अपने प्रदेशाध्यक्ष को दर्शन देना उचित नहीं समझा।
कैप्टन सरकार को घेरते राजा वडिंग
राजा वडिंग ने विधानसभा सत्र के दौरान अपनी ही पार्टी की सरकार को घेरते हुए कहा कि सरकार ट्रांसपोर्ट माफिया को खत्म करने के लिए कोई पॉलिसी नहीं ला पाई है। साथ ही उन्होंने भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाते हुए सरकार की नाकामियों की पोल खोल दी। उन्होंने कहा कि काफी मशक्कत के बाद पी.आर.टी.सी. की एक ए.सी. बस का रूट चंडीगढ़ के लिए शुरू करवाया था लेकिन आर.टी.ओ. हरदीप सिंह की वजह से रीन्यू नहीं हो पाया और बस बंद हो गई। उक्त अधिकारी भ्रष्टाचार और गबन के मामले में पुलिस को वांछित है और इन दिनों गिरफ्तारी से बचने के लिए भागा हुआ है।वडिंग ने कहा कि पता नहीं सरकार की क्या नीति है क्योंकि लंबे समय से ट्रांसपोर्ट मंत्री को गुजारिश करते आ रहे हैं कि उक्त भ्रष्ट आर.टी.ओ. को ट्रांसफर कर दिया जाए, लेकिन पहले तत्कालीन मंत्री अरुणा चौधरी हाथ खड़े करती रही हैं और अब मौजूदा मंत्री रजिया सुल्ताना भी ऐसा ही कह रही हैं। मुख्यमंत्री की नीतियों का खुला विरोध करने वाले परगट सिंह कांग्रेस के पहले विधायक नहीं हैं। उनसे पहले सुरजीत धीमान, रणदीप सिंह, निर्मल सिंह, हरदयाल कंबोज, मदनलाल जलालपुर, राजिंदर सिंह और राजा वडिंग भी सरकार के कामकाज पर सवाल उठा चुके हैं।