Edited By Punjab Kesari,Updated: 15 Nov, 2017 12:45 PM
देश सेवा के जज्बे ने 22 वर्षीय भूमिका ठाकुर को पंजाब पुलिस में सब इंस्पैक्टर बना कर यह साबित कर दिया कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं हैं। उनकी इस उपलब्धि पर बाल दिवस के मौके पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने एक समारोह आयोजित कर...
पठानकोट(आदित्य, शारदा): देश सेवा के जज्बे ने 22 वर्षीय भूमिका ठाकुर को पंजाब पुलिस में सब इंस्पैक्टर बना कर यह साबित कर दिया कि लड़कियां किसी भी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं हैं। उनकी इस उपलब्धि पर बाल दिवस के मौके पर शहीद सैनिक परिवार सुरक्षा परिषद ने एक समारोह आयोजित कर उन्हें गौरव सम्मान से नवाजा।
इस अवसर पर जिला एन.आर. आई. सभा के प्रधान एन.पी. सिंह, राजपूत महासभा लोकसभा हलका गुरदासपुर के प्रधान कुंवर संतोख सिंह, महाराणा प्रताप यूथ क्लब सम्मूचक्क के प्रधान ठाकुर
दि उपस्थित थे।
चाचा को वर्दी में देखकर मन में भी वर्दी पहनने की लालसा पैदा हुई : भूमिका
गांव हरिपुर निवासी एस.आई. भूमिका ठाकुर ने परिषद के सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वह अपनी ड्यूटी को तनदेही से निभाते हुए लोगों को इंसाफ दिलाएगी। उसने कहा कि उनकी इस उपलब्धि का श्रेय उनके अध्यापकों के साथ-साथ उनके माता-पिता को जाता है। उसने कहा कि उनके पिता ठाकुर रंधीर सिंह एक किसान व माता ज्योति ठाकुर गृहणी हैं। उनके चाचा मेजर सिंह जोकि सेना से हवलदार के पद से रिटायर हुए हैं। बचपन में जब वह उन्हें वर्दी में देखती तो उनके मन में भी वर्दी पहनने की लालसा हिलोरे लेने लगी। इसी लक्ष्य को सामने रखते हुए उसने पढ़ाई के साथ-साथ खेलों में भी कड़ी मेहनत की। उसने आगे बताया कि मई 2016 में उसकी सिलैक्शन पंजाब पुलिस में बतौर सब इंस्पैक्टर हुई थी।
बेटे से भी बढ़कर है भूमिका : माता-पिता
बेटी की इस उपलब्धि पर गदगद उसके माता-पिता ने कहा कि भूमिका उनकी इकलौती बेटी है, जो उनके लिए बेटे से भी बढ़कर है तथा 22 वर्ष की अल्पायु में यह मुकाम हासिल कर उसने उनका सिर गर्व से ऊंचा कर दिया है।
परिषद के महासचिव कुंवर रविंदर सिंह विक्की ने कहा कि भूमिका ने सब इंस्पैक्टर बनकर अपने माता पिता के साथ पूरे जिले का नाम रोशन किया है। इस लिए क्षेत्र के युवाओं को उनकी मेहनत व लगन से प्रेरणा लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि एक लड़की होकर भूमिका का पंजाब पुलिस में अफसर बनना, उन लोगों के लिए एक संदेश है, जो आज भी बेटियों को कोख में कत्ल करने से परहेज नहीं करते।