Edited By Punjab Kesari,Updated: 28 Aug, 2017 08:02 AM
करीब 4 वर्ष का समय गुजर चुका है यहां के गुम हुए बच्चों के परिवारों को उनकी तलाश में दर-दर की ठोकरें खाते हुए, मगर कहीं से भी उनका कोई सुराग नहीं मिला।
फरीदकोट(हाली): करीब 4 वर्ष का समय गुजर चुका है यहां के गुम हुए बच्चों के परिवारों को उनकी तलाश में दर-दर की ठोकरें खाते हुए, मगर कहीं से भी उनका कोई सुराग नहीं मिला। बच्चों की तलाश के लिए एक वर्ष से अधिक लंबे समय तक लगातार संघर्ष, धरने, प्रदर्शन अदालतों के चक्कर लगाने के बाद भी कुछ परिवारों को उनके जिगर के टुकड़े अभी तक नहीं मिल सके हैं। जानकारी के अनुसार फरीदकोट जिले में से गत 4 वर्षों दौरान 100 के करीब लोग गुम हुए, इनमें से कुछ मिल गए व कुछ के शव बरामद हुए, मगर 5 के करीब ऐसे बच्चे हैं जिनके परिवारों को उनके बच्चों के बारे में अभी तक कुछ पता नहीं चल सका। पुलिस ने इन मामलों में अगवा के केस दर्ज किए हुए हैं, मगर इनमें से ज्यादातर बच्चों के केसों की फाइलें बंद हो चुकी हैं।
हालांकि इस मामले में एक एक्शन कमेटी बनाकर फरीदकोट निवासियों ने एक लंबा संघर्ष किया, अदालत में भी केस किया व अदालत के हुक्मों पर इन गुम हुए बच्चों का केस एक वर्ष पहले सी.बी.आई. के हवाले कर दिया गया, तब से सी.बी.आई. के भी हाथ खाली हैं व उसके अधिकारियों द्वारा भी पहले सप्ताह यहां चक्कर काटने के उपरांत कुछ नहीं किया गया। क्या कहते हैं परिवार यहां से गायब हुए ए.टी.एम. में पैसे डालने वाले मनोज कुमार के परिवार ने बताया कि उनके गुम हुए बच्चे के बारे में उन्हें स्वयं ही शहर निवासियों से मिलकर इंसाफ के लिए लडऩा पड़ा।
अदालतों के चक्कर, धूप व बारिशों में धरने देना इस परिवार की दास्तां है। आखिर मांग अनुसार इनका केस सी.बी.आई. के हवाले कर दिया गया है। परिवार को काफी हौसला हुआ मगर अब सी.बी.आई. के हाथ भी एक वर्ष से खाली हैं। उनके बच्चे का कुछ पता नहीं चला। यहां की बी.एस.एफ. जवानों की कालोनी में रहते एक परिवार के 2 चचेरे नाबालिग भाई हितेश व आदर्श भी इसी तरह हंसते-खेलते हुए घर से बाहर गए, जिसके बाद उनका कुछ पता नहीं चला। बी.एस.एफ. के जवान ने कई महीने छुट्टिïयां लेकर उनकी तलाश की व उसके बाद उसकी पत्नी ने वर्षों तक दफ्तरों के चक्कर काटे, मगर उनकी समस्या जस की तस है। कुछ इसी तरह की कहानी पंजाब पुलिस के हवलदार लखविंद्र सिंह के पुत्र गुरविंद्र सिंह की है, जो फरवरी 2013 से गुम है। वह मोगा में बी-फार्मेसी की डिग्री कर रहा था।
कालेज से वापस आते हुए कोटकपूरा से फरीदकोट के रास्ते के दरमियान शाम को 7 बजे के करीब वह गायब हो गया। परिवार ने उसकी तलाश के लिए पुलिस व अन्य संबंधितों की मदद ली, मगर सब कुछ व्यर्थ रहा। इसके अलावा गुम हुए ज्यादातर बच्चों के बारे में पुलिस ने उन दिनों में हुए संघर्ष के दबाव अंतर्गत 24 गुम बच्चों की सूची तैयार की थी, जिनमें से बाकी लगभग सभी बच्चों को किसी न किसी हालत में परिवार के हवाले कर दिया गया था या परिवार ने स्वयं उनका पता कर लिया था। वहीं जिन परिवारों के बच्चे उन्हें नहीं मिल सके उनका पुलिस से विश्वास उठने के साथ-साथ अब सी.बी.आई. से भी विश्वास उठने लगा है।
क्या कहते हैं पुलिस अधिकारी
इस संबंध में जब जिले के वरिष्ठï पुलिस कप्तान डा. नानक सिंह से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि पुलिस ने पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के हुक्मों पर यह सारा केस सी.बी.आई. के हवाले कर दिया है व गुम हुए बच्चों से संबंधित रिकार्ड भी उन्हें दे दिया है।
उन्होंने बताया कि इसके बावजूद जो केस सी.बी.आई. के हवाले नहीं हुए, उनके मामले में समय-समय पर पुलिस कार्रवाई करती रहती है व क्राइम संबंधी होने वाली मीटिंगों में इन केसों की फीड बैक ली जाती है। बच्चों के गुम होने उपरांत पुलिस ने पहले गुमशुदगी व उसके बाद अगवा के केस दर्ज किए। संदिग्ध अगवाकारों के स्कैच जारी किए व ईनाम भी ऐलाने गए, मगर उसके बाद भी पुलिस के हाथ खाली रहे। पुलिस ने हजारों के हिसाब से काल डिटेल्ज जांची व अन्रू कार्रवाइयां की लेकिन परिवारों को उनके बिछड़ों से नहीं मिला सकी ।