एक और कांग्रेसी नेता ने अपनी पार्टी के खिलाफ खोला मोर्चा, कैप्टन को लिखा पत्र

Edited By Tania pathak,Updated: 24 May, 2020 06:01 PM

another congress leader opened front against his party

उन दोष लगाया कि सरकार की ज़मीन में से सैंकड़े टिप्पर हर दिन पुलिस प्रशासन की नाक नीचे से और माइनिंग विभाग की मिलीभगत के साथ अवैध माइनिंग कर रहे हैं...

माछीवाड़ा साहब (टकर,सचदेवा): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की तरफ से बेशक दावे किए जाते हैं कि वह राज्य में कहीं भी रेत की अवैध माइनिंग नहीं होने देंगे और सरकारी गड्ढों में नियमों अनुसार काम होगा परन्तु  साहनेवाल के कांग्रेसी नेता और पूर्व ब्लाक समिति मैंबर ताजपरमिन्दर सिंह सोनू और ओर कई व्यक्तियों ने अपनी ही सरकार में रेत माफिया की तरफ से मचायी लूट खिलाफ मोर्चा खोला। उन्होंने मुख्यमंत्री और सी.बी.आई. को पत्र लिख कर रोज़मर्रा की हो रहे लाखों रुपए के घोटालों की जांच मांगी है। कांग्रेसी नेता की तरफ से मुख्यमंत्री और सी.बी.आई. को पत्र लिख बताया गया कि सतलुज दरिया के नवांशहर क्षेत्र में बुर्ज टहल दास की गड्ढा रेत की खुदाई के लिए के पास है परन्तु ठेकेदारों की तरफ से लुधियाना ज़िलो में मत्तेवाड़ा क्षेत्र और ओर कई गाँवों की जंगलात विभाग की टीम के इलावा जो सैंटर की बेअबाद ज़मीन पड़ी है उस में से अवैध माइनिंग कर कानून की धज्जियाँ उड़ाई, और साथ ही कुदरती स्रोतों को भी नुक्सान पहुँचाया है। 

उन दोष लगाया कि सरकार की ज़मीन में से सैंकड़े टिप्पर हर दिन पुलिस प्रशासन की नाक नीचे से और माइनिंग विभाग की मिलीभगत के साथ अवैध माइनिंग कर रहे हैं और यदि हम शिकायत करते हैं तो भी कोई कार्यवाही नहीं होती। कांग्रेसी नेता ताजपरमिन्दर सिंह सोनू ने कहा कि सबसे बड़ी लूट सरकार के खजाने को लगाई जा रही है जिस के अंतर्गत टिप्पर को रेत माइनिंग की पर्ची केवल 16 टन की दी जाती है जबकि उस में रेत 50 से 60 टन भरा होता है जिस के साथ सीधे तौर पर सरकार को चूना लगाया जा रहा है जिस की मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह और सी.बी.आई. जांच करवाए जिससे कांग्रेस सरकार को बदनाम करने वाले रेत माफ़ीए की लूट का पर्दाफाश हो सके।

वन विभाग के मंत्री ने लिया अवैध माइनिंग का सख़्त नोटिस
पंजाब सरकार के वन विभाग के मंत्री साधु सिंह धरमसोत ने कहा कि उन के ध्यान में आया कि सतलुज दरिया में विभाग की सरकारी ज़मीन में से रेत की अवैध माइनिंग की गई है, जिस बारे में उन आधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वह तुरंत ज़मीन की सीमा रेखा करवाने और यदि विभाग की ज़मीन में से रेतो की माइनिंग साबित हुई तो कानून का उल्लंघन करने वालों को बख़्शा नहीं जायेगा। वन विभाग की ज़मीन में से रेत माइनिंग दौरान यदि किसी पुलिस अधिकारी की लापरवाही सामने आई तो उस ख़िलाफ़ भी कार्यवाही होगी। 

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