Edited By Punjab Kesari,Updated: 07 Feb, 2018 08:24 AM
नगर निगम के बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों के लापरवाही के कारण आज निगम कमिश्नर व वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी डा. बसंत गर्ग तथा जालंधर निगम के एस.टी.पी. परमपाल सिंह को लोकपाल पंजाब के समक्ष पेश होना पड़ा। गौरतलब है कि एक आर.टी.आई. एक्टीविस्ट ने 2013 में...
जालंधर (खुराना): नगर निगम के बिल्डिंग विभाग के अधिकारियों के लापरवाही के कारण आज निगम कमिश्नर व वरिष्ठ आई.ए.एस. अधिकारी डा. बसंत गर्ग तथा जालंधर निगम के एस.टी.पी. परमपाल सिंह को लोकपाल पंजाब के समक्ष पेश होना पड़ा। गौरतलब है कि एक आर.टी.आई. एक्टीविस्ट ने 2013 में वेरका मिल्क प्लांट के निकट अवैध रूप से काटी गई कालोनियों पॉली हिल्ज तथा त्रिलोक एवेन्यू बारे निगमाधिकारियों को शिकायत की थी परन्तु निगम ने उन पर कोई एक्शन नहीं लिया।
कालोनाइजरों ने कालोनियों को पास करवाने हेतु एन.ओ.सी. पॉलिसी के तहत निगम के पास फाइलें जमा करवाईं और कुल राशि का 25 प्रतिशत अदा भी किया परन्तु बाद में बाकी बचती 75 प्रतिशत राशि न तो कालोनाइजर ने अदा की और न ही निगम ने इस राशि बारे कभी मांग ही की। इन दोनों अवैध कालोनियों को काटने वाले कालोनाइजरों का भी अब कोई अता-पता निगम को नहीं है। लोकपाल कार्यालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस मामले में लोकपाल रिटायर्ड जस्टिस एस.के. मित्तल ने निगम कमिश्नर डा. बसंत गर्ग तथा एस.टी.पी. परमपाल सिंह की खूब क्लास लगाई तथा 5 साल शिकायतों पर कोई कार्रवाई न करने को लेकर काफी डांट-डपट की।
लोकपाल महोदय का कहना था कि यह मामले एन.ओ.सी. पॉलिसी के तहत बनी कमेटी को सौंपे जाने चाहिए थे परन्तु कालोनाइजरों से मिलीभगत करने वाले निगमाधिकारियों ने फाइलों को भी दबा दिया। अब लोकपाल ने आदेश दिए हैं कि इन दोनों कालोनियों को काटने वाले कालोनाइजरों पर नियमानुसार कार्रवाई की जाए।
विरासत हवेली को भी नहीं बचा पाए निगमाधिकारी
लोकपाल कार्यालय से आदेश आने के बाद नगर निगम के अधिकारियों ने मास्टर तारा सिंह नगर में चल रही विरासत हवेली को गत दिवस सील कर दिया था परन्तु एक विधायक के कथित दबाव के चलते निगमाधिकारियों को शाम को ही सील खोलने को विवश होना पड़ा। पहले तर्क दिया गया कि उस रात को एक फंक्शन बुक होने के कारण हवेली मालिकों ने सील खोलने की गुहार लगाई थी जिस कारण सील खोली गई तब दावा किया गया था कि अगले दिन फिर हवेली को सील कर दिया जाएगा परन्तु 3-4 दिन बीतने के बाद भी निगम ने हवेली को दोबारा सील नहीं किया। आज इस मामले पर निगम कमिश्नर तथा एस.टी.पी. की लोकपाल के सामने पेशी हुई जहां लोकपाल ने इस मामले पर भी दोनों अधिकारियों को नियमानुसार कार्रवाई करने को कहा।
सूत्रों से पता चला है कि निगमाधिकारियों ने विरासत हवेली को कथित रूप से बचाने के लिए लोकपाल के सामने तर्क दिया कि यह पुरानी बिल्डिंग है तथा रिकार्ड में एडजस्टेड है परन्तु लोकपाल ने रिकार्ड देखने के बाद कहा कि जब इम्प्रूवमैंट ट्रस्ट ने यह स्कीम निगम को ट्रांसफर की थी तब इस प्लाट पर डेयरी हुआ करती थी उस डेयरी पर रैस्टोरैंट कैसे बन गया। उस रैस्टोरैंट की मंजूरी और फायर सर्टीफिकेट जैसी एन.ओ.सी. कहां है? निगमाधिकारियों के पास इसका कोई जवाब नहीं था इसलिए माना जा रहा है कि विरासत हवेली को जल्द ही दोबारा सील कर दिया जाएगा।
वीरवार को आएगी लोकपाल की टीम
पंजाब के लोकपाल कार्यालय के इंवैस्टीगेशन कार्यालय की एक टीम 8 फरवरी वीरवार को जालंधर निगम आकर 15 के करीब अवैध बिल्डिंगों और कालोनियों की जांच करेगी। इन बिल्डिंगों में जहां मोता सिंह मार्कीट में बने शाह होटल के अलावा माडल टाऊन क्षेत्र की कई प्रमुख बिल्डिंगें शामिल हैं वहीं शिव विहार कालोनी, गुलमर्ग सिटी के पीछे गई कालोनी तथा सलेमपुर मुसलमाना के निकट तूर एन्क्लेव फेज-3 शामिल हैं। लोकपाल की टीम इन अवैध कालोनियों के साथ-साथ अवैध बिल्डिंगों पर जांच हेतु जाएगी जिससे बिल्डिंग मालिकों तथा कालोनाइजरों में हड़कम्प मचा हुआ है। अब देखना है कि त्रिलोक एवेन्यू और पॉली हिल्स कालोनी पर सख्ती दिखाने वाले लोकपाल कार्यालय द्वारा बाकी 3 कालोनियों पर क्या एक्शन लिया जाता है।