Edited By Punjab Kesari,Updated: 08 Jan, 2018 05:09 PM
स्वर्ण मंदिर में दिए गए दान में पिछले पांच सालों में लगभग 16% की वृद्धि हुई है जिसका खुलासा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए आंकड़ों में हुआ है।
अमृतसरः स्वर्ण मंदिर में दिए गए दान में पिछले पांच सालों में लगभग 16% की वृद्धि हुई है जिसका खुलासा शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक समिति (एसजीपीसी) द्वारा एक अंग्रेजी अखबार को दिए गए आंकड़ों में हुआ है।
आंकड़ों के अनुसार, 2012-13 में स्वर्ण मंदिर को 67 करोड़ रूपए का दान मिला। यह आंकड़ा 2013-14 में 69 करोड़ रुपए हो गया,2014-15 में 73 करोड़,2015-16 में 74 करोड़ रुपए और 2016-17 में 75 करोड़ रुपए तक पहुंच गया। एसजीपीसी ने अनुमान लगाया है कि चालू वित्त वर्ष (2017-18) में दान लगभग 78 करोड़ रुपए तक का आंकड़ा पूरा कर लेगा। एसजीपीसी के मुख्य सचिव रूप सिंह ने कहा कि गुरबाणी कीर्तन के लाईव प्रसारण के बाद ये बढ़ौतरी दर्ज की गई है।
2016 में, स्वर्ण मंदिर परिसर को उस समय सुशोभित किया गया था जब एक विरासत सड़क का निर्माण टाऊन हॉल और स्वर्ण मंदिर के प्रवेश द्वार के बीच किया गया था।
अधिकारियों का कहना है कि स्वर्ण मंदिर लोगों को आकर्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। हर रोज यहां आने वाले लोगों की संख्या का कोई रिकॉर्ड नहीं है। हालांकि, एसजीपीसी अधिकारियों का कहना है कि लोगों की संख्या दान का सटीक आंकड़ा नहीं दर्शाता है क्योंकि कई श्रद्धालु मंदिर के अंदर नहीं जा पाते क्योंकि लंबी कतारों के कारण उन्हें घंटों तक इंतजार करना पड़ता है। कई मामलों में श्रद्धालु केवल स्वर्ण मंदिर परिसर में अकाल तख्त साहिब या अन्य गुरुद्वारों में भुगतान करते हैं।
स्वर्ण मंदिर में लंगर (सामुदायिक रसोई) के प्रभारी लखबीर सिंह ने कहा कि अवकाश के दौरान भीड़ अधिक होती है। आम तौर पर, हर महीने लंगर में 1,900 क्विंटल गेहूं का आटा इस्तेमाल किया जाता है। हालांकि, इस साल जून में करीब 2500 क्विंटल आटे का इस्तेमाल किया गया था। जून माह में गर्मी की छुट्टियां पड़ती है जिस कारण लोग भारी मात्रा में यहां आते हैं। हर रोज 70 क्विंटल आटा लगना आम बात है। 31 दिसंबर 2017 को ये खपत 130 क्विंटल थी, जबकि 1 जनवरी को 124 क्विंटल थी।