जालंधर: एन.ओ.सी. पॉलिसी के तहत अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया

Edited By Sunita sarangal,Updated: 25 Nov, 2020 01:34 PM

biggest scam ever revealed under noc policy

105 एकड़ में 18 अवैध कालोनियां काटने वाले एक ही कॉलोनाइजर पर निगम का बकाया है 20.91 करोड़ रुपए

जालंधर(खुराना): पंजाब में हजारों एकड़ में अवैध कालोनियां काटने वाले कालोनाइजरों ने अकाली-भाजपा सरकार दौरान राजनीतिक लोगों पर दबाव बनाकर 2013 में एन.ओ.सी. पॉलिसी घोषित करवाई थी जिसके तहत अवैध कालोनियों को फीस लेकर नियमित किया जाना था। यह पॉलिसी कई साल विभिन्न रूपों में जारी रही।

अकाली-भाजपा के बाद आई कांग्रेस सरकार ने भी कालोनाइजरों को राहत देने के उद्देश्य से इस पॉलिसी में कुछ बदलाव करके नई पॉलिसी घोषित की परंतु दोनों ही पॉलिसियों का कालोनाइजरों ने जमकर दुरुपयोग किया। इस एन.ओ.सी. पॉलिसी के चलते नगर निगमों के सरकारी अधिकारी तो मालामाल हो गए परंतु निगमों के हिस्से कुछ नहीं आया और उनकी कंगाली बरकरार रही।

अब इस एन.ओ.सी. पॉलिसी के तहत जालंधर निगम में हुए एक बड़े घपले बारे बिल्डिंग मामलों संबंधी कमेटी के चेयरमैन निर्मल सिंह निम्मा और सदस्य पार्षद विक्की कालिया ने पत्रकारों को बताया कि पिछले समय दौरान कैंट क्षेत्र से संबंधित एक कॉलोनाइजर ने 105 एकड़ भूमि पर काटी अपनी 18 अवैध कालोनियों को रैगुलराइज करवाने के लिए निगम पास एन.ओ.सी. पॉलिसी के तहत आवेदन दिए। इन अवैध कॉलोनियों को नियमित करने के बदले में निगम की फीस 21 करोड़ रुपए बनती थी परंतु उक्त कॉलोनाइजर ने निगम अधिकारियों से मिलीभगत का खेल खेलकर निगम खजाने में केवल 9 लाख रुपए ही जमा करवाए और आज भी उस कॉलोनाइजर की ओर 20.91 करोड़ रुपए बकाया है।

पार्षद निम्मा व पार्षद कालिया ने बताया कि यह तो निगम रिकॉर्ड के मुताबिक है परंतु वास्तव में इन कालोनियों का रकबा कहीं ज्यादा है जिस प्रकार इस कॉलोनाइजर की ओर ही निगम के करीब 50 करोड़ रूपए निकल सकते हैं। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में निगम रिकॉर्ड में दर्शाई गई सभी कालोनियों का रकबा चैक किया जाएगा और उक्त कॉलोनाइजर से फीस वसूलने की दिशा में भी प्रयास तेज किए जाएंगे। इस मामले को देख कर लगता है कि यह एन.ओ.सी. पॉलिसी के तहत अब तक का सबसे बड़ा घोटाला सामने आया है।

अवैध कॉलोनियों की सूची और उनका रकबा
- न्यू डिफैंस कॉलोनी ओल्ड फगवाड़ा रोड, 26 एकड़ = फीस जमा करवाई 2 .05 लाख
- गांव बडिंग पंचशील एवेन्यू, 3 एकड़ = फीस जमा करवाई 25 हजार
- गांव परागपुर रॉयल एस्टेट, 4.83 एकड़ = फीस जमा करवाई 88 हजार
- गांव परागपुर न्यू डिफेंस कॉलोनी फेस वन, 4.71 एकड़ = फीस जमा करवाई 15 हजार
- सोफी पिंड दीपनगर, 1.31 एकड़ = फीस जमा करवाई 90 हजार
- गांव बडिंग पंचशील, 3 एकड़ = फीस जमा करवाई 15 हजार
- गांव बडिंग मास्टर महंगा सिंह कॉलोनी, 3.82 एकड़ = फीस जमा करवाई 15 हजार
- मास्टर मैहंगा सिंह कॉलोनी एक्सटेंशन, 4.34 एकड़ = फीस जमा करवाई 75 हजार
- गांव बडिंग मास्टर महंगा सिंह कॉलोनी पार्ट-2, 9.5 एकड़ = फीस जमा करवाई 52 हजार
- गांव दकोहा रामनगर, 1.78 एकड़ = फीस जमा करवाई 1 लाख रुपए
- गांव बडिंग कॉलोनी फेस 2, 0.59 एकड़ = फीस जमा करवाई 10 हजार
- गांव बडिंग कालोनी फेस 3, 0.91 एकड़ = फीस जमा कराई 16 हजार
- गांव परागपुर डिफेंस कॉलोनी फेस वन, 21 एकड़ = फीस जमा कराई 82 हजार
- गांव परागपुर डिफैंस कॉलोनी फेस-2, 23 एकड़ = फीस जमा करवाई 90 हजार

विजिलैंस से करेंगे जांच की सिफारिश
पार्षद निम्मा व पार्षद कालिया ने बताया कि वह इस घोटाले की विजिलैंस से जांच की सिफारिश करेंगे क्योंकि यह बहुत बड़ा घोटाला है। उन्होंने कहा कि एन.ओ.सी. पॉलिसी के विपरीत जाकर निगम अधिकारियों ने कालोनाइजरों को फायदा पहुंचाया। कई आवेदन रिजैक्ट कर दिए गए जबकि वहां कालोनिया डिवैल्प हो चुकी है। कई सालों से निगम अधिकारियों ने करोड़ों रुपए वसूलने की ओर कोई ध्यान नहीं दिया और एक कमेटी की बैठक तक नहीं की जा रही।

यदि निगम ईमानदारी से ही अवैध कॉलोनियों की फीस वसूल कर ले तो इसकी कंगाली दूर हो सकती है। उन्होंने बताया कि आने वाले दिनों में इस बाबत और भी कई खुलासे किए जाएंगे क्योंकि जिस प्रकार 68 कालोनियों की सूची में 18 कालोनियां एक ही कालोनाइजर की हैं, उसी तरह एक अन्य की 8 कालोनियां हैं। कुल मिलाकर 8/10 कालोनाइजरों ने ही आपस में मिलकर 100 से ज्यादा कालोनियां काटी हैं।

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