जिले में स्वाइन फ्लू की दस्तक, एक मरीज की पुष्टि, 4 संदिग्ध

Edited By swetha,Updated: 19 Sep, 2018 04:12 PM

swine flu

स्टेट प्रोग्राम अफसर आई.डी.एस.पी. की तरफ से सूचना प्राप्त हुई थी कि नाभा की एक 50 वर्षीय महिला को स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। सूचना मिलने पर जिला सेहत विभाग की तरफ से मैडीकल अफसर के नेतृत्व में रैपिड रिस्पांस टीम बना कर नाभा में मरीज के...

पटियाला/नाभा(परमीत/जैन): स्टेट प्रोग्राम अफसर आई.डी.एस.पी. की तरफ से सूचना प्राप्त हुई थी कि नाभा की एक 50 वर्षीय महिला को स्वाइन फ्लू होने की पुष्टि हुई है। सूचना मिलने पर जिला सेहत विभाग की तरफ से मैडीकल अफसर के नेतृत्व में रैपिड रिस्पांस टीम बना कर नाभा में मरीज के रिहायशी एरिया में सर्वे करवाने के लिए भेजा गया। टीम की तरफ से सर्वे दौरान जांच में पाया गया कि यह मरीज 6 सितम्बर को वृंदावन गई थी और वहां से आने के बाद इसको बुखार के साथ खांसी, जुकाम हो गया था। 

महिला के पारिवारिक सदस्यों से पूछताछ के दौरान पता लगा कि यह मरीज शूगर के साथ भी पीड़ित है और वृंदावन से वापस आने के बाद ही उसे खांसी, बुखार के लक्षण आने शुरू हो गए थे। सर्वे दौरान टीम की तरफ से आसपास के घरों के लोगों को बीमारी संबंधी जागरूक किया गया और इस मरीज के संपर्क में आए 9 प्राथमिक कंटैकस को टैमीफ्लू गोलियां शुरू कर दी गई हैं। सिविल सर्जन डा. मनजीत सिंह ने बताया कि जिले में अब तक स्वाइन फ्लू के 4 संदिग्ध मरीजों के सैंपल लिए गए थे जोकि जांच दौरान नैगेटिव आए 
हैं। लगता है कि इस मरीज को भी यह बीमारी उसके सफर दौरान ही हुई है।

ये हैं स्वाइन फ्लू की कैटागरीज
डा. गुरमीत सिंह जिला एपीडिमोलोजिस्ट ने स्वाइन फ्लू की कैटागरी ए. बी. और सी. बारे भी बताया। उन्होंने कहा कि कैटागरी-ए के मरीज वे हैं जिनको खांसी, जुकाम और हल्का बुखार होता है। इन मरीजों को कोई दवा की जरूरत नहीं होती। इन मरीजों को घर में ही आराम करने और अच्छी खुराक और तरल पदार्थों का प्रयोग अधिक से अधिक करने की जरूरत होती है। कैटागरी-बी में वे मरीज आते हैं जिनको खांसी, जुकाम के साथ-साथ बहुत तेज बुखार होता है और इसके साथ उनकी बीमारियों के साथ लडऩे की शक्ति कम होती है।

सरकारी अस्पतालों में बनाए स्वाइन फ्लू पीड़ितों के लिए अलग वार्ड
डा. मनजीत सिंह ने बताया कि पटियाला के राजिंद्रा अस्पताल, माता कौशल्या अस्पताल और  सब डिवीजन अस्पतालों में स्वाइन फ्लू वार्ड बनाया गया है जहां स्वाइन फ्लू की दवाएं, पी.पी.ई. किटें 
और वी.टी.एम. आदि उपलब्ध हैं। उन्होंने बताया कि जिला सेहत विभाग की तरफ से बीमारी से मुकाबले के लिए हर तरह की तैयारियां की जा चुकी हैं।

यह है इलाज
डा. मनजीत सिंह ने बताया कि कैटागरी-सी के सभी मरीजों को टैमीफ्लू दवा देने की जरूरत है। ए. और बी. कैटागरी के लिए कोई टैस्ट की जरूरत नहीं है। कैटागरी सी में वे मरीज आते हैं जिनको कैटागरी ए. और बी. के लक्षणों के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ, बलगम में खून, उल्टियां, दस्त और हाथों व पैरों के नाखूनों का नीला होना आदि लक्षण हैं उनको अस्पताल में दाखिल होना चाहिए जहां उनका टैस्ट कर दवा शुरू की जाती है।

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