Edited By Punjab Kesari,Updated: 23 Jan, 2018 01:42 PM
पंजाब रोडवेज वर्कशॉप के अंदर बने हुआ आधुनिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर आए दिन किसी न किसी बात को लेकर अक्सर चर्चा में बना रहता है। कभी यहां काम करने वाले निजी कंपनी के स्टाफ द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार और कभी यहां से ऑपे्रट करने वाले एजैंटों के...
जालंधर (अमित): पंजाब रोडवेज वर्कशॉप के अंदर बने हुआ आधुनिक ड्राइविंग टैस्ट ट्रैक पर आए दिन किसी न किसी बात को लेकर अक्सर चर्चा में बना रहता है। कभी यहां काम करने वाले निजी कंपनी के स्टाफ द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार और कभी यहां से ऑपे्रट करने वाले एजैंटों के साथ उनकी सांठगांठ के कारण परिवहन विभाग की साख को धक्का लगता रहता है। मगर अपनी शुरूआत से ही विवादों के साथ चोली-दामन का साथ बनाए रखने वाले ट्रैक पर सुधार करने और आम जनता की परेशानियों को कम करने के लिए गंभीर प्रयासों की कमी भी देखी जा सकती है। सोमवार को भी इसी कड़ी में एक विवाद सामने आया, जिसने एक बार फिर से यहां काम करने वाले स्टाफ के कामकाज पर सवालिया निशान खड़े कर दिए। मामले में कितनी सच्चार्इ हैं इसको लेकर फिल्हाल कुछ भी नहीं कहा जा सकता है, मगर इतना तय है कि आम जनता के बीच निजी कंपनी के स्टाफ की छवि अधिक अ‘छी नहीं है।
क्या है मामला, क्यों हुआ विवाद?
लिद्दड़ां निवासी कनिश ने बताया कि वह सोमवार को अपनी नीले रंग की मारुती कार में पक्के लाइसैंस के लिए ट्रैक टैस्ट देने आए थे। लगभग दो घंटे तक लम्बा इंतजार करने के पश्चात जब उनकी बारी आई तो उन्होंने पूरा टैस्ट सही ढंग से दे दिया। मगर टैस्ट देकर जब वह काऊंटर पर आए तो वहां बैठे कर्मचारी ने कहा कि आपकी गाड़ी नीले रंग की है और आखिरी कुछ दूरी का ग्राफ कैमरे में नहीं आया है, इसलिए आपको सफेद रंग की गाड़ी ला कर री-टैस्ट देना होगा। कनिश ने कहा कि उसकी हैरानी का ठिकाना नहीं रहा, क्योंकि इससे पहले भी वह एक बार इसी गाड़ी पर टैस्ट दे चुका है और तब उसे यह कहकर वापस लौटाया गया था कि आप पार्किंग में सही ढंग से गाड़ी नहीं लगा सके, इसलिए आपका री-टैस्ट होगा। कनिश ने कहा कि दूसरी बार टैस्ट देते समय उसे किसी ने नहीं बताया कि नीले रंग की गाड़ी से टैस्ट नहीं दिया जा सकता। उसने किसी भी कर्मचारी द्वारा सचेत करने या उसके द्वारा निवेदन करने जैसी बात से साफ तौर पर इंकार किया। कनिश ने कहा कि जब उसने मामले की शिकायत ट्रैक इंचार्ज से की तो उसने कहा कि आप आज ही बाद दोपहर दूसरी गाड़ी ले आना आपका टैस्ट हो जाएगा, जिसके बाद वह लगभग &.&0 बजे दूसरी गाड़ी लेकर गया और टैस्ट देकर अपना आवेदन जमा करवाया।
कनिश ने कहा कि बड़ी हैरानी वाली बात है कि अगर कुछ रंगों की गाडिय़ों में टैस्ट देने से पास नहीं हो सकते तो इसको लेकर ट्रैक पर साइन बोर्ड लगाना चाहिए और यह फाल्ट तो कंपनी के लैवल पर है इसका आवेदक से कोई लेना-देना ही नहीं है। इतना ही नहीं जिस कर्मचारी ने टैस्ट लिया था, वह शिकायत होने के कुछ देर बाद ही तबीयत खराब होने का कहकर अपनी सीट से उठकर चला गया था और उसकी जगह दूसरे कर्मचारी को बैठाया गया था, जिससे संदेह पैदा होना लाजमी है।
क्यों उठे रहे हैं सवालिया निशान, कैसे जाती है स्टाफ पर शक की सूई?
पंजाब केसरी इस बात का दावा नहीं करती कि ट्रैक टैस्ट लेते समय स्टाफ द्वारा कोई गड़बड़ी की जाती है। मगर हर बार स्टाफ पर सवालिया निशान इसलिए उठ रहे हैं क्योंकि ऐसा पहली बार नहीं हुआ है कि एजैंटों के साथ सांठ-गांठ करके बिना टैस्ट लिए आवेदकों को पास करने की आशंका जताई गई है। इससे पहले कई बार ऐसे मामले सामने आ चुके हैं और हर बार यही बात सामने आई है कि जिस आवेदक का टैस्ट पहली बार में सही हो जाता है उसे जानबूझकर री-टैस्ट के लिए बोल दिया जाता है और उसके टैस्ट ग्राफ को दूसरा एप्लीकेशन नंबर डालकर अपनी सुविधा अनुसार इस्तेमाल करके पूरे गोरखधंधे को ऑप्रेट किया जाता है।
हमने पहले ही आवेदक को मना किया था, हमारा नहीं कोई कसूर : इंचार्ज
ट्रैक इंचार्ज अमित का कहना है कि उनके कर्मचारी ने पहले ही आवेदक को मना कर दिया था कि नीले रंग की गाड़ी से टैस्ट सही आए न आए इसकी कोई गारंटी नहीं है। मगर आवेदक के निवेदन पर ही उसे टैस्ट देने की अनुमति दी गई थी। इस पूरे मामले में उनका कोई कसूर नहीं है। जहां तक कर्मचारी के उठने का सवाल है, तो उसकी पीठ में दर्द था, इसलिए वह थोड़ी देर के लिए सीट से जरूर उठा था। मगर जानबूझकर किसी को परेशान करने जैसी कोई बात नहीं है।