Edited By Updated: 17 Dec, 2016 08:36 AM
आज जब पूरा देश व सेना विजय दिवस मना रही है और पाकिस्तान के साथ हुई जंग में शहीद हुए सैनिकों को सलामी दे रही है, वहीं विजय दिवस पर उन 54 भारतीय सैनिकों को भी सलामी देना जरूरी है, जो 46 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं,
अमृतसर (नीरज) : आज जब पूरा देश व सेना विजय दिवस मना रही है और पाकिस्तान के साथ हुई जंग में शहीद हुए सैनिकों को सलामी दे रही है, वहीं विजय दिवस पर उन 54 भारतीय सैनिकों को भी सलामी देना जरूरी है, जो 46 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में बंद हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार इन जंगी कैदियों की रिहाई नहीं कर रही है। इतना ही नहीं, भारत सरकार भी अपने इन सैनिकों को रिहा करवाने के लिए कोई सख्त प्रयास नहीं कर रही है, जिससे इन सैनिकों के परिवारों में भारी रोष है। समय-समय पर इन जंगी कैदी सैनिकों के जीवित होने के सबूत भी मिलते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान अपनी हार का बदला लेने के लिए इन भारतीय सैनिकों को रिहा नहीं कर रहा है जबकि भारतीय सेना ने 1971 की जंग में पाकिस्तान के 93 हजार सैनिकों को रिहा कर दिया था।
सैनिक रामदास की दास्तान
वीर सैनिक रामदास जो 1971 की भारत-पाक जंग में पाकिस्तानी सेना के हत्थे चढ़ गए और 46 वर्षों से उनकी रिहाई पाकिस्तान सरकार नहीं कर रही है सिर्फ रामदास ही नहीं, बल्कि 54 भारतीय जंगी कैदी जिनमें मंगल सिंह, जांबर सिंह व कई ऐसे वीर सैनिक पाकिस्तान की जेलों में कैद हैं, जिनके जीवित होने के सबूत भी मिलते रहे हैं, लेकिन पाकिस्तान सरकार अपनी हार का बदला लेने के लिए हमारे इन जांबाज सैनिकों को रिहा करने को तैयार नहीं है। पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय सैनिक रामदास की पत्नी कांता कुमारी 46 वर्षों से अपनी पति की लंबी आयु के लिए करवाचौथ का व्रत रखती आ रही है और भगवान से यही दुआ करती है कि उनका पति जहां भी हो सही-सलामत रहे और अपने वतन लौटकर आ जाए। रामदास का बेटा शिव कुमार भी बड़ा हो चुका है और पंजाब पुलिस में बतौर हवलदार काम कर रहा है, उस भी यही उम्मीद है कि उनके पिता एक न एक दिन वतन जरूर वापस आएंगे।
अपनी दास्तां बयान करते हुए शिव शर्मा ने बताया कि अपने सैनिकों की रिहाई के लिए भारत सरकार को जो गंभीर प्रयास करने चाहिए थे, वह नहीं किए गए हैं जबकि 54 जंगी कैदियों के पाकिस्तान की जेलों में जीवित होने के कई सबूत भी मिले हैं, यहां तक कि पाकिस्तानी रेडियो व पाकिस्तान की अखबारों में भी भारतीय जंगी सैनिकों की तस्वीरें छपी थीं, लेकिन भारत सरकार ने अपने ही सैनिकों की रिहाई के लिए कोई सख्त प्रयास नहीं किया।
सैनिक मंगल सिंह की दास्तान
सैनिक रामदास की भांति सैनिक मंगल सिंह भी 1971 की भारत-पाक जंग में लड़ा और पकड़ा गया लेकिन पाकिस्तान सरकार ने आज तक इस सैनिक को न तो रिहा किया है और न ही उसके जीवित होने के सच को कबूला है। मंगल सिंह का परिवार इस समय जालंधर की रामा मंडी में रहता है।
मंगल सिंह के बेटे दलजीत सिंह ने बताया कि उनके पिता के जीवित होने के सबूत समय-समय पर पाकिस्तान से रिहा होकर आए कैदियों से मिलते रहे हैं लेकिन पाकिस्तान सरकार उनको रिहा नहीं कर रही है। एक सैनिक के साथ सैनिक जैसा ही सलूक होना चाहिए। यदि भारत सरकार पाकिस्तान के 93 हजार कैदियों को रिहा कर सकती है तो पाकिस्तान सरकार ने हमारे 54 जंगी कैदियों को रिहा क्यों नहीं किया है?
