Edited By Vatika,Updated: 04 Oct, 2019 10:35 AM
रिहायशी क्षेत्रों में उद्योगों को बाहर करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार एक सर्वे करवाने की तैयारी में है। इस सर्वे का मकसद यह जानना है कि रिहायशी क्षेत्रों में कितने उद्योग चल रहे हैं
जालंधर(नरेंद्र मोहन): रिहायशी क्षेत्रों में उद्योगों को बाहर करने के उद्देश्य से पंजाब सरकार एक सर्वे करवाने की तैयारी में है। इस सर्वे का मकसद यह जानना है कि रिहायशी क्षेत्रों में कितने उद्योग चल रहे हैं और इनमें से भी कितने ऐसे हैं जिन्हें खतरनाक की श्रेणी में माना जाता है।
पंजाब के उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा ने संवाददाता से बातचीत में कहा कि उपचुनावों उपरांत राज्य सरकार इस बारे में अपनी प्रक्रिया शुरू करेगी और सरकार का यह प्रयास रहेगा कि रिहायशी क्षेत्र में उद्योग नहीं रहने चाहिएं। पिछले कुछ समय में ही राज्य में ऐसी कई घटनाएं घट चुकी हैं जिनमें आवासीय क्षेत्र में चल रही फैक्टरियों में दुर्घटना होने पर जानी-माली नुक्सान हुआ है। उल्लेखनीय है कि 3 वर्ष पूर्व की सरकार में ऐसा सर्वे हुआ था जो अंदर ही दब कर रह गया था परन्तु उस सर्वे ने उल्लेख किया था कि छोटे उद्योगों के नाम पर बड़े और जोखिम वाले उद्योग रा’य के तरनतारन, अमृतसर, बठिंडा, जालंधर, मोहाली व पटियाला जिलों में सबसे अधिक आवासीय क्षेत्रों में चलाए जा रहे हैं।
पिछले ही माह बटाला, तरनतारन, अमृतसर व कुछ अन्य स्थानों पर एक के बाद एक रिहायशी क्षेत्रों में चल रहे उद्योगों में हुए धमाके और दुर्घटनाओं के बाद सरकार का ध्यान इस ओर खींचा है। बटाला की फैक्टरी में तो हुए धमाके में 16 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद ही यह बात भी सामने आने लगी कि राज्य के कई जिलों में तो आवासीय क्षेत्रों में न केवल घातक कैमिकल व ज्वलनशील पदार्थों के गोदाम बने हुए हैं बल्कि कुछ स्थानों पर तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के नियमों को धत्ता बताकर हजारों लोगों की जान जोखिम में डालकर उद्योगों द्वारा उत्पादन किया जा रहा है। राज्य में 1.94 लाख छोटे उद्योग हैं जबकि 586 मध्यम और बड़े उद्योग हैं। पंजाब में लुधियाना के साथ-साथ चंडीगढ़ के करीब बसा कस्बा डेरा बस्सी भी उद्योगों का गढ़ बन रहा है। हजारों की संख्या में उद्योग रिहायशी क्षेत्र में चल रहे हैं। मोहाली में चंद निजी विहार में छोटे उद्योगों के नाम पर बड़े उद्योग चल रहे हैं।
छोटे उद्योगों के नाम पर चल रहे बड़े उद्योग
इस बारे में पंजाब प्रदूषण बोर्ड से सूचना के अधिकार के अधीन जानकारी मांगी गई तो बोर्ड ने यह कह कर जानकारी देने से इंकार कर दिया कि किसी के निजी विहार में लगे उद्योग में छोटे अथवा बड़े प्रदूषण कंट्रोल यंत्रों की जानकारी देना संभव नहीं है। हालांकि नए नियमों के चलते रिहायशी क्षेत्रों में उद्योगों को लाइसैंस ही नहीं दिए जा रहे परन्तु सूत्र बताते हैं कि छोटे उद्योगों के नाम पर इससे बड़े उद्योग चल रहे हैं। पूर्व की सरकार मेें भी ऐसा ही विवाद उठने के बाद रिहायशी क्षेत्रों में चल रहे उद्योगों के सर्वे का मामला उठा था और तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इस बारे में सर्वे करने को कहा था। सर्वे हुआ लेकिन यह सर्वे अनौपचारिक ही था और यह भी अंदर ही दब कर रह गया परन्तु रिहायशी क्षेत्र में उद्योगों से खतरे तो बने हुए हैं, साथ ही साथ सरकार के राजस्व को भी चूना लगाया जा रहा है। ऐसे उद्योग प्रदूषणयुक्त इस्तेमाल पानी को भी जमीन में गहरे बोरवैल करके डाल रहे हैं जिससे प्रदूषण भी बढ़ रहा है।
नए उद्योगों को आवासीय क्षेत्र में लगाने की नहीं दी जा रही अनुमति : सुंदर शाम अरोड़ा
पंजाब के उद्योग मंत्री सुंदर शाम अरोड़ा का इस संदर्भ में कहना था कि राज्य में होने वाले उपचुनावों के बाद राज्य में रिहायशी क्षेत्रों में चल रहे उद्योगों की जानकारी के लिए सर्वे करवाने की प्रक्रिया की शुरूआत की जाएगी और विभाग की एक बैठक में रूपरेखा तैयार की जाएगी। उन्होंने कहा कि जोखिम वाले उद्योगों से लोगों के जानमाल की हानि न हो, इसके लिए खतरनाक उद्योगों को रिहायशी क्षेत्रों से बाहर करवाया जाएगा। साथ ही यह भी कहा कि नए छोटे-बड़े उद्योगों को आवासीय क्षेत्र में लगाने की अनुमति नहीं दी जा रही जबकि रिहायशी क्षेत्रों में अतीत में लगे हुए ही उद्योग चल रहे हैं और उनको लेकर भी सरकार विशेष एहतियात ले रही है। उन्होंने बताया कि सरकार ने सभी जिलों के उपायुक्तों को निर्देश दिए हैं कि वे अपने-अपने क्षेत्र में समय-समय पर इसकी जांच करें। उन्होंने साफ कहा कि सरकार इस प्रयास में है कि आवासीय क्षेत्र में कोई उद्योग नहीं होना चाहिए।