जमानत जब्त करवा कर भी भाजपा नेताओं में न 'चिंता' न 'चिंतन'

Edited By Subhash Kapoor,Updated: 19 May, 2023 07:02 PM

bjp leaders have neither  concern  nor  contemplation

हाल ही के जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों को अपने अनुमान से ज्यादा सफलता मिली।

जालंधर (अनिल पाहवा) : हाल ही के जालंधर के लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस को छोड़कर सभी राजनीतिक दलों को अपने अनुमान से ज्यादा सफलता मिली। आम आदमी पार्टी ने जीत हासिल की तो वहीं भाजपा और अकाली दल का वोट प्रतिशत लगभग समान रहा। लेकिन सबसे ज्यादा सवाल भाजपा को लेकर ही खड़े हो रहे हैं, क्योंकि पार्टी के केंद्रीय नेताओं ने जिस तरह से पूरी ताकत झोंक दी, उस तरह से पंजाब तथा जालंधर की टीम काम को अंजाम नहीं दे सकी। पार्टी की हार के बाद कोई बैठक या कोई चिंतन-मंथन नहीं हुआ, जबकि कांग्रेस तथा अन्य दलों ने बकायदा हार को लेकर बैठकें कीं। भाजपा ने जो 15-20 दिन का चुनावी अभियान चलाया, उसमें कई बड़ी कमियां और खामियां रहीं, जिसका खामियाजा पार्टी ने भुगता और ऊपर से हैरानी की बात कि नेताओं को न कोई चिंता और न इस पर कोई चिंतन करने को तैयार। 

होटल ही बना रहा चर्चा का विषय
जालंधर में भाजपा के बड़े नेताओं के लिए दो अलग-अलग होटल बुक करवाए गए थे, लेकिन  इसी आड़ में कुछ पंजाब व स्थानीय नेताओं की भी मौज लग गई, जिसका असर यह हुआ कि वोटर तक पहुंच ही नहीं हो पाई। जालंधर के एक स्थानीय नेता की डयूटी लगी थी होटलों का प्रबंध करने के लिए और हैरानी की बात है कि वह नेता लोगों से मिलने की बजाय सारा दिन होटल के कमरे में बैठकर ही समय निकालता रहा। 

मीडिया मैनेजमैंट में फेल हुए भाजपाई
अपने काम और मोदी सरकार की नीतियों को लोगों तक पहुंचाने में भाजपा पूरी तरह से फ्लाप रही। जालंधर में लोकसभा चुनाव जीतने का आम लोगों को क्या फायदा मिल सकता है, अपना यह संदेश ही लोगों तक पार्टी नहीं पहुंचा पाई। मीडिया मैनेजमैंट के लिए लाखों रुपए आए,  लेकिन वे भी कुछ चहेते पोर्टल वालों को बांट दिए गए। जो मीडिया से संबंधित सूची ऊपर भेजी गई, उसमें हर न्यूज पोर्टल के लिए 25 से 50 हजार रुपए तक की राशि निर्धारित की गई थी ताकि वे लोग पार्टी का प्रचार कर सकें। लेकिन हैरानी की बात है कि उनमें से आधे न्यूज पोर्टल तक ही पेमेंट पहुंची और वह भी सिर्फ 5000 रुपए, जबकि अन्य न्यूज पोर्टल वाले भाजपा के पक्ष में प्रचार ही नहीं कर सके। 

वोटर तक पहुंच में खा गए मात
भाजपा के नेता होटल में सुबह-शाम बैठकें करते, लेकिन उस बैठक में होने वाली चर्चा को अंजाम देने वाला कोई नहीं था। केंद्रीय नेता व बड़े पदाधिकारी तो योजना बना सकते थे, उस योजना को सफल करना तो पंजाब या जालंधर की टीम के हाथ था और ये लोग वहीं विफल हो गए। पार्टी के नेता आम वर्कर तथा आम वोटर तक पहुंच ही नहीं बना पाए। शहरों में पार्टी की पोजीशन कुछ ठीक थी तो वोट मिल गया, लेकिन गांवों में जिस तरह के दावे केंद्र से आई टीमों के सामने किए जाते रहे, वे सब खोखले साबित हुए। हैरानी की बात है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश भर में किसी भी बेहतर काम करने वाले व्यक्ति को 'मन की बात' कार्यक्रम में जोड़ने के लिए ढूंढ ही लेते हैं और जालंधर में हाल यह था कि स्थानीय नेता अपने वोटर को ही नहीं ढूंढ पाए। 

शेक और महंगे फ्रूट के दीवाने नेता जी
जालंधर के चुनाव के दौरान नामदेव चौक के पास एक होटल में पंजाब और जालंधर के कुछ नेताओं ने डेरा डाला हुआ था। ये नेता चुनावी रणनीति में ध्यान कम और शेक तथा महंगे फ्रूट की दीवानगी में ज्यादा खोए हुए थे। एक नेता जी तो रोज की सुबह की शुरुआत महंगे फ्रूट, शरदा से करते तो वहीं उन्हें शाम ढलते मैंगो शेक चाहिए होता था। इसके लिए बकायदा कुछ स्थानीय नेताओं की पक्की डयूटी थी, जो नेताजी और अन्य लोगों के लिए शेक और फ्रूट का प्रबंध करते।

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