बी.एस.एफ. के जवान सुरजीत सिंह की दास्तान
भारतीय सैनिक रामदास की तरह बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत सिंह 46 वर्षों से पाकिस्तान की जेल में कैद है, लेकिन पाकिस्तान सरकार उसे रिहा नहीं कर रही है। वहीं पाकिस्तानी जेलों में बंद भारतीय सैनिकों के मामले में भी भारत सरकार का रवैया कभी भी सकारात्मक नहीं रहा है। बी.एस.एफ. का एक जवान ऐसा भी है जो पिछले 46 वर्षों से पाकिस्तान की किसी जेल में सड़ रहा है, लेकिन भारत सरकार है कि अपने इस जवान को बचाने के लिए कोई सख्त प्रयास नहीं कर रही है।
जानकारी के अनुसार बी.एस.एफ. का जवान सुरजीत सिंह गांव टहना फरीदकोट का रहने वाला है। उसका बैच नंबर 66577672 है और वह बी.एस.एफ. की 57वीं बटालियन में तैनात था। जब वह सांबा सैक्टर में ड्यूटी कर रहा था तो उस समय भारत-पाक जंग के दौरान पाकिस्तानी सेना ने उसे गिरफ्तार कर लिया और आज तक उसे न तो रिहा किया है और न ही उसके पाकिस्तानी जेल में जीवित होने की पुष्टि की है। सुरजीत सिंह के बेटे अमरीक सिंह ने बताया कि उसे अपने पिता के जीवित होने की खबर तब मिली जब 4 जुलाई 1984 को सतीश कुमार मरवाहा निवासी बस्ती टंका वाली फिरोजपुर पाकिस्तान की जेलसे रिहा होकर भारत आया। सतीश कुमार ने बताया कि सुरजीत सिंह वर्ष 1973 से लेकर 1984 तक उसके साथ ही पाकिस्तान की कोटलखपत जेल में कैद था और वे दोनों इकट्ठा जेल में थे। सतीश कुमार को सुरजीत सिंह की फोटो भी दिखाई गई और उसने सुरजीत सिंह की पहचान भी कर ली। इसके बाद वर्ष 2004 में भारतीय कैदी खुशी मुहम्मद निवासी मालेरकोटला पाकिस्तान की जेल से रिहा होकर भारत आया तो उसने भी सुरजीत सिंह के जीवित होने की पुष्टि की।
जगजीत सिंह निवासी कपूरथला भी जब वर्ष 2004 में पाकिस्तान से रिहा होकर भारत आया तो उसने भी सुरजीत सिंह के जीवित होने की पुष्टि की। इतना ही नहीं, पाकिस्तान में 24 वर्ष सजा काटने के बाद गोपाल दास जब रिहा होकर भारत आया तो उसने बताया कि सुरजीत सिंह कोटलखपत जेल में कैद था, लेकिन अब उसे किसी दूसरी जेल में शिफ्ट कर दिया गया है। सुरजीत सिंह के बेटे अमरीक ने बताया कि वह अपने पिता की रिहाई के लिए जंतर-मंतर पर धरना भी दे चुका है। इतना ही नहीं, अटारी बार्डर पर बी.एस.एफ. व पाकिस्तान रेंजर्स के बीच होने वाली बैठक में भी सुरजीत सिंह का मुद्दा बी.एस.एफ. की तरफ से उठाया गया, लेकिन पाकिस्तानी अधिकारियों ने सुरजीत सिंह संबंधी कोई भी दस्तावेज नहीं दिए, उल्टा पाकिस्तानी अधिकारी यह बोल रहे हैं कि सुरजीत सिंह नाम का कोई भी व्यक्ति उनकी जेल में नहीं है।
आज सुरजीत सिंह का परिवार इस बात से बेहद खफा है कि उनके सुरजीत सिंह को रिहा करवाने के लिए भारत सरकार ने वह सख्त प्रयास नहीं किए जितने करने चाहिए थे। उनका मानना है किभारत सरकार अपने सैनिकों का योग्य सम्मान नहीं कर रही है। इस मुद्दे को अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचाना चाहिए था लेकिन सरकार ने ऐसा नहीं किया है।
सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है मामला
भारतीय सैनिकों की पाकिस्तानी जेल में बंद होने की सूचना समय-समय पर उनके परिवारों को मिलती रही है, लेकिन पाकिस्तान की सरकार ने भारतीय जंगी कैदियों को आज तक रिहा नहीं किया है। यहां तक भारतीय कैदियों के जीवित होने से भी मना कर दिया है। यह मामला इस समय सुप्रीम कोर्ट में भी चल रहा है और केन्द्र सरकार की इसमें ङ्क्षखचाई हो रही है। भारतीय सैनिकों के परिवार केन्द्र सरकार से सख्त नाराज हैं, क्योंकि सरकार ने अपने जंगी कैदियों की रिहाई के लिए उचित कदम नहीं उठाए। गुजरात के मानवाधिकार कार्यकत्र्ता एम.के. पॉल लंबे समय से 54 जंगी कैदियों की रिहाई के लिए अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन अभी तक पाकिस्तान ने एक भी जंगी कैदी रिहा नहीं किया है।