चावल की मांग में कमी के कारण इंडस्ट्रीज संचालकों के लिए मुश्किलें बढ़ी

Edited By Sonia Goswami,Updated: 25 Apr, 2018 05:12 PM

decrease in the demand for rice difficulties for industry operators increased

पिछले कुछ वर्षों दौरान सरहद पट्टी व खास कर जलालाबाद की राईस इंडस्ट्रीज चावल की लगातार घट रही मांग के कारण मुश्किलों में घिरती हुई नजर आ रही है।

जलालाबाद (सेतिया): पिछले कुछ वर्षों दौरान सरहद पट्टी व खास कर जलालाबाद की राईस इंडस्ट्रीज चावल की लगातार घट रही मांग के कारण मुश्किलों में घिरती हुई नजर आ रही है। आलम है कि जिस भाव पर राईस इंडस्ट्रीज द्वारा धान की खरीद की गई थी उस मुताबिक देश के प्रांतीय बाजार में इसकी कीमत नहीं मिल रही है। इस सीजन की नहीं बल्कि पिछले कुछ सीजनों दौरान लगातार राईस इंडस्ट्रीज को भाव की कमी के कारण घाटे का सामना करना पड़ रहा है। 


इस संबंधी राईस इंडस्ट्रीज के संचालक अश्वनी सिढ़ाना का कहना है कि पहले चावल की आमद पंजाब में सबसे ज्यादा होती थी लेकिन अब पड़ोसी राज्य हरियाणा, राजस्थान के अलावा अन्यों राज्यों में चावल की खेती जोरों पर हो रही है। इसके अलावा अरब देशों में भी चावल की मांग कम होने से बासमति के भाव नहीं मिल रहे जिस कारण राईस इंडस्ट्रीज पीछे  जाने के लिए मजबूर है। 

 

उद्योगपति राजिंदर घीक का कहना है कि पहले भारत ईरान व इराक से कच्चा तेल खरीदता था तथा भारत का चावल काफी मात्रा में इन देशों में एक्सपोर्ट होता था लेकिन अब आलम यह है कि भारत देश कच्चा तेल अमरीका  से खरीद रहा है। इन देशों से तेल की खरीद न होने के कारण उक्त देशों ने भारत का चावल लेना बंद कर दिया है। 

 

इस संबंधी जब कांग्रेस बुद्धिजीवी सैल के राज्य चेयरमैन अनीश सिढ़ाना से बात की गई तो उनका कहना था कि राज्य सरकार द्वारा प्रत्येक वर्ग के लिए कुछ न कुछ करने की कोशिशें की जा रही है। हाल ही में राज्य सरकार द्वारा अरोड़ा बिरादरी से संबंधित सुंदर शाम अरोड़ा को उद्योग मंत्री के पद से नवाजा गया है। वह पूरी कोशिश करेंगे कि उनके सरहदी इलाके फाजिल्का का दौरा करके यहां के हालातों संबंधी अवगत करवाएं ताकि यहां एक तो कोई बड़ी इंडस्ट्रीज लगाई जा सकें तथा दूसरा राईस मिलरों को राहत दिलाई जा सकें।  

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