Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jul, 2017 08:36 AM
पंजाब में 9 जगह प्रदूषण का स्तर इस कदर बिगड़ चुका है कि यहां रहने से सेहत खराब हो सकती है।
चंडीगढ़(अश्वनी कुमार): पंजाब में 9 जगह प्रदूषण का स्तर इस कदर बिगड़ चुका है कि यहां रहने से सेहत खराब हो सकती है। यह खुलासा केंद्र सरकार की उस रिपोर्ट में हुआ है जहां प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए सुधार के लिए जल्द ठोस कदम उठाने की बात कही गई है। और तो और रिपोर्ट में कुछ प्रदूषित जगहों पर रिहैब्लिटेशन (पुनर्वास) नीति अमल में लाने पर जोर दिया गया है। मालवा में कन्टैमिनेटिड साइट्स की संख्या सबसे ज्यादा है।
पहले 27 संभावित जगह थीं कन्टैमिनेटिड साइट्स की सूची में
पर्यावरण,वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की तरफ से संभावित कन्टैमिनेटिड साइट्स इन इंडिया पर तैयार रिपोर्ट में यूं तो पंजाब की 27 संभावित जगहों को शामिल किया गया था लेकिन बाद में विशेषज्ञों से चर्चा के बाद 18 स्थानों को सूची से बाहर किया गया है।
बाकी बची 9 जगहों पर केंद्र सरकार की तरफ से तैनात विशेष टीम ने मौके का मुआयना किया। साथ ही, पंजाब पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड से भी रिपोर्ट तलब की गई। बोर्ड ने इन सभी जगहों को कन्टैमिनेटिड साइट्स के तौर पर चिन्हित करते हुए अपनी रिपोर्ट मंत्रालय को भेज दी है। जिन 9 जगहों को कन्टैमिनेटिड साइट्स की सूची में डाला गया है वहां आर्सेनिक, कैडमियम, पोटाशियम, अमोनिया, क्लोराइड, नाइट्रेट, सल्फेट जैसे कई घातक प्रदूषक पाए गए हैं। इन प्रदूषकों के लगातार संपर्क में रहने से सेहत पर विपरीत प्रभाव पड़ सकते हैं।
सूची बनाने से नहीं धरातल पर काम करने से बदलेगी काया
बेशक केंद्र सरकार के स्तर पर पंजाब की बेहद प्रदूषित जगहों का खाका तैयार करना अच्छी पहल है लेकिन केवल सूचियां बनाने से कोई बदलाव नहीं आने वाला। जरूरी है कि धरातल पर काम किया जाए। काला संघिया ड्रेन की ही बात करें तो पिछले लंबे समय से हमारी संस्था इसमें आने वाले विषैले तत्वों के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है।
सीवरेज रोकने के लिए बांध भी बनाए गए लेकिन उच्चाधिकारियों की शह पर बांध तोड़कर सीवरेज ड्रेन में डाला जा रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है। पंजाब सरकार को केवल केंद्र सरकार के भरोसे रहकर प्रदेश को स्वच्छ बनाने की बजाय खुद अपने स्तर पर भी प्रदूषण से निपटने के लिए अभियान चलाना होगा। तभी पंजाब की आबो-हवा शुद्ध होगी और पंजाब के बाशिंदों को अच्छी सेहत मिल पाएगी।
-बलबीर सिंह सीचेवाल, पर्यावरणविद
मानसिक रोग का शिकार हो रहे बच्चे
पंजाब में कई स्वयंसेवी संस्थाओं ने सर्वे में पाया है कि पंजाब में फाजिल्का क्षेत्र में कुछ जगह ऐसी हैं जहां पैदा होने वाले बच्चे सैरेब्रल पल्सी यानी प्रमस्तिष्क अंगघात के रोग से ग्रसित हैं। वहीं पंजाब सरकार के स्तर पर करवाए गए सर्वे में यह बात सामने आई है कि पंजाब में कैंसर तेजी से फैल रहा है। मुक्तसर जिले के कुछ सबसे ज्यादा कैंसर से पीड़ित रोगियों के गांव में जब गांववासियों के खून के नमूने टैस्ट किए गए तो सामने आया कि इनके खून में बड़ी मात्रा पैस्टीसाइड की है। जिस काला संघिया ड्रेन को कन्टैमिनेटिड साइट की सूची में डाला गया है। पर्यावरण मंत्रालय भी इस बात को स्वीकार कर चुका है कि पंजाब के पानी में हैवी मैटल के साथ-साथ यूरेनियम तक मौजूद है। सबसे ज्यादा मालवा बैल्ट इससे प्रभावित है।