वरना व असी नदियों का पानी वाराणसी में गंगा को कर रहा दूषित

Edited By Anjna,Updated: 21 Feb, 2019 01:14 PM

dirty water

गंगा नदी में बनारस क्षेत्र में पडऩे वाली छोटी नदियों की हालत दयनीय बनी हुई है।

सुल्तानपुर लोधी(धीर/सोढी): गंगा नदी में बनारस क्षेत्र में पडऩे वाली छोटी नदियों की हालत दयनीय बनी हुई है। वरना व असी नदियां गंगा में मिलती हैं और इनका पानी दूषित है, जबकि शहर का नाम भी इन दोनों नदियों के नामों पर वाराणसी पड़ा था। बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के आई.आई.टी. के डायरैक्टर डा. प्रभात कुमार और बनारस शहर के तालाबों को बचाने के लिए जन आंदोलन चला रहे ललित मालवियां और कुपिन्द्र तिवाड़ी ने पर्यावरण प्रेमी संत बलबीर सिंह सीचेवाल को वरना व असी नदियों की हालत से अवगत करवाया।

उन्होंने बताया कि ऐतिहासिक बनारस शहर के कई धाॢमक ग्रंथों में यहां 155 तालाबों का उल्लेख आता है, परंतु नगर कौंसिल के रिकार्ड के अनुसार केवल 80 ही तालाब बचे हैं, बहुत से राजनीति की भेंट चढ़ते कब्जों के तहत आ चुके हैं। अवैध कब्जे छुड़ाने के लिए किए जा रहे संघर्ष कारण उनको झूठे 12 से अधिक मुकद्दमों का सामना करना पड़ रहा है। डा. प्रभात कुमार ने बताया कि वरना नदी को बचाने के लिए सरकार अब तक 200 करोड़ रुपए खर्च कर चुकी है, जिससे इसके किनारे मजबूत व सुन्दर बनाए गए हैं। 

इन नदियों की हालत देखने पर संत सीचेवाल ने कहा कि नदियों के किनारों को सुन्दर बनाने से पहले इसमें पडऩे वाले दूषित पानी को रोकने का प्रोजैक्ट अमल में लाने की जरूरत है। संत सीचेवाल ने इन दो नदियों के साथ-साथ 8 तालाबों का भी दौरा किया, जिनकी हालत गंभीर बनी हुई थी। उन्होंने बताया कि पवित्र काली बेईं का इतिहास में भी जिक्र आता है, बेईं नदी को बाबा नानक के चरणों का स्पर्श प्राप्त है। इसमें भी गांवों, शहरों का दूषित पानी पड़ रहा है, परंतु जन आंदोलन चलाए जाने से राज्य सरकार पर भी दबाव बनाया कि वह नदी में दूषित पानी पडऩे से रोकने के लिए सीवरेज ट्रीटमैंट प्लांट लगाए। 

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