कुंदन ग्रुप को मिलेगा ऋषि गंगा पावर प्रोजैक्ट का कंट्रोल

Edited By swetha,Updated: 17 Nov, 2018 09:03 AM

kundan group

केंद्र सरकार की तरफ से 2016 में लागू किए गए दिवालिया कानून के तहत लुधियाना के ऋषि गंगा पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (रजत पेंट ग्रुप) का कंट्रोल दिल्ली के कुंदन ग्रुप को मिलेगा। एन.सी.एल.टी. (नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद कंपनी...

लुधियाना(नरेश कुमार): केंद्र सरकार की तरफ से 2016 में लागू किए गए दिवालिया कानून के तहत लुधियाना के ऋषि गंगा पावर कॉर्पोरेशन लिमिटेड (रजत पेंट ग्रुप) का कंट्रोल दिल्ली के कुंदन ग्रुप को मिलेगा। एन.सी.एल.टी. (नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) ने पूरे मामले की सुनवाई के बाद कंपनी का कंट्रोल कुंदन ग्रुप को देने की मंजूरी दे दी है। कंपनी को गंगा पावर प्रोजैक्ट कॉर्पोरेशन का कंट्रोल लेने के लिए 45.62 करोड़ की रकम जमा करवानी होगी। 

कानून के अंतर्गत हल हुआ पंजाब का यह दूसरा बड़ा दिवालिया केस है। इससे पहले अमृतसर के रैडीसन होटल के दिवालिया होने का मामला हल हुआ था। ताजा मामलों में लुधियाना के चार्टर्ड अकाऊंटैंट निपिन बांसल और उनकी टीम की अहम भूमिका रही है। निपिन बांसल की टीम को यह मामला इस साल जनवरी में पंजाब नैशनल बैंक की तरफ से सौंपा गया था। बांसल की टीम के सदस्यों अक्षित महेश्वरी, नेहा गोयल, पलक गुप्ता, हर्ष गर्ग, पुलकित गोयल, मनीषा गांधी, केशव प्रताप सिंह और अशोक अग्रवाल ने इस मामले में दिन-रात एक करके चंडीगढ़ में स्थित एन.सी.एल.टी. (नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल) की कोर्ट में सभी तर्क रखे जिनके आधार पर 13 नवम्बर को इस मामले में फैसला सुनाते हुए कंपनी का कंट्रोल दिल्ली के कुंदन ग्रुप को दे दिया गया है।

क्या है पूरा मामला

दरअसल लुधियाना के ऋषि गंगा पावर कॉर्पोरेशन की तरफ से जेशी मठ में हाइड्रोपावर का प्लांट लगाने के लिए पंजाब नैशनल बैंक, ओ.बी.सी. और कोटक महिंद्रा बैंक से 160 करोड़ रुपए का कर्ज लिया गया था। इसके अलावा कंपनी के सिर पर बाजार की 5 करोड़ रुपए की देनदारी भी थी । कुल मिला कर 165 करोड़ रुपए के कर्ज के नीचे दबे थे। कर्ज की रकम चुकता न होने पर बैंकों ने कंपनी को दिवालिया घोषित करवाने के लिएएन.सी.एल.टी. का दरवाजा खटखटाया ।

इस काम के लिए निपिन बांसल और उनकी टीम को जिम्मेदारी सौंप दी गई। फैसले के मुताबिक कुंदन ग्रुप बैंकों को 45.62 करोड़ रुपए देकर पूरे प्रोजैक्ट का कंट्रोल अपने हाथों में ले रहा है।  इसके अलावा पूरे प्रोजैक्ट की 90 करोड़ रुपए के बीमों की रकम को ले कर मामला कानूनी प्रक्रिया में फंसा हुआ है।  बैंकों को उम्मीद है कि वहां भी बैंकों के हक में फैसला आएगा और बैंकों की तरफ से दिए गए कुल कर्ज की रकम की भरपाई हो सकेगी।

क्या है एन.सी.एल.टी. और दिवालिया कानून 
केंद्र सरकार की तरफ  से यह कानून 2016 में पास किया गया था, इस कानून के अंतर्गत बैंकों का कर्ज न मोडऩे वाली कंपनियों के खिलाफ बैंक एन.सी.एल.टी. में जा सकते हैं जहां मामलों की सुनवाई कुछ ही महीनों में पूरी हो जाती है जबकि इससे पहले यह व्यवस्था नहीं थी। पहले वाली व्यवस्था में जिस प्रॉपर्टी के अंतर्गत कर्ज लिया जाता था उस प्रॉपर्टी का कब्जा लेने के बाद उसकी नीलामी के अलावा डेट रिकवरी ट्रिब्यूनल (डी.आर.टी.) या हाईकोर्ट में जाना पड़ता था या इस लम्बी कानूनी प्रक्रिया में सालों इंतजार करना पड़ता था। नया कानून आने के बाद बैंकों के लिए कंपनियों को दिवालिया घोषित करवा कर उनके प्रोजैक्टों को किसी और उद्योगपति या कंपनी को बेचने का रास्ता खुल गया है। 

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