World water day: कोरोना के चलते हाथ धोने पर 1 आदमी इस्तेमाल कर रहा है 20 लीटर पानी

Edited By Suraj Thakur,Updated: 22 Mar, 2020 12:02 PM

world water day 20 liters of water to wash hands to avoid corona

जल संग्रहण की योजनाओं पर भी गंभीरता से लेना होगा, ताकि किसी भी महामारी से निपटने के लिए देश में पानी पर्याप्त हो।

जालंधर। आज 22 मार्च को विश्व जल दिवस है। इस मौके पर हर साल विश्वभर में बूंद-बूंद पानी का संरक्षण करने पर कई कार्यक्रम आयोजित किए जाते रहे हैं। अब कोरोनावायरस के खतरे के बीच भी हमें इस बात से आज सबक लेने की जरूरत है कि इस महामारी से बचने के लिए पानी कितना कारगर साबित हो रहा है। डॉक्टर वायरस से बचने के लिए सलाह दे रहे हैं कि थोड़ी थोड़ी देर बाद साबुन से हाथ धोएं, जिससे इस बीमारी से निपटने के लिए देश में पानी की खपत में कई गुना ज्यादा हो गई। डॉक्टरों की सलाह पर हाथ धोने के लिए अंदाजन 20 लीटर पानी एक आदमी इस्तेमाल कर रहा है। फिलवक्त यहां यह कहना लाजमी है कि कोरानावायरस का खतरा थम जाएगा और इसका उपचार भी होने लगेगा। भविष्य में सरकारों को जल संग्रहण की योजनाओं पर भी गंभीरता से कार्य करना होगा, ताकि किसी भी महामारी से निपटने के लिए देश में पानी पर्याप्त मात्रा में हो। 

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महामारी के दौरान शुद्ध जल न मिलना घातक
भारत में लोगों को शुद्ध जल मुहैया करवाना आजादी के बाद से ही एक बड़ी चुनौती रही है। नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक दूषित जल हर साल 1.75 लाख लोगों की जान ले रहा है। किसी भी महामारी के दौरान लोगों को शुद्ध जल न मिलना उन्हें आसानी से मौत के मुंह में धकेल देता है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एन.सी.आर.बी.)की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में पानी को लेकर हिंसक घटनाओं के 432 मामले दर्ज हुए थे जोकि 2018 में बढ़कर 838 हो गए। इस दौरान देशभर में पेयजल के लिए 92 मर्डर हुए हैं। 2018 में गुजरात में हत्या के 18 मामले दर्ज हुए जबकि बिहार में 15, महाराष्ट्र में 14, उत्तर प्रदेश में 12, राजस्थान और झारखंड में 10-10, कर्नाटक में 4, पंजाब में 3, तेलंगाना और मध्य प्रदेश में 2-2, तमिलनाडु तथा दिल्ली में हत्या का 1-1 मामला दर्ज हुआ है। गौरतलब है कि देश के 60 करोड़ लोग गंभीर पेयजल संकट से जूझ रहे हैं। रिपोर्ट में भी कहा गया है कि 2030 तक देश में पानी की मांग उपलब्ध जल वितरण से दोगुनी हो जाएगी।

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वर्षा के पांच फीसदी जल का संग्रह बदल सकता है तस्वीर 
पत्रिका योजना के मुताबिक हमारे देश में वर्षा की मात्रा निरंतर कम होती जा रही है। इजराइल में वर्षा का औसत 25 सै.मी. से भी कम है लेकिन जल प्रबंधन की तकनीक जल की कमी का आभास नहीं होने देती। भारत में 15 प्रतिशत जल का उपयोग होता है जबकि शेष जल बह कर समुद्र में चला जाता है। एक आंकड़े के मुताबिक यदि हम अपने देश के जमीनी क्षेत्रफल में से मात्र 5 प्रतिशत में ही गिरने वाले वर्षा के जल का संग्रहण कर सके तो एक बिलियन लोगों को 100 लीटर पानी प्रति व्यक्ति प्रतिदिन मिल सकता है।

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21 शहरों में भूजल समाप्त होने की चेतावनी
नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2020 तक दिल्ली और बेंगलूर जैसे भारत के 21 बड़े शहरों से भू-जल खत्म हो सकता है। इससे करीब 10 करोड़ लोग प्रभावित होंगे। अगर हालात ऐसे ही रहे तो 2030 तक देश में पानी की मांग दोगुनी हो जाएगी। सैंट्रल वाटर कमीशन (सी.डब्ल्यू.सी.) की नवम्बर 2018 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक हमारे देश की जनसंख्या 2050 तक 1 अरब 66 करोड़ होने का अनुमान है। 2014 में सत्ता में आने के बाद एन.डी.ए. सरकार लगातार पेयजल संकट से निजात पाने के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। इस दौरान बजट में भी काफी उतार-चढ़ाव सामने आया है। इस बार 2020-2021 के बजट में भी जल जीवन मिशन योजना के लिए 11,500 करोड़ रुपए प्रावधान किया गया है लेकिन लक्ष्य हासिल करने की रफ्तार बहुत ही धीमी है। ऐसे में वर्ष 2050 तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 6 फीसदी कमी आने की संभावना है।

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