1962 और 1965 में देश के लिए युद्ध लडऩे वाले पूर्व फौजी सुखदेव सिंह का देहांत

Edited By Vatika,Updated: 27 Dec, 2019 12:21 PM

a former soldier died who fought for the country in 1962 and 1965

देश की सरहद पर 1962 और 1965 के दौरान युद्ध लडऩे वाले पूर्व फौजी सुखदेव सिंह (86) का गत दिवस देहांत हो गया।

कोटकपूरा (नरेंद्र): देश की सरहद पर 1962 और 1965 के दौरान युद्ध लडऩे वाले पूर्व फौजी सुखदेव सिंह (86) का गत दिवस देहांत हो गया। गांव ढिल्लवां में भारतीय फौज के सूबेदार राम महेश के  नेतृत्व में भारतीय फौज की टुकड़ी की तरफ से सलामी देने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया।
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जानकारी देते हुए स्व. सुखदेव सिंह की पत्नी गुरमीत कौर ने बताया कि उनके पति की तरफ से 1962 और 1965 की लड़ाई लड़ी गई थी और वह पूर्व पंचायत मैंबर भी थे। उन्होंने कहा कि फौज की टुकड़ी की तरफ से दी सलामी ने एक फौजी परिवार का सम्मान बढ़ाया है। स्व. सुखदेव सिंह के 3 बेटों में से कुलवंत सिंह बिजली बोर्ड, राजेन्द्र सिंह कृषि विज्ञान केंद्र में नौकरी करते हैं और सबसे छोटा बेटा कृषि करता है। इस मौके पर पूर्व विधायक मनतार सिंह बराड़, कृषि विज्ञान केंद्र के डायरैक्टर जगदीश ग्रोवर, डा. आर.के. सिंह, डा. गुरदर्शन सिंह, राजकुमार बावा, मनजतिन्द्र सिंह, जंग सिंह, कुलदीप कुमार, कुलदीप सिंह, गुरतेज सिंह, डा. सुखविन्द्र सिंह, गुरजंट सिंह बाबा फरीद यूनिवर्सिटी, एम.सी. डा. रणजीत सिंह और नछत्तर सिंह नंबरदार ने मृतक पूर्व फौजी सुखदेव सिंह को श्रद्धांजलि भेंट की।

दुश्मन के साथ लड़ाई में दिया बहादुरी का परिचय
फौजी सुखदेव सिंह के बेटे रजिन्द्र सिंह ढिल्लों और पूर्व सैनिक गुरसेवक सिंह ने बताया कि सुखदेव सिंह लगभग 1955 में भारतीय फौज की सिख रैजीमैंट में भर्ती हुए थे। उन्होंने बताया कि इस दौरान उन्होंने 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई दौरान अरुणाचल प्रदेश के त्वांग सैक्टर में लड़ाई लड़ी और 1965 में पाकिस्तान के साथ हुई लड़ाई दौरान उन्होंने जम्मू-कश्मीर के छंब जोडिय़ां बार्डर पर बहादुरी का सबूत दिया। उन्होंने बताया कि उनके अंदर देश भक्ति का जज्बा कूट-कूट कर भरा था।

दिल में बचपन से ही था देश भक्ति का जज्बा
पूर्व फौजी सुखदेव सिंह का जन्म 25 जून, 1934 को कोठे गज्जण सिंह वाला (कोटकपूरा) में पिता वीर सिंह और माता भाग कौर के घर हुआ। 4 भाइयों और 2 बहनों के भाई सुखदेव सिंह के दिल में बचपन से ही देश भक्ति का जज्बा होने के कारण वह भारतीय फौज में भर्ती हो गए। फौज में अपनी शानदार सेवाओं के बाद वह वर्ष 1967 दौरान रिटायर हो गए थे।

देश भक्ति के साथ-साथ समाज सेवा में भी रहे आगे
गांव ढिल्लवां कलां की सोसायटी के प्रधान कुलवंत सिंह, चमकौर सिंह मौजूदा सरपंच, दर्शन सिंह पूर्व सरपंच, रणजीत सिंह एम.सी. आदि ने बताया कि स्व. सुखदेव सिंह बहुत ही मिलनसार स्वभाव के थे और उन्होंने कोठे गज्जण सिंह के पंच के तौर पर भी सेवाएं दीं। उन्होंने बताया कि देश भक्ति के साथ-साथ समाज सेवा के क्षेत्र में भी वह हमेशा आगे रहे और गांव वासियों के हर दुख-सुख में आगे होकर उनके साथ खड़े रहे।

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