Edited By Punjab Kesari,Updated: 24 Jun, 2017 02:47 AM
गत दिवस बरगाड़ी बेअदबी व बहबल कलां कांड के आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार....
मोहाली(नियामियां): गत दिवस बरगाड़ी बेअदबी व बहबल कलां कांड के आरोपियों को अभी तक गिरफ्तार न किए जाने को लेकर सिख जत्थेबंदियों में रोष है। इसी रोष को लेकर शुक्रवार को चंडीगढ़ में यूनाइटेड अकाली दल के बैनर तले पंथक जत्थेबंदियों द्वारा एक कांफ्रेंस की गई।
इस अवसर पर पार्टी के अध्यक्ष मोहकम सिंह ने कहा कि बरगाड़ी बेअदबी व बहबल कलां कांड की घटनाओं के आरोपियों को गिरफ्तार कर जल्द सजा दिलाई जाए व एस.जी.पी.सी. के तुरंत चुनाव करवाने की भी मांग उठाई। इसके बाद मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन 2 ओ.एस.डी. जगदीप सिंह सिद्धू तथा गुरप्रीत सिंह ढेसी को सौंपा गया। चंडीगढ़ के किसान भवन में आयोजित यूनाइटेड अकाली दल की इस कांफ्रैंस में अनेक पंथक जत्थेबंदियों के प्रतिनिधि तथा पंथदर्दी भी शामिल हुए।
एकनूर खालसा फौज के प्रवक्ता बलजीत सिंह गंगा, मोहन सिंह, सजा पूरी कर चुके कैदियों की रिहाई को लेकर भूख हड़ताल पर बैठ चुके गुरबख्श सिंह, बाबा चमकौर सिंह भाई रूपा, भाई हाकम सिंह अखंड कीर्तनी जत्था तथा अन्य धार्मिक नेताओं ने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि कैप्टन अमरेंद्र सिंह की सरकार ने बरगाड़ी कांड के आरोपियों को जल्द ही गिरफ्तार करने का वायदा किया था तथा हाथ में श्री गुटका साहिब पकड़कर एक महीने में नशा बंद करने का ऐलान किया था परंतु अभी तक सरकार अपने ये वायदे निभाने में नाकाम रही है। उन्होंने सरबत खालसा द्वारा मनोनीत किए गए श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार जगतार सिंह हवारा सहित सभी राजनीतिक कैदियों की रिहाई की मांग करते हुए जत्थेदार सूरत सिंह खालसा के संघर्ष की पूर्ण रूप से हिमायत की।
नियमानुसार हर 5 वर्ष बाद एस.जी.पी.सी. के चुनाव होने चाहिएं:
ऑल इंडिया सिख स्टूडैंट्स फैडरेशन के अध्यक्ष करनैल सिंह पीरमोहम्मद, सुरेंद्र सिंह किशनपुरा, वस्सन सिंह जफरवाल, डा. भगवान सिंह, जङ्क्षतद्र सिंह ईसड़ू, ज्ञानी दविंद्र सिंह, हरमिंद्र सिंह, डा. अनवर अहमद व अन्य ने कहा कि एस.जी.पी.सी. के चुनाव 6 वर्ष पहले हुए थे जबकि नियमानुसार हर 5 वर्ष के बाद ये चुनाव करवाए जाने जरूरी होते हैं। उन्होंने मांग की कि एस.जी.पी.सी. के चुनाव तुरंत करवाए जाएं।
सजा पूरी कर चुके लोगों को तुरंत रिहा किया जाए:
उन्होंने कहा कि जेलों में बंद जिन लोगों की सजा पूरी हो चुकी है परंतु अभी तक उन्हें रिहा नहीं किया गया, उन सबको तुरंत रिहा किया जाए, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म से संबंधित हों। उन्होंने कहा कि आजकल दोबारा सिख युवकों पर देशद्रोह तथा अन्य खतरनाक मामले दर्ज किए जा रहे हैं इसलिए इस रुझान को रोका जाए।
आनंद कारज एक्ट को पास करवाया जाए:
भाई मोहकम सिंह तथा गुरदीप सिंह भटिंडा ने मांग की कि आनंद कारज एक्ट को विधानसभा में पास किया जाए। उन्होंने कहा कि धर्मयुद्ध मोर्चा न तो जीता है, न हारा है तथा न ही छोड़ा गया है। उन्होंने कहा कि मोर्चे दौरान हुई हजारों शहीदियों को बेकार नहीं जाने दिया जाएगा। उनका संघर्ष पूर्ण रूप से शांतमयी रहेगा तथा समाज के हर भाईचारे को सहयोग दिया तथा लिया जाएगा। यह संघर्ष संवैधानिक दायरे में रहकर ही लड़ा जाएगा।
साधारण व्यक्तियों से आती है क्रांति:
पूर्व आई.ए.एस. अधिकारी कुलबीर सिंह सिद्धू ने सभी को सचेत करते हुए कहा कि संगठन के उद्देश्य निश्चित होने चाहिएं तथा ध्यान उन मुद्दों पर ही केंद्रित हो। उन्होंने कहा कि फ्रांस या रूस की क्रांति साधारण व्यक्तियों के कारण ही आई थी। भारत में भी गदरी बाबे, भगत सिंह, ऊधम सिंह, राजगुरु, सुखदेव तथा अन्य शहीदों ने आम व्यक्तियों के तौर पर संघर्ष करते हुए स्वतंत्रता हासिल की। इस अवसर पर यूनाइटेड अकाली दल के महासचिव सतनाम सिंह मनाणा, व्यापार सैल के चेयरमैन सीताराम दीपक, पुरुषोत्तम सिंह फगूवाला, जस्सा सिंह मंडियाला, सुरेंद्र सिंह किशनपुरा, हरविंद्र सिंह, साहिब सिंह, कुलविंद्र सिंह तथा अन्य वरिष्ठ नेता भी उपस्थित थे।
पुलिस एवं प्रदर्शनकारियों ने एक साथ खाया खाना:
इस बैठक के बाद सभी कार्यकत्र्ता अपने हाथों में विभिन्न नारों वाले बैनर लेकर जयकारे लगाते हुए विधानसभा की ओर रवाना होने के लिए चल पड़े परंतु चंडीगढ़ पुलिस ने किसान भवन के गेट के बाहर पूरी तरह से बैरिकेड लगाए हुए थे इसलिए सभी लोग किसान भवन में ही बंद होकर रह गए। इसी दौरान कुछ नौजवानों ने बोले सो निहाल के नारे लगाते हुए गेटों को खोल दिया तथा पुलिस को एक ओर करते हुए विधानसभा की ओर चल पड़े।
थोड़ी दूर जाने पर भारी पुलिस बल ने उन्हें घेर लिया तथा कुछ समय के लिए इन प्रदर्शनकारियों ने सड़क पर बैठ कर चक्का जाम कर दिया। इसी दौरान मुख्यमंत्री के 2 ओ.एस.डी. जगदीप सिंह सिद्धू व गुरप्रीत सिंह ढेसी वहां पहुंचे तथा उन्होंने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन हासिल किया। ज्ञापन देकर प्रदर्शनकारी वापस किसान भवन लौट आए तथा पुलिस वालों को भी दोपहर का खाना खाने का न्यौता दे डाला। एक पल पहले जहां पुलिस तथा इन प्रदर्शनकारियों के बीच हाथापाई हो रही थी वहीं दूसरे ही पल सभी एक ही जगह खाना खा रहे थे।