पिम्स प्रबंधन के खिलाफ की जाए CBI जांच, इम्प्लाइका यूनियन ने प्रधानमंत्री से लगाई गुहार

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Sep, 2017 09:03 AM

cbi probe against pims management

पिम्स में अलग-अलग काम कर रहे कर्मचारी जैसे कि पैरा मैडीकल स्टाफ जिसमें नॄसग स्टाफ, एक्स-रे टैक्नीशियन, बिलिंग स्टाफ, क्लैरिकल स्टाफ, इलैक्ट्रीशियन, प्लबंर आदि की तरफ से पिम्स इंप्लाइका यूनियन के बैनर तले पिम्स प्रबंधन .....

जालंधर (अमित): पिम्स में अलग-अलग काम कर रहे कर्मचारी जैसे कि पैरा मैडीकल स्टाफ जिसमें नॄसग स्टाफ, एक्स-रे टैक्नीशियन, बिलिंग स्टाफ, क्लैरिकल स्टाफ, इलैक्ट्रीशियन, प्लबंर आदि की तरफ से पिम्स इंप्लाइका यूनियन के बैनर तले पिम्स प्रबंधन के खिलाफ सी.बी.आई. जांच की मांग को लेकर प्रधानमंत्री के नाम एक पत्र लिखकर गुहार लगाई गई है। इतना ही नहीं पत्र में यूनियन ने पिम्स प्रबंधन द्वारा प्रदेश सरकार के साथ किए गए कन्सैशन एग्रीमैंट जिसके अनुसार पी.जी.आई. चंडीगढ़ के बराबर पैसे वसूलने का सीधा उल्लंघन करते हुए पैकेज सिस्टम चलाकर बहुत बड़ा घोटाला करने के भी गंभीर आरोप लगाए हैं।

यूनियन का कहना है कि बादल सरकार द्वारा 2000 करोड़ रुपए मूल्य की जगह केवल 131 करोड़ रुपए में 99 साल की लीका पर देकर एक प्राइवेट सोसाइटी को कौडिय़ों के भाव में बेच दी गई जिसमें अधिकतर हिस्सेदारी अकाली नेताओं की थी। जब यह अस्पताल खोला गया था तब कहा गया था कि इसे पी.जी.आई. व एम्स की तर्का पर खोला जा रहा है और इसके खुलने से दोआबा, माझा, जम्मू व हिमाचल प्रदेश के लोग इसका लाभ उठा सकेंगे। मगर जिस दिन से यह अस्पताल खुला है इसका विवादों से चोली दामन का साथ बना हुआ है, कभी यहां साफ-सफाई की बदहाल व्यवस्था को लेकर तो कभी फिल्म की शूटिंग करवाकर मरीकाों को परेशान करना, कभी चूहों द्वारा मरीकाों और उनके रिश्तेदारों को काख्मी करना, कभी फार्मेसी को लेकर विवाद होना और कभी महंगे इलाज को लेकर शिकायतों का आना, आज तक पिम्स में परेशानियां खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहीं।

इसलिए इस मामले की गंभीरता को देखते हुए इसकी उच्चस्तरीय जांच करवाना अनिवार्य है। यूनियन का कहना है कि जो सैलरी सारे कर्मचारियों को दी जाती है वह कैटागरी वाइका बराबर नहीं है और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के रूल के मुताबिक भी नहीं है, जबकि संबंधित डाक्टरों की सैलरी कैटागरी वाइका बिल्कुल बराबर है। यूनियन का कहना है कि उनकी सैलरी न तो सरकारी संस्थान के बराबर है और न ही प्राइवेट संस्थान के अनुसार है। हर साल केवल अपने चहेतों का ही सोचा जाता है और यूनियन सदस्यों का कोई ख्याल नहीं रखा जाता। इसके अलावा साल 2017 में अभी तक किसी भी कर्मचारी को सैलरी में इंक्रीमैंट नहीं मिली।

कर्मचारियों की भारी कमी के कारण क्लर्क वर्ग को दो-दो जगह पर ड्यूटी करनी पड़ रही है जिस वजह से कर्मचारियों पर काम का बोझ बहुत बढ़ गया है। यूनियन का कहना है कि टैक्नीकल और क्लैरीकल स्टाफ सहित नॄसग स्टाफ को आज तक बाबा फरीद यूनिवर्सिटी के रूल मुताबिक तरक्की नहीं दी गई है, जबकि डाक्टरों को तरक्की दी जा रही है। यूनियन सदस्यों के साथ सौतेला व्यवहार किया जा रहा है।

इस विवाद का स्थायी हल निकालने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार से भी मांग की गई है कि मौजूदा पिम्स प्रबंधन अस्पताल को सही ढंग से नहीं चला पा रहा है इसलिए प्रदेश सरकार को फौरन ठोस कदम उठाते हुए इसे अपने स्तर पर चलाना चाहिए ताकि यहां काम करने वाले स्टाफ के साथ-साथ आम जनता को भी इसका सही लाभ प्राप्त हो सके। यूनियन द्वारा लिखे गए पत्र में यह भी कहा गया है कि करोड़ों रुपए के इस घोटाले की हाई लैवल जांच और इंस्पैक्शन की जानी चाहिए क्योंकि इसमें बहुत से आई.ए.एस. अधिकारी व अन्य बड़े लोग शामिल हैं।

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