दलित वर्ग की नाराजगी कांग्रेस के मिशन-13 की निकाल सकती है हवा

Edited By swetha,Updated: 16 Apr, 2019 10:08 AM

lok sabha election 2019

मिशन-13 को लेकर लोकसभा चुनावों में उतरी पंजाब कांग्रेस द्वारा टिकट वितरण में जातीय संतुलन न बिठा पाने के चलते चुनावों में क्लीन स्वीप करने के दावों की हवा निकलती दिखाई दे रही है। कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश से संबंधित 13 लोकसभा हलकों में 11 हलकों में...

जालंधर(चोपड़ा): मिशन-13 को लेकर लोकसभा चुनावों में उतरी पंजाब कांग्रेस द्वारा टिकट वितरण में जातीय संतुलन न बिठा पाने के चलते चुनावों में क्लीन स्वीप करने के दावों की हवा निकलती दिखाई दे रही है। कांग्रेस आलाकमान ने प्रदेश से संबंधित 13 लोकसभा हलकों में 11 हलकों में अपने प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है।

केवल फिरोजपुर व भटिंडा में उम्मीदवारों के नाम फाइनल होने बाकी हैं। इन 11 घोषित सीटों में प्रतिनिधित्व न मिलने के कारण दलित समाज कांग्रेस से खासा नाराज दिख रहा है, वाल्मीकि-मजहबी सिख समुदाय से सबंधित नेता पंजाब में 1 सीट तक न मिलने से खासे खफा दिख रहे हैं, जबकि वाल्मीकि-मजहबी वर्ग से सबंधित कांग्रेस नेताओं का कहना है कि प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी व प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने पंजाब की 4 रिजर्व सीटों में से 2 सीटें वाल्मीकि-मजहबी समुदाय को देने का वायदा किया था। 

राज्यसभा सांसद व प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान शमशेर सिंह दूलो सहित कई वाल्मीकि नेता खुलेआम अपनी नाराजगी जाहिर कर रहे हैं, जहां ओ.बी.सी. वर्ग भी उन्हें नजरअंदाज करने के कारण खासा रोष में है। प्रदेश कांग्रेस के पूर्व प्रधान भी पार्टी के फैसले को गलत बता रहे हैं, वहीं रविदास समाज से संबंधित दिग्गज नेता भी उन्हें टिकट न देने से विरोध का झंडा बुलंद किए हुए हैं। पूर्व सांसद मोहिन्द्र सिंह के.पी. जालंधर तथा पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष चौधरी होशियारपुर से टिकट कटने का विरोध जता रहे हैं। 

फरीदकोट से टिकट की दावेदार व विधायक सतकार कौर ने मुस्लिम वर्ग से संबंधित मोहम्मद सदीक को टिकट देने के फैसले पर आपत्ति जताते हुए कहा कि मजहबी सिख बाहुल्य हलका होने के बावजूद उनकी बजाय मोहम्मद सदीक को उम्मीदवार बनाना आश्चर्यचकित करने वाला फैसला है। दलित समाज अगर कांग्रेस के विरुद्ध उठ खड़ा हुआ तो कांग्रेस को इसका सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव दोआबा क्षेत्र में होगा, जहां एस.सी. वोट बैंक का सबसे ज्यादा प्रभाव है। 2007 व 2012 के विधानसभा चुनावों में दलित वोट बैंक की नाराजगी के चलते ही कांग्रेस के हाथों से सत्ता रेत की भांति खिसक गई थी। 117 विधानसभा हलकों की बात की जाए तो कांग्रेस की सबसे ज्यादा खराब प्रदर्शन भी दोआबा में देखने को मिला, जहां कै. अमरेन्द्र के सरकार बनाने का सारा गणित बिगड़ गया था।

पंजाब में वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक दोआबा में 37 प्रतिशत आबादी दलित वर्ग की है। दोआबा से संबंधित विधानसभा हलकों की बात की जाए तो जालंधर सैंट्रल, करतारपुर, शाहकोट के अलावा नवांशहर, फरीदकोट, अमृतसर जिलों में एस.सी. वर्ग का खासा प्रभाव है और अगर दलित वर्ग 2007 और 2012 जैसा कांग्रेस विरोधी रुख अपनाता है तो कांग्रेस के सभी राजनीतिक समीकरण धरे के धरे रह जाएंगे।

