कॉलेजों में नशा लेने वाले विद्यार्थियों के बारे में मिल रही जानकारी

Edited By swetha,Updated: 13 Nov, 2019 09:55 AM

student drugs

सरकार के बड्डी प्रोग्राम के तहत कॉलेजों में नशा लेने वाले विद्यार्थी सामने आए हैं

पटियाला(प्रतिभा): सरकार के बड्डी प्रोग्राम के तहत कॉलेजों में नशा लेने वाले विद्यार्थी सामने आए हैं। इसमें सरकारी महिंद्रा कॉलेज में ही 4 विद्यार्थी हैं, जोकि ग्रैजुएशन फस्र्ट ईयर और सैकेंड ईयर के हैं। इतना ही नहीं ये विद्यार्थी अभी भी कॉलेज में पढ़ाई कर रहे हैं और इनकी इस हालत के बारे में इनके अभिभावकों को बुलाकर भी बताया गया। हालांकि इन विद्यार्थियोंके बारे में पिछले सैशन के दौरान पता चला था और कॉलेज के नए सैशन को शुरू हुए 2 महीने ही हुए हैं।

इसे लेकर कॉलेज के नोडल अफसर एस.एस. रेखी का कहना है कि जब ये मामले आए थे तो इसके बारे में अभिभावकों, साकेत अस्पताल और जिला प्रशासन को बता दिया गया था। वहीं बाकी कॉलेजों के हालात भी ऐसे ही हैं, जहां ऐसे मामले सामने तो आ रहे हैं लेकिन विद्यार्थी और उनके अभिभावकों द्वारा इस तरह की किसी भी बात से इंकार करने पर अध्यापक, नोडल अफसर और कॉलेज अथॉरिटी कुछ नहीं कर पाती है। 

गौरतलब है कि सभी कॉलेजों में चल रहे बड्डी प्रोग्राम में विद्यार्थियों द्वारा ये बात प्रोग्राम अथॉरिटी को बताई गई है कि कैंपस के बहुत से विद्यार्थी नशा कर रहे हैं। ये बात लगभग सभी कॉलेजों में हुई है। बाकी कॉलेजों में कितने विद्यार्थी सामने आए हैं, इसकी पुख्ता गिनती नहीं है। सभी कॉलेजों के बड्डी प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर की मानें तो हर कॉलेज में ऐसे मामले हैं पर वे मौके पर बुलाए जाने पर इंकार कर देते हैं। उनके अभिभावकों को बुलाकर उन्हें बताया जाता है तो वे भी बच्चे की बात पर हामी भरते हैं और इस बात से इंकार कर देते हैं कि उनका बच्चा नशा करता है। 
ये है बड्डी प्रोग्राम

कॉलेज में विद्यार्थियों की समस्याओं आदि को लेकर केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल यूनिवर्सिटीज, कॉलेजों में बड्डी प्रोग्राम शुरु करवाया गया। इसमें विद्याॢथयों के अलग-अलग ग्रुप बनाए जाते हैं और वे एक-दूसरे की समस्याओं के बारे में जानते हैं। ये ग्रुप अन्य ग्रुप के सदस्यों के बारे में भी जानकारी रखते हैं। जहां कुछ गंभीर दिक्कत परेशानी सामने आती है तो उसके बारे में बड्डी प्रोग्राम के नोडल अफसर को बताया जाता है और वे आगे की कार्रवाई करते हैं। सभी कॉलेजों में ये प्रोग्राम जिला प्रशासन यानि डिप्टी कमिश्नर की देखरेख में चलते हैं। 

अभिभावकों, विद्यार्थियों के इंकार से मुश्किल होती है : डा. राजीव शर्मा
इस मामले में बड्डी प्रोग्राम को-ऑर्डिनेटर डॉ. राजीव शर्मा ने बताया कि प्रोग्राम के नोडल अफसर को पता होता है कि कौन विद्यार्थी नशा कर रहा है पर बुलाए जाने पर विद्यार्थी और उनके अभिभावक इंकार कर देते हैं। इससे काफी मुश्किल होती है क्योंकि ऐसे में कोई भी उनकी मदद के लिए कुछ नहीं कर सकता। अगर कोई विद्यार्थी खुद आगे आकर कहे कि वे नशा छोडऩा चाहता है तो अथॉरिटी कुछ कर सकती है। क्योंकि ज्यादातर मामलों में ऐसे विद्यार्थियों के बारे में पता भी है लेकिन न तो विद्यार्थी मानते हैं और न ही उनके अभिभावक इस बात को स्वीकार कर रहे हैं। इस तरह से इन युवाओं की जिंदगी जानते हुए भी अंधकार में जा रही है। 

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