Edited By Punjab Kesari,Updated: 25 Dec, 2017 09:21 AM
वैसे तो हर शहर तथा कस्बे में कुछ विशेष इलाके होते हैं जहां पर बेशक सस्ता खाना व अन्य जंक फूड आदि बिकता है।
गुरदासपुर(विनोद): वैसे तो हर शहर तथा कस्बे में कुछ विशेष इलाके होते हैं जहां पर बेशक सस्ता खाना व अन्य जंक फूड आदि बिकता है।
यह जंक फूड या घटिया खाना लोगों की सेहत से किस तरह से खिलवाड़ करता है यह सेहत विभाग के अधिकारी भी जानते हैं तथा आम जनता सहित यह घटिया सामान बेचने वाले दुकानदार भी जानते हैं परंतु हैरानी की बात यह है कि सभी पक्ष इसके बावजूद चुप्पी धारण किए बैठे हैं, जबकि पूरे देश में इस तरह के मानव के प्रयोग में आने वाले घटिया सामान के बेचने पर रोक लगाने के लिए कई विभाग, कई कमीशन तथा संगठन काम कर रहे हैं जिन पर हर साल करोड़ों रुपए खर्च किए जाते हैं।
विदेशों से भी अब इस संबंधी बड़ी मात्रा में सामान भारत आ रहा है तथा इस सामान को चैक करने तथा गुणवत्ता को चैक करने के लिए कई लैब्स भारत सरकार ने शुरू कर रखी हैं, जो पूरे देश में काम करती हैं परंतु यदि इन लैब्स की चैकिंग की जाए या लैब्स द्वारा किए काम की जांच की जाए तो इनकी भूमिका बहुत ही घटिया प्रमाणित होती है क्योंकि इन लैब्स में वे आधुनिक यंत्र ही नहीं हैं जो किसी पैक खाने वाले सामान की जांच कर सके।जहां तक जिला गुरदासपुर का संबंध है यहां पर कई ऐसी मार्कीट्स तथा कई ऐसे ढाबे हैं जहां पर जो भोजन या अन्य सामान लोगों को परोसा जाता है वह मानव के खाने के योग्य ही नहीं होता पंरतु इन स्थानों पर रश बहुत अधिक रहता है।
कौन-कौन से क्षेत्र हैं गुरदासपुर शहर व आसपास
गुरदासपुर शहर शुरू से ही उच्च क्वालिटी के खाने की सुविधा से वंचित रहा है परंतु अब समय के साथ कुछ आधुनिक रैस्टोरैंट बनने से लोगों को कुछ राहत जरूर मिली है परंतु इस बढिय़ा रैस्टोरैंट में जाने वालों का प्रतिशत बहुत कम है। जबकि जिन स्थानों पर घटिया खाने का सामान बिकता है वहां पर रश हर समय रहता है तथा नौजवान वर्ग इन स्थानों पर जाने को प्राथमिकता देता है।
गुरदासपुर में सबसे खराब स्थिति मछली मार्कीट की है। मछली मार्कीट में अधिकतर मछली जो बिकती है वह घटिया क्वालिटी तथा सस्ते रेट वाली बिकती है। मार्कीट में अधिकतर मछली समुद्र की ही आती है जो लगभग 15 से 20 दिन पहले समुद्र से पकड़ कर आगे शहरों में भेजी जाती है। इस मार्कीट में इसी बदबूदार मछली के कारण निकलना कठिन होता है।
दूसरा शहर में इस समय 300 से अधिक रेहडियां खाने-पीने वाले सामान तथा जंक फूड की बिक्री के लिए लगती हैं। इन रेहडिय़ों पर मांसाहारी तथा शाकाहारी सामान बिकने के कारण हर तरह के लोग विशेष कर युवा वर्ग बहुत अधिक संख्या में यहां आता है परंतु इन रेहडिय़ों पर जो सामान बिकता है वह किसी भी तरह से खाने के काबिल नहीं होता। इसी तरह शिक्षा संस्थाओं के बाहर भी इस तरह की रेहडिय़ां आम खड़ी देखी जाती हैं जिन पर बिकने वाला सामान ढंका नहीं होता है।