दुनिया के सबसे बड़े नरसंहार का दोषी, आखों के सामने भारतीयों को फांसी देकर होता था खुश

Edited By Suraj Thakur,Updated: 13 Apr, 2019 03:03 PM

100th anniversary of jallianwala bagh massacre

जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी पर पंजाब के विभिन्न हिस्सों से अमृतसर के लिए श्रद्धांजलि मार्च निकाले जा रहे हैं।

जालंधर। जलियांवाला बाग हत्याकांड की 100वीं बरसी पर पंजाब के विभिन्न हिस्सों से अमृतसर के लिए श्रद्धांजलि मार्च निकाले जा रहे हैं। इसी कड़ी में शनिवार को जालंधर से सैकड़ों लोगों का एक मार्च शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए अमृतसर रवाना हुआ है। इस मौके पर आपको बताने जा रहे हैं कि तीन सौ से ज्यादा लोगों की हत्या करवाने के बाद जनरल डायर अमृतसर के गोबिंदगढ़ किले में रहने लगा था। इस किले में उसने अपने बंगले के सामने फांसी घर इस लिए बनवाया था ताकि वह हिंदुस्तानियों को दी जाने वाली फांसी का आनंद ले सके।PunjabKesari

ये है किले का इतिहास...
1805 में यह किला महाराजा रणजीत सिंह ने जीता था। जबकि इसका निर्माण 1770 में भंगी मिसल ने किया था। महाराजा ने किले को जीतने के बाद इसे दोबारा बनवाया। गुरु गोबिंद सिंह के नाम पर उन्होंने इसका नाम रखा था। दुश्मनों के हमले से बचने के लिए किले के चारों ओर 17 एकड़ में नहर भी बनाई गई थी। किले की मजबूती को देखते हुए महाराजा ने यहां पर तोशाखाना बनवाया। जहां पर सिक्के बनाए जाते थे। 1849 में इस किले पर अंग्रेजों ने कब्जा कर लिया था। उन्होंने यहां दरबार हॉल, हवा महल और फांसी घर बनवाए। कहा जाता है कि जलियांवाला बाग हत्याकांड करवाने वाले जनरल डायर के रहने का स्थान यहां पर फांसी घर के ठीक सामने था, ताकि वह कैदियों को दी जा रही फांसी का आनंद ले सके।PunjabKesari

निहत्थों पर चलवा दी थी गोलियां... 
13 अप्रैल 1919 को बैसाखी के पर्व पर अमृतसर के जलियांवाला बाग में जनरल डायर ने ब्रिटश सेना को हुक्कम देकर  निहत्थे, बूढ़ों, महिलाओं और बच्चों सहित सैकड़ों लोगों पर गोलियां चलवा दी थीं। बाग में सभी लोग रॉलेट एक्‍ट का विरोध करने के लिए इक्ट्ठे हुए थे। बैसाखी  के दिन जलियांवाला बाग में मेला भी लगता था, जिसके चलते वहां हजारों लोगों की भीड़ जमा थी।PunjabKesari

10 मिनट में 1650 राउंड  किए थे फायर...
जनरल डायर के आदेश पर करीब सौ सैनिकों ने 10 मिनट में 1650 राउंड फायर किए थे। बिना चेतावनी के की गई इस फायरिंग के दौरान जान बचाने के लिए डरे सहमें लोग लिए बाग के एक कुएं में कूद गए थे। इस घटना के बाद कुएं से 200 के करीब शव निकाले गए थे। हालांकि ब्रिटिश सरकार के उस वक्त के आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक जलियांवाला बाग  में 379 लोगों की जान गई थी और 1200 लोग जख्‍मी हुए थे। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के मुताबिक उस दिन 1000 से ज्यादा लोग मारे गए थे और 1,500 से ज्यादा लोग घायल हुए थे।

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