तस्करी का झूठा केस दर्ज करने पर ‘दुविधा’ में फंसी पुलिस

Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Dec, 2017 09:36 AM

police trafficking in fake cases of smuggling

पंजाब सरकार द्वारा गत अकाली-भाजपा सरकार के समय दर्ज किए झूठे केसों की पुन: जांच के लिए गठित जस्टिस (सेवामुक्त) मेहताब सिंह गिल कमीशन ने राजनीतिक रंजिश के तहत नशा तस्करों के झूठे मामले को दर्ज करने वाले सहायक थानेदार तथा 3 अन्य पुलिस मुलाजिमों के...

मोगा (पवन ग्रोवर): पंजाब सरकार द्वारा गत अकाली-भाजपा सरकार के समय दर्ज किए झूठे केसों की पुन: जांच के लिए गठित जस्टिस (सेवामुक्त) मेहताब सिंह गिल कमीशन ने राजनीतिक रंजिश के तहत नशा तस्करों के झूठे मामले को दर्ज करने वाले सहायक थानेदार तथा 3 अन्य पुलिस मुलाजिमों के विरुद्ध पुलिस केस दर्ज करने एवं पीड़ित को 2 लाख रुपए मुआवजा देने की सिफारिश करने के साथ-साथ 1 मुखबिर की सूचना पर 2 सगे भाइयों सहित 10 के खिलाफ दर्ज किए तस्करी के केस को भी रद्द करने की सिफारिश की है।

जानकारी के अनुसार गिल कमीशन ने स्थानीय सी.आई.ए. स्टाफ द्वारा 3 जनवरी 2015 को जोगिंद्र सिंह संगतपुरा को गिरफ्तार करउससे 500 ग्राम नशीला पाऊडर बरामद होने का केस झूठा पाया। थाना बाघापुराना में दर्ज इस केस के जांच अधिकारी ए.एस.आई. पहाड़ा सिंह, हवलदार हरभजन सिंह मौजूदा समय आई.जी. के गनमैन व हवलदार गुलाब सिंह के खिलाफ एन.डी.पी.सी 1985 की धारा 58 तथा सैक्शन 193 तथा 195 आई.पी.सी. के तहत केस दर्ज करने और पीड़ित को 2 लाख रुपए मुआवजा देने की सिफारिश की गई है।

राज कैमिकल लैबोरेटरी द्वारा पाऊडर नशीला न होने की रिपोर्ट पर पुलिस द्वारा पीड़ित के खिलाफ दर्ज की एफ.आई.आर. एडीशनल जिला एवं सैशन जज तरसेम मंगला की अदालत ने 31 अक्तूबर 2017 को रद्द करने की रिपोर्ट मंजूर कर ली थीं।

इसके अलावा कमीशन ने थाना बाघापुराना पुलिस द्वारा 17 अगस्त 2013 को मुखबिर की सूचना पर गांव संगतपुरा के 2 भाइयों समेत 7 के खिलाफ किया तस्करी का केस भी रद्द करने की सिफारिश की है। गौरतलब है कि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट ने भी कुछ शिकायतें कमीशन को सुनवाई के लिए भेजी हैं।

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