Edited By Updated: 06 May, 2017 09:12 AM
केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत योजना के तहत 434 शहरों की सफाई सूची वीरवार को जारी की गई जिसमें भटिंडा 132वें नंबर पर ही अटक गया जबकि वह पंजाब भर में मोहाली के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच गया।
भटिंडा (विजय): केंद्र सरकार की स्वच्छ भारत योजना के तहत 434 शहरों की सफाई सूची वीरवार को जारी की गई जिसमें भटिंडा 132वें नंबर पर ही अटक गया जबकि वह पंजाब भर में मोहाली के बाद दूसरे नंबर पर पहुंच गया। एक नंबर से पिछडऩे का मुख्य कारण नगर निगम को लोगों के सहयोग की कमी से देखा जा सकता है। मोहाली शहरी क्षेत्र होने के कारण स्मार्ट सिटी के दायरे में है जबकि भटिंडा अभी भी पिछड़े पन में है क्योंकि यह ग्रामीण क्षेत्रों के साथ जुड़ा हुआ है। भटिंडा शहर के कुल 50 वार्ड हैं जिसके लिए नगर निगम ने कूड़ा उठाने के लिए जे.आई.टी.एफ. कम्पनी से अनुबंध भी किया। रोजाना 115 टन कूड़ा घरों से एकत्र कर कचरा प्लांट के लिए भेजा जाता है लेकिन कचरा प्लांट न होने के कारण इस कूड़े को खाली जमीन पर ही डम्प करना पड़ रहा है। इससे कम्पनी को तो नुक्सान है ही जबकि शहर वासियों को भी इससे कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
नगर निगम की ओर से अनुबंधित जे.आई.टी.एफ. कम्पनी के अधिकारियों का मानना है कि निगम स्टाफ में बायोमिट्रिक अटैंडैंस नहीं है जोकि मोहाली में है। भटिंडा के लाइन पार क्षेत्र में अधिक काम करने की जरूरत है। सबसे बड़ी समस्या खाली प्लाटों में कूड़ा फैंकने की आती है। अगर निगम चाहे तो खाली प्लाटों में पौधारोपण करे जिससे पर्यावरण संतुलित होगा। उनका मानना है कि कचरा प्लांट बैक फुट पर है निगम ने कम्पनी के साथ 25 वर्ष का अनुबंध किया लेकिन 5 वर्ष गुजरने के बाद भी उन्हें अभी तक प्लांट लगाने के लिए स्थान नहीं मिला।
जनसंख्या अनुसार सफाई कर्मियों की तैनाती
नगर निगम भटिंडा क्षेत्र की जनसंख्या 3 लाख 30 हजार तक पहुंच चुकी है जिसके लिए केवल 868 सफाई कर्मी पक्के तौर पर हैं। घर-घर से कूड़ा उठाने के लिए 353 कर्मी ठेके पर रखे हुए हैं। घर-घर से कूड़ा केवल 80 प्रतिशत ही उठाया जा रहा है जबकि 20 प्रतिशत की कमी के कारण स्वच्छ भारत अभियान के मापदंड़ों को भटिंडा नगर निगम पूरा नहीं कर पाया। फंडों का अभाव व आॢथक तंगी के कारण सफाई कर्मियों की संख्या में अभी तक वृद्धि नहीं की गई जबकि जरूरत 2,000 सफाई कर्मियों की है। स्वच्छ भारत अभियान के मापदंडों अनुसार 6 हजार स्केयरमीटर के पीछे एक सफाई कर्मी की जरूरत है जबकि भंटिडा शहर की सड़कों की लंबाई साढ़े 650 मीटर है जिसके लिए सफाई कर्मियों की कमी एक बड़ा कारण है।
कितने कम अंकों से 2 नंबर पर पहुंचा भटिंडा
स्वच्छ भारत अभियान के तहत स्वतंत्र सर्वे अनुसार नंबर 1 पर रहे मोहाली को 378 अंक प्राप्त हुए जबकि 2 नंबर पर रहे भटिंडा को 294 अंक मिले। भटिंडा केवल 84 अंकों से पिछड़कर रह गया जिसका मुख्य कारण सर्वे टीम को पब्लिक का सहयोग नहीं मिला। शहर में कुछ लोगों ने तो इस सर्वे टीम को सफाई संबंधी बता दिया जबकि कुछ लोग उनके प्रश्न का सही आकलन नहीं कर पाए और जवाब में कमी रह गई। भटिंडा ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा व पिछड़ेपन का ठप्पा लगा होने के कारण अनपढ़ता की भी कमी रही। लोगों में जागृति की कमी है क्योंकि शहर में निगम को शिकायत करना तो आसान है लेकिन उसका फॉलोअप करना लोगों को मुश्किल लगता है। निगम ने टॉल फ्री नंबर दे रखे हैं जिस पर कोई शहरवासी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है परन्तु उसके बाद शिकायत का निवारण हुआ या नहीं, कोई जहमत नहीं उठाता। ऐसे में निगम के पास शिकायत तो पहुंच जाती है परन्तु उसक ा समाधान नहीं होता तो निशाने पर निगम आना स्वाभाविक है।
सहायक आयुक्त का मानना
नगर निगम के सहायक आयुक्त बी.डी. सिंगला का मानना है कि देखा जाए तो वह केवल 36 अंक ही मोहाली से पिछड़े हैं। वह भी पब्लिक सहयोग न मिलना शामिल है। उन्होंने बताया कि नगर निगम का बजट 139 करोड़ है जबकि पिछले वर्ष 120 करोड़ था। निगम को केंद्रीय ग्रांट न मात्र है जबकि पी.आई.डी.वी. से केवल 51 करोड़ ही प्राप्त हुआ जो कर्ज की किस्तों में ही चला गया। स्वच्छ भारत अभियान में 2 नंबर पर ही सीमिट जाने संबंधी उन्होंने कहा कि निगम ने तो पूरा जोर लगाया था यहां तक कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर के शौचालय बनाए परन्तु फंडों के अभाव व स्टाफ की कमी के चलते वह कुछ अंक पीछे रह गए हैं जिन्हें जल्द ही पूरा कर लिया जाएगा।
पौधारोपण पहल के आधार पर होगा
निगम इंजीनियर संदीप गुप्ता का कहना है कि मोहाली का निर्माण योजना अनुसार हुआ उनक ी जीवन शैली अन्य जिलों से कहीं बेहतर है। वहां के लोग पढ़े-लिखे ज्यादा हैं व पूरा शहरी क्षेत्र है, जबकि भटिंडा ग्रामीण क्षेत्र से जुड़ा होने के कारण पिछड़ेपन पर है। उन्होंने बताया कि केंद्र की अमित स्कीम के तहत अगले 5 वर्षों में 15 प्रतिशत पौधारोपण की है। जबकि अभी यह 2 प्रतिशत ही है। पर्यावरण संतुलित करने के लिए सरकारी जमीनों का उपयोग किया जाएगा जिसे पौधारोपण कर हरा भरा बनाया जाएगा। जमीन महंगी होने के कारण जनता अपनी भूमि पर पौधा नहीं लगाने देती जिससे प्रदूषण कम करने में समस्या आती है।