Edited By Punjab Kesari,Updated: 21 Dec, 2017 05:06 PM
210 ग्राम नशीला पाऊडर बरामद करने के एक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की ऐसी-ऐसी खामियां सामने आईं कि अदालत में यह मामला पूरी तरह से कमजोर पड़ गया।
इसमें पुलिस विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही यह भी थी कि बरामद किए जाने वाले नशीले पाऊडर का सैंपल जो...
अमृतसर(महेन्द्र): 210 ग्राम नशीला पाऊडर बरामद करने के एक मामले की सुनवाई के दौरान पुलिस की ऐसी-ऐसी खामियां सामने आईं कि अदालत में यह मामला पूरी तरह से कमजोर पड़ गया।
इसमें पुलिस विभाग की सबसे बड़ी लापरवाही यह भी थी कि बरामद किए जाने वाले नशीले पाऊडर का सैंपल जो नियमों के अनुसार 72 घंटों के अंदर भेजा जाना होता है, वह सैंपल करीब साढ़े 8 महीने बाद लैब में भेजा गया था।
प्रॉसीक्यूशन तथा डिफैंस कौंसिल के बीच छिड़ी कानूनी बहस के दौरान मामले की जांच करने वाला पुलिस अफसर इस कदर कानूनी जाल में फंस गया कि उसे सवाल-जवाब के दौरान कई प्रकार की खामियों को स्वीकार करना पड़ा। मामले की सुनवाई मुकम्मल होने पर स्थानीय अतिरिक्त जिला एवं सैशन जज जसपिन्द्र सिंह हेर की अदालत ने कथित आरोपी को बरी कर दिया है।
थाना चाटीविंड में 20-5-2014 को एन.डी.पी.एस. एक्ट की धारा 21, 22, 61, 85 के तहत दर्ज किए गए मुकद्दमा नंबर 69/2014 के अनुसार पुलिस चौकी बोहड़ू के तत्कालीन प्रभारी एस.आई. नेहरू राम पुलिस पार्टी के साथ गांव मंडियाला से गांव चब्बा की तरफ जा रहे थे। जब पुलिस पार्टी पुल गंदा नाला गांव मंडियाला के समीप पहुंची, तो गांव चब्बा की तरफ से आ रहे गांव वरपाल निवासी कथित आरोपी कालू पुत्र शिंदर उर्फ मिंदा को संदेह के आधार पर काबू करके उसके कब्जे में से 210 ग्राम नशीला पाऊडर बरामद करने का दावा किया था।
डिफैंस कौंसिल राजन कटारिया ने बताया कि नशीला पदार्थ फोरैंसिक लैब में भेजने में की गई देरी को लेकर कोई भी कारण नहीं बताया गया था। हालांकि पुलिस थाने में तब तक 2 प्रभारी भी बदल चुके थे। इसके अलावा कानूनी बहस के दौरान मामले की जांच अफसर ने इस बात को भी स्वीकार किया था कि एम-29 फार्म भरने सहित सारी कानूनी प्रक्रिया हैड-कांस्टेबल ने पूरी की थी और उन्होंने तो उस पर सिर्फ हस्ताक्षर ही किए थे।