रियल एस्टेट सैक्टर में उछाल न आने से कारोबार मात्र 15 प्रतिशत रह गया

Edited By Updated: 25 Jun, 2016 07:24 PM

the real estate sector fell 15 per cent jump in turnover from faire

पंजाब में गलत सरकारी नीतियों की बदौलत रियल एस्टेट सैक्टर दब कर रह गया है। रियल एस्टेट में उछाल न आने से...

जालन्धर(धवन): पंजाब में गलत सरकारी नीतियों की बदौलत रियल एस्टेट सैक्टर दब कर रह गया है। रियल एस्टेट में उछाल न आने से संबंधित कई कारोबार भी बैठ गए हैं।

 
रियल एस्टेट से जुड़े लोगों का मानना है कि जब तक प्रापर्टी की कीमतों में उछाल नहीं आएगा तब तक अन्य सहायक धंधे भी चल नहीं सकेंगे। तहसीलों में काम करने वाले स्टाम्प वैंडरों का मानना है कि अब रजिस्ट्रयों का कार्य मात्र 10 से 15 प्रतिशत तक रह गया है। राज्य में प्लाटों की एन.ओ.सी. लेने के लिए ही लोगों को सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़ते हैं परन्तु उसके बावजूद एन.ओ.सी. जारी नहीं हो रही है। पुड्डा तथा कार्पोरेशन दोनों स्थानों पर बुरा हाल है तथा भ्रष्टाचार व भाई-भतीजावाद का बोलबाला होने से एन.ओ.सी. देने की रफ्तार बहुत धीमी है।
 
सरकार द्वारा नई कालोनियों को लेकर अपने नियमों को सरल न बनाने से नई कालोनियों अस्तित्व में नहीं आ रही हैं। छोटी कालोनियों का अस्तित्व ही गायब हो गया है जबकि कैप्टन अमरेन्द्र सिंह सरकार के कार्यकाल में छोटी-छोटी कालोनियों के लाइसैंस कोलोनाइजरों को दे दिए जाते थे जिससे प्रापर्टी सैक्टर में भारी उछाल आया हुआ था। पिछले 9 वर्षों में प्रापर्टी सैक्टर की हालत बद से बदत्तर हो गई है।
 
स्टाम्प वैंडरों ने यह भी बताया कि अब तो पंजाब के बड़े शहरों जालन्धर, लुधियाना, अमृतसर आदि में तो 20-20 मरले में बनी कोठियों के ग्राहक ही उपलब्ध नहीं हैं। 10-10 मरले की कोठियां भी बिक नहीं रही हैं। प्रापर्टी का काम करने वाले लोगों ने तो अब 5-5 मरले की कोठियां बनानी शुरू कर दी ताकि वह बिक सकें। स्टाम्प वैंडरों ने यह भी कहा कि जिला स्तर पर बैंकोंसे अब स्टाम्प पेपर लेने पड़ते हैं परन्तु कभी बैंकों में सरवर बंद हो जाता है तो कभी लोगों को स्टाम्प पेपर लेने के लिए किसी अन्य समस्या से रू-ब-रू होना पड़ता है। 
 
उन्होंने यह भी बताया कि रजिस्ट्री करवाने के समय पंजाब में स्टाम्प ड्यूटी काफी अधिक है जोकि 9 प्रतिशत लगती है। इसके ऊपर 2 प्रतिशत सरकारी फीस देनी पड़ती है। लाल लकीर के अंदर प्रापर्टी पर 1550 रुपए और वसूले जाते हैं जबकि लाल लकीर के बाहर वाली प्रापर्टी धारकों से रजिस्टरी से बदले 3550 रुपए अतिरिक्त वसूल किए जाते हैं।
 
 
 

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