Edited By Sonia Goswami,Updated: 31 Mar, 2018 01:26 PM
भारतीय सेना ने अपनी नई नीति को अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत सेना अपने हथियार व उपकरण बनाने व उन्हें अपग्रेड करने का कार्य प्राइवेट सैक्टर को सौंपेगी।
जालंधर (धवन):भारतीय सेना ने अपनी नई नीति को अंतिम रूप दे दिया है, जिसके तहत सेना अपने हथियार व उपकरण बनाने व उन्हें अपग्रेड करने का कार्य प्राइवेट सैक्टर को सौंपेगी। रक्षा मंत्रालय के उच्च स्तरीय सूत्रों ने यह जानकारी दी है। जिन हथियारों व उपकरणों को प्राइवेट सैक्टर को सौंपने की बात चल रही है उनमें असॉलट राइफल, टैंक ईंजन, नाइट विजन डिवाइसिज तथा सर्वेलांस उपकरण शामिल हैं।
रक्षा मंत्रालय ने पहली बार रक्षा उपकरणों को निर्मित करने के लिए भारतीयकरण करने की नीति को अपनाया है ताकि विदेशों से इन उपकरणों को आयात करने पर निर्भरता को कम किया जा सके। आरंभ में धीमी रफ्तार से प्राइवेट सैक्टर को काम सौंपा जाएगा तथा उसकी सफलता को देखने के बाद नए आर्डर प्राइवेट सैक्टर को दिए जाएंगे। पहली बार रक्षा मंत्रालय ने बड़े पैमाने पर आर्डर प्राइवेट सैक्टर को देने का निर्णय लिया है। प्राइवेट सैक्टर लम्बे समय से रक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने की मांग कर रहा था। अधिकारियों ने कहा कि सेना द्वारा प्राइवेट सैक्टर को सौंपे जाने वाले कार्य का फैसला मैरिट के आधार पर लिया जाएगा, क्योंकि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है, जिसमें थोड़ी सी भी ढील को सहन नहीं किया जा सकता ।
बताया जाता है कि सेना द्वारा अपनी नई नीति को चार चरणों में लागू किया जाएगा। पहले चरण में उन उपकरणों व हथियारों की सूची बनाई जाएगी, जिनका कार्य प्राइवेट सैक्टर को सौंपा जा सकता है। दूसरे चरण में धीरे-धीरे निर्माण व अपग्रेडेशन का कार्य सेना को सौंपा जाएगा। प्राइवेट सैक्टर को यह जानकारी भी दी जाएगी कि उपकरण बनाने के बाद उनके रख-रखाव की जिम्मेदारी भी उनकी होगी। सेना सूत्रों ने बताया कि सेना यह भी चाहती है कि प्राइवेट सैक्टर द्वारा जो हथियार व उपकरण निर्मित किए जाएं उनकी गुणवत्ता विदेशों से आयात किए जाने वाले उपकरणों से बेहतर हो। चूंकि मामला देश की सुरक्षा से संबंध रखता है इसलिए उपकरणों व हथियारों के निर्माण में कोई ढिलाई बरती नहीं जा सकती ।