Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Nov, 2017 11:15 AM
मोगा में 9 वर्ष पहले बेपर्द हुए पासपोर्ट स्कैंडल की लंबी अदालती प्रक्रिया मुकम्मल हो गई, जिस कारण इस मामले संबंधी अदालत की ओर से 14 नवम्बर को फैसला सुनाए जाने की संभावना है। इस कारण लोगों की नजरें इस बहुचर्चित केस के फैसले पर लगी हुई हैं।
मोगा (ग्रोवर): मोगा में 9 वर्ष पहले बेपर्द हुए पासपोर्ट स्कैंडल की लंबी अदालती प्रक्रिया मुकम्मल हो गई, जिस कारण इस मामले संबंधी अदालत की ओर से 14 नवम्बर को फैसला सुनाए जाने की संभावना है। इस कारण लोगों की नजरें इस बहुचर्चित केस के फैसले पर लगी हुई हैं।
बताना बनता है कि जुलाई-2008 में थाना सिटी की पुलिस ने एक पुलिस मुलाजिम की शिकायत पर इस संबंधी मामला दर्ज किया था, लेकिन बाद में इस मामले संबंधी विशेष टीम ने मामले की तहकीकात की तो मामले की इतनी परतें खुलीं, जिसमें जालंधर, लुधियाना, फरीदकोट, गुरदासपुर, मोगा समेत पंजाब भर के अन्य स्थानों के लोगों ने टै्रवल एजैंटों के साथ मिलीभगत कर मोगा शहर के नजदीकी गांव दुन्नेके, चडि़क, बाघापुराना, गांधी रोड मोगा आदि स्थानों के फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पासपोर्ट बना लिए थे। विशेष जांच टीम की ओर से इन पासपोर्टों के आधार पर विदेशों की उडारी मारने वालों की एल.ओ.सी. जारी करवा दी गई थी, जिस कारण 300 से अधिक प्रवासी पंजाब नहीं आ रहे हैं।
मामले में 15 महिलाओं के अलावा 20 एजैंट नामजद
जानकारी के अनुसार इस केस में पुलिस की ओर से 15 महिलाओं के अलावा राजधानी चंडीगढ़ की टै्रवल एजैंसियों, 20 के लगभग एजैंटों को नामजद किया गया था। इसी मामले में 825 सरकारी गवाह थे, जिनमें से 35 के लगभग पुलिस अधिकारियों ने अदालत में गवाही नहीं दी थी। इस मामले में 3 पुलिस हवलदारों को विभाग ने नौकरी से चलता कर दिया था, वे भी इसी केस का सामना कर रहे हैं।