संतोख चौधरी के खिलाफ दलित प्रदर्शन का मामला पहुंचा राहुल के दरबार 
डा. भीम राव अंबेदकर की जयंती पर कांग्रेस प्रत्याशी व सांसद संतोख चौधरी के दलित समुदाय के प्रदर्शन का मामला राहुल गांधी के दरबार में पहुंच गया है। चौधरी जब डा. अंबेदकर को श्रद्धासुमन अर्पित करने अंबेदकर चौक पहुंचे तो वहां दलित संगठनों ने काली पट्टियां बांध व काली झंडियां दिखाकर उनके खिलाफ प्रदर्शन किया था। दलित नेताओं का कहना था कि 1952 में जब दलितों के मसीहा डा. भीम राव अंबेदकर जालंधर आए थे तो चौधरी संतोख ने उनका काली झंडियां दिखाकर विरोध किया था, यहां तक कि डा. अंबेदकर के चुनाव हारने पर चौधरी परिवार ने लड्डू बांटकर खुशी मनाई थी परंतु अब सत्ता लालसा में चौधरी परिवार डा. अंबेदकर के नाम पर दलितों से वोट मांगते फिरते हैं। दलित बाहुल्य दोआबा क्षेत्र में जिस प्रकार दलित समुदाय द्वारा ही पिछले समय से संतोख चौधरी का लगातार विरोध करता आ रहा है, उससे सचेत होते हुए हाईकमान ने सारी रिपोर्ट तलब कर ली है।

वाल्मीकि-मजहबी सिख भाईचारे से संबंधित नेता चुनाव मैदान में उतारने की मांग
विगत दिन चंडीगढ़ में पी.जी.आई. स्थित रविदास भवन में दलित संगठनों ने एक मीटिंग करके फतेहगढ़ साहिब से कांग्रेस प्रत्याशी डा. अमर सिंह को बदलकर वाल्मीकि-मजहबी सिख भाईचारे से संबंधित नेता अश्विनी बगानिया को चुनाव मैदान में उतारने की मांग करके उन्हें प्रतिनिधित्व देने की मांग की। बैठक में मजहबी पंजाब महासभा आदि धर्म अनार्य समाज, गुरु रंगरेटा दल, सैंट्रल वाल्मीकि सभा इंटरनैशनल, लव-कुश सेवादल आदि शामिल थे। के.पी. के अनुसार इस मीटिंग में शमशेर सिंह दूलो, संतोष चौधरी, मलकीयत सिंह दाखा, चौधरी त्रिलोचन सिंह सहित अनेकों वरिष्ठ दलित नेताओं ने शामिल होना था। इसी मीटिंग में सभी ने एकजुट होकर कांग्रेस में उनकी उपेक्षा किए जाने के विरोध में अपनी अगली रणनीति तैयार करनी थी। के.पी. ने कहा था कि मीटिंग के फैसले बारे हम हाईकमान को अवगत करवाएंगे, अगर फिर भी उनकी सुनवाई न हुई तो वे आजाद चुनाव लडऩे को भी तैयार हैं। 

 कांग्रेस आलाकमान की सर्वे रिपोर्टों को भी किया नजरअंदाज
पंजाब में कांग्रेस आलाकमान ने 13 हलकों में पार्टी स्तर व प्राइवेट एजैंसियों के मार्फत कई सर्वे करवाए थे, परंतु पंजाब स्क्रीङ्क्षनग कमेटी के सदस्यों प्रदेश प्रभारी आशा कुमारी, मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेन्द्र सिंह, प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ने हाईकमान पर दबाव बनाकर सभी सर्वे रिपोर्टों को दरकिनार करवाते हुए अपनी मनमर्जी के प्रत्याशी फाइनल करवाए, जबकि ऑल इंडिया कांग्रेस के महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने कै. अमरेन्द्र व सुनील जाखड़ को चेताया था कि 4 रिजर्व सीटों में से एक सीट वाल्मीकि-मजहबी सिख समाज को दी जाए परंतु कांग्रेस पंजाब में जातीय संतुलन बैठाने में पूरी तरह से नाकाम साबित हुई। 

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