सीवरेज पर करोड़ों रुपए खर्च, फिर भी सड़कों पर 3-3 फुट पानी

Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Aug, 2017 09:34 AM

crores of rupees spent on sewerage  still 3 3 feet water on roads

लाखों की आबादी वाला शहर आज भी सैनेटरी सीवरेज के सहारे चल रहा है। स्ट्रॉम सीवरेज शहर के गंदे नाले को ढंकने एवं जहां पी.डब्ल्यू.डी. ने बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट तहत काम किया, वहां डाला गया है, बाकी शहर का सारा पानी सैनेटरी सीवरेज में जा रहा है।

अमृतसर(रमन): लाखों की आबादी वाला शहर आज भी सैनेटरी सीवरेज के सहारे चल रहा है। स्ट्रॉम सीवरेज शहर के गंदे नाले को ढंकने एवं जहां पी.डब्ल्यू.डी. ने बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट तहत काम किया, वहां डाला गया है, बाकी शहर का सारा पानी सैनेटरी सीवरेज में जा रहा है।

शहर में 1,000 वर्ग कि.मी. रकबे के लगभग सीवरेज डाला गया है, जिसमें कई इलाकों में 25 साल पुराना सीवरेज भी है।इसकी लाइफ खत्म हो चुकी है। शहर में थोड़ी-सी बारिश हो जाए तो सड़कों पर 3-3 फुट पानी भर जाता है।

सीवरेज पर करोड़ों रुपए खर्च किए, लेकिन हाल फिर भी वैसा ही है। बारिश में सड़कों पर पानी खड़ा होने से लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। शहर में जायका प्रोजैक्ट ने 460 वर्ग कि.मी. क्षेत्र में सीवरेज डालना था, जब तक उनका काम चलता रहा, सारा शहर त्राहि-त्राहि करता रहा। जायका प्रोजैक्ट के तहत सीवरेज डलने के बाद भी शहर की सीवरेज व्यवस्था की हालत नहीं सुधरी। 

शहर में सीवरेज डालने का काम सीवरेज बोर्ड का है, लेकिन उसकी मैंटीनेंस का जिम्मा नगर निगम का है। शहर में नगर निगम के पास सीवरेज ब्लॉकेज खोलने के लिए सुपर-सक्कर, जैटिंग मशीनें हैं एवं हर वार्ड में पार्षदों को सीवरमैन दिए गए हैं, जिसे कोई भी परेशानी आती है तो उनके द्वारा समस्या हल की जाती है। 

शहर में भले ही मास्टर प्लान बने हैं, लेकिन उनके अनुसार विभाग आज भी काम नहीं करता। कालोनियां बनती जा रही हैं और सड़कों पर ट्रैफिक बढ़ता जा रहा है। शहर में ट्रैफिक को लेकर एक अलग से मास्टर प्लान बनना था, लेकिन किसी अधिकारी ने आज तक उस पर काम ही नहीं किया। थोड़ी-सी बारिश से सड़कों पर पानी खड़ा होने से लोगों की दुकानदारी चौपट हो जाती है व कई-कई दिन बारिश का पानी दुकानों के बाहर खड़ा रहता है। वहीं बात करें शहर में विकास कार्यों के प्रोजैक्टों की तो प्रोजैक्टों पर काम तो होता है लेकिन उन्हें पूरी तरह से अमलीजामा नहीं पहनाया जाता। 

बरसात का पानी सीवरेज को करता है ओवर-फ्लो
शहर में जब भी बारिश पड़ती है तो बरसात का पानी सैनेटरी सीवरेज में चला जाता है, जिससे सारा सीवरेज का पानी ओवर-फ्लो होकर बैक मार जाता है और सड़कों पर पानी खड़ा हो जाता है। शहर में बरसाती पानी के लिए स्ट्रॉम सीवरेज जरूरी है, लेकिन वह कुछ ही हिस्सों में डाला गया है, उसमें कुछ ही हिस्सों का पानी जाता है। सैनेटरी सीवरेज लोगों के घरों के पानी के लिए है न कि शहर के बरसाती पानी के लिए। 

मास्टर प्लान तो बना पर वह भी अधूरा है

50 साल पहले शहर का क्षेत्र 18 वर्ग कि.मी. के लगभग था परन्तु अब यह 139 वर्ग कि.मी. में फैला हुआ है। इसमें रईया कमेटी को अलग किया गया है। शहर के 12 गेटों के अंदर आज भी ऐसी गलियां हैं, जहां सीवरेज व्यवस्था का बुरा हाल है। शहर में 18 वर्ग कि.मी. में फैले अमृतसर के साथ 1976 में छहर्टा कमेटी को जोड़ा गया था, उसके बाद इसके साथ वेरका एवं वल्ला को भी निगम हदबंदी में लिया गया। 1988 में सुल्तानविंड को भी कवर कर लिया गया। 1994 में माहल पिंड, खैराबाद का कुछ हिस्सा, गुमटाला पिंड, मीरांकोट का कुछ हिस्सा निगम हदबंदी के अंदर जोड़ लिया गया। मुद्दल गांव को निगम हदबंदी में लाने के लिए प्रस्ताव बनाया गया है।

शहर में 2017 निगम चुनाव में हदबंदी में और इलाकों को भी शहर के साथ जोड़ा जा रहा है, लेकिन आज भी दर्जनों इलाकों में 25 साल पुरानी सीवरेज की पाइप पड़ी हुई है और आए दिन वहां पर सीवरेज ब्लॉकेज रहती है। मास्टर प्लान में प्लाङ्क्षनग के दौरान बी.आर.टी.एस. प्रोजैक्ट नहीं आया था। प्लान के तहत 12 से 15 प्रतिशत हरियाली होनी चाहिए, लेकिन वह 5 से 7 प्रतिशत ही है। शहर में कालोनियां बनती जा रही हैं, विकास कार्य हो रहे हैं, लेकिन हरियाली पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है। कालोनियां बन रही हैं, परन्तु इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। सड़कों पर ट्रैफिक का भारी प्रैशर बना हुआ है। शहर में आबादी तो बढ़ रही है, पर इंफ्रास्ट्रक्चर आज भी वही है। 

...बनाए जा रहे हैं 3 सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट 
सीवरेज की समस्या के चलते सीवरेज बोर्ड द्वारा 3 सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट बनाए जा रहे हैं। सीवरेज बोर्ड के अनुसार एक व्यक्ति 135 लीटर पानी की खपत करता है। यह प्लांट गौंसाबाद रामतीर्थ रोड, खापड़ खेड़ी, चाटीविंड में बन रहे हैं।शहर के अंदर केबल कंपनी एवं टैलीकॉम कंपनी द्वारा अंडर-ग्राऊंड केबल डाली गई थी, जिससे कई बार सीवरेज व वाटर सप्लाई पाइपों को नुक्सान पहुंचा। शहर में कई हिस्से ऐसे हैं, जहां इन तारों को बिना इंजीनियर की देखरेख के डाला गया, जिससे सीवरेज को नुक्सान हुआ है, जिससे नए सीवेरज का भी कई जगह दम टूट चुका है।

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