Edited By Updated: 07 Mar, 2017 10:42 AM
एक ओर डाक्टरों की कमी कारण 2,000 करोड़ की लागत से बना गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल कालेज व अस्पताल फरीदकोट मरीजों के लिए रैफर केंद्र बनकर रह गया है।
फरीदकोट (हाली): एक ओर डाक्टरों की कमी कारण 2,000 करोड़ की लागत से बना गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल कालेज व अस्पताल फरीदकोट मरीजों के लिए रैफर केंद्र बनकर रह गया है। दूसरी ओर इस मैडीकल कालेज को चला रही बाबा फरीद मैडीकल यूनिवर्सिटी बादलों के हलकों पर मेहरबान हो रही है।
सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पंजाब सरकार ने पुडा की मदद से उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल के विधानसभा हलके जलालाबाद में 50 बैडों का अस्पताल बनाया था, जिसकी समर्था बाद में 100 बैडों की कर दी थी परंतु यहां वांछित माहिर डाक्टर भर्ती नहीं किए गए। चुनाव परिणाम सिर पर होने के कारण पंजाब सरकार ने गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल कालेज के डाक्टरों को जलालाबाद के अस्पताल में सेवाएं देने के लिए कहा था। उसके बाद फरीदकोट के 3 माहिर डाक्टर अपनी बारी मुताबिक जलालाबाद के अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं जबकि इन डाक्टरों की हाजिरी फरीदकोट में लगती है व इन्हें वेतन भी बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ही दे रही है।
इसी तरह 3 माहिर डाक्टरों को भटिंडा के कैंसर अस्पताल में ड्यूटी पर भेजा जा रहा है। दोनों स्टेशनों पर डाक्टरों को बाबा फरीद यूनिवर्सिटी अपने खर्चे पर गाड़ी देकर रोजाना भेज रही है। हालांकि एम.सी.आई. की हिदायतों के अनुसार गुरु गोबिंद सिंह मैडीकल कालेज व अस्पताल के डाक्टरों को किसी भी अन्य विभाग में सेवाएं देने के लिए नहीं भेजा जा सकता। एम.बी.बी.एस. व एम.डी. की पढ़ाई करने वाले विद्यार्थियों को जलालाबाद व भटिंडा के अस्पतालों में भेजा जा रहा है जबकि इन विद्यार्थियों को मैडीकल कालेज से 30 किलोमीटर से दूर नहीं भेजा जा सकता है। सिखलाई अंतर्गत एम.बी.बी.एस. के 2 विद्यार्थियों को सिखलाई के लिए बाजाखाना सैंटर में भेजा जाता है परंतु हकीकत में यह भटिंडा में काम कर रहे हैं।