निगम के 42 करोड़ के टैंडरों बारे सी.एम. ऑफिस को शिकायत

Edited By Punjab Kesari,Updated: 18 Jan, 2018 11:09 AM

jalandhar municipal corporation

मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कुछ माह पहले शहर के चारों विधायकों को विकास कार्य हेतु 42 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी की थी जिसके आधार पर नगर निगम ने इनके टैंडर लगाए। कुछ टैंडर सिंगल आने के कारण निगम को दोबारा टैंडर लगाने पड़े और अब ज्यादातर...

जालंधर (खुराना): मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह ने कुछ माह पहले शहर के चारों विधायकों को विकास कार्य हेतु 42 करोड़ रुपए की ग्रांट जारी की थी जिसके आधार पर नगर निगम ने इनके टैंडर लगाए। कुछ टैंडर सिंगल आने के कारण निगम को दोबारा टैंडर लगाने पड़े और अब ज्यादातर टैंडर निगम के 3 ठेकेदारों ने हथिया लिए हैं। खास बात यह है कि इन तीनों ठेकेदारों ने ज्यादातर टैंडरों में 25 से 30 प्रतिशत तक डिस्काऊंट देकर सभी को हिला कर रख दिया है क्योंकि आजकल मंत्री नवजोत सिद्धू तथा उनकी विशेष टीम की काफी सख्ती पंजाब के निगमों पर चल रही है।

ऐसे में 30 प्रतिशत डिस्काऊंट देने वाले ठेकेदार क्या क्वालिटी दे पाएंगे इसे लेकर बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। निगम में ही ठेकेदारी करने वाली एक फर्म भागवत इंजीनियर्स एंड कांट्रैक्टर्स ने इन 42 करोड़ के टैंडरों में अनियमितताओं बारे सी.एम. ऑफिस को चि_ी लिखी हुई है जिसके आधार पर सी.एम. ऑफिस ने लोकल बॉडीज विभाग को इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं।शिकायती पत्र में शिकायतकत्र्ता ने साफ लिखा है कि राज्य के सभी निगमों, म्यूनिसिपल कमेटियों व कौंसिलों की टैंडर प्रक्रिया में गड़बड़ चल रही है। अक्सर ठेकेदार मिलीभगत करके 28 से 30 प्रतिशत डिस्काऊंट देकर टैंडर हथिया लेते हैं। उस काम को करते समय ठेकेदारों की मदद अफसरों द्वारा की जाती है। जिस आइटम में ठेकेदार को ज्यादा घाटा होना होता है, उस आइटम को ही बदल दिया जाता है या मात्रा कम कर दी जाती है।

शिकायतकत्र्ता रोहित भार्गव ने मुख्यमंत्री कार्यालय को लिखा है कि पी.डब्ल्यू.डी. तथा मंडी बोर्ड इत्यादि में ऐसी प्रैक्टिस को रोकने के लिए नियम बनाए गए हैं, जो ठेकेदार 25 प्रतिशत से ज्यादा या कम डिस्काऊंट देते हैं, उन मामलों में बिडर को एडीशनल परफार्मैंस सिक्योरिटी जमा करवानी होती है, जिससे टैंडर वाली वस्तु कम या खत्म नहीं हो सकती।जिन टैंडरों में 25 प्रतिशत से ज्यादा डिस्काऊंट भरा जाता है वहां इंजीनियर बिडर से डिटेल प्राइस एनालिसिस की मांग करता है जो सभी वस्तुओं या कुछ वस्तुओं पर हो सकती है। उस एनालिसिस को जांचने के बाद इंजीनियर द्वारा फैसला लिया जाता है ताकि वित्तीय नुक्सान न हो। शिकायतकत्र्ता ने एक और महत्वपूर्ण नुक्ता उठाया है कि अब सरकार ने 2015 से आर्बीट्रेशन आर्डीनैंस संशोधित रूप से लागू कर दिया है, जिसके आधार पर कोई कर्मचारी, कंसल्टैंट या एडवाइजर आर्बीट्रेटर नहीं बन सकता परन्तु निगम के 42 करोड़ के टैंडरों में निगम कमिश्रर को आर्बीट्रेटर बनाया गया है, जो संशोधित आर्डीनैंस का सरासर उल्लंघन है।शिकायतकत्र्ता रोहित भार्गव ने मांग की है कि निगम के इन 42 करोड़ के टैंडरों को रद्द किया जाए और सभी नियमों का प्रावधान करके नए सिरे से टैंडर लगाए जाएं। अगर उन्हें न्याय न मिला तो वह हाईकोर्ट की शरण भी लेंगे।

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