...तो ये है साधारण महिला से 'राधे मां' बनने तक की कहानी

Edited By Updated: 04 Aug, 2015 10:07 AM

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पंजाब की रहने वाली राधे मां के खिलाफ मुंबर्इ में दहेज के लिए प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है।

लुधियानाः पंजाब की रहने वाली राधे मां के खिलाफ मुंबर्इ में दहेज के लिए प्रताड़ित करने का मामला सामने आया है। खुद को देवी का अवतार बताने वाली राधे मां इस मामले के कारण एक बार फिर विवादों में आ गई है। 
 
इस घटना के बाद एक न्यूज चैनल ने राधे मां के फिल्मी गानों पर नृत्य करने की वीडियो भी प्रसारित की है, जिस कारण विवाद ओर भी बढ़ गया है। आम लड़की से राधे मां बनने तक का सुखविन्दर कौर का सफर भी दिलचस्प है। सुखविन्दर कौर (राधे मां) गुरदासपुर के रंगला गांव की रहने वाली और उसका विवाह मुकेरियां के मनमोहन सिंह से हुआ था। 
 
विवाह के बाद सुखविन्दर का पति नौकरी के लिए विदेश चला गया, जिसके बाद सुखविन्दर ने बड़ी मुश्किल से लोगों के कपड़े सिल कर अपना गुज़ारा किया। जिंदगी की तंगी से  परेशान सुखविन्दर 21 साल की उम्र में महंत रामाधीन परमहंस  की शरण में गई। परमहंस ने सुखविन्दर को 6 महीने तक दीक्षा दी और वह सुखविन्दर से राधे मां बन गई। 
 
अब राधे मां के नाम पर पंजाब, दिल्ली, मुंबर्इ सहित अन्य राज्यों में ट्रस्ट चलते हैं। विदेशों में भी राधे मां के भक्त हैं। अमरीका, कनाडा और जापान में राधे मां के आश्रम हैं। राधे मां लाखों के गहने पहनती है। दुल्हन की तरह सजती है और उनके प्रोग्रामों का आयोजन शाही ढंग से होता है। 
 
मुंबर्इ स्थित बोरीवली पश्चिम रेलवे स्टेशन से 10 मिनटों की दूरी पर 'राधे मां' का भवन है, जिसे ग्लोबल मीडिया कंपनी के मालिक ने बनवाया है। इस भवन के ग्राउंड फ्लोर पर एक बड़ा सा हाल है, जिसको 'माता की चौंकी' कहा जाता है। 